पटना: लालू प्रसाद यादव पाटलिपुत्र सीट का मोह छोड़ नहीं पा रहे हैं. 2008 में परिसीमन के बाद पाटलिपुत्र सीट सामने आया था. अब तक तीन चुनाव हुए हैं, सभी में लालू यादव की पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. इस सीट पर डायरेक्ट राजद परिवार से एनडीए का मुकाबला होता आया है. पहले लालू के खास रंजन यादव ने ही लालू यादव को हराया और उसके बाद लालू के शिष्य रामकृपाल यादव ने मीसा भारती को लगातार दो बार हराया. एक बार फिर मीसा भारती इस सीट से चुनाव लड़ रही है.
हॉट सीट बन गयी पाटलिपुत्र लोकसभा सीट: पाटलिपुत्र लोकसभा सीट एक बार फिर से चर्चा में है. क्योंकि, लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती एक बार फिर यहां से चुनाव मैदान में हैं. 2014 में पाटलिपुत्र सीट से उन्होंने चुनाव लड़ा था लेकिन रामकृपाल से हार गई थी. 2019 में दोबारा चुनाव लड़ी और फिर से हार गई. अब एक बार फिर से मीसा भारती मैदान में है. उनके सामने भाजपा के उम्मीदवार रामकृपाल ताल ठोक रहे हैं. बता दें कि रामकृपाल यादव कभी लालू परिवार के काफी करीबी थे. मीसा भारती से चाचा-भतीजी का रिश्ता रखते हैं.
"रामकृपाल घर-घर के नेता हैं. मरनी हरनी तक के कार्यक्रम में शामिल होते हैं. सर्व सुलभ हैं. जबकि मीसा भारती से मिलना बहुत ही मुश्किल है. लोगों को पता है कि राज्यसभा में मीसा भारती हैं ही. इस वजह से भी लोगों में एक परसेप्शन बनता है और पाटलिपुत्र में जो जातीय समीकरण है उसका लाभ भी रामकृपाल यादव को मिल रहा है. लालू यादव का जो माय समीकरण है उसमें सेंध लगाते हैं."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक
अब तक एनडीए ने बाजी मारीः पाटलिपुत्र लोकसभा सीट के 3 चुनावों में हर बार एनडीए ने बाजी मारी है. 2009 में जदयू के प्रत्याशी रंजन प्रसाद यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को 23,541 वोटों से हराया था. 2014 में भाजपा के रामकृपाल यादव ने राजद की मीसा भारती को 40,322 वोटों से हराया था. वहीं 2019 में फिर से भाजपा के रामकृपाल यादव ने राजद की मीसा भारती को 39, 321 वोटों से हराया था. चाचा भतीजे के बीच दो बार 2014 और 2019 में आमना सामना हो चुका है. अब तीसरी बार दोनों आमने-सामने हैं.
आंकड़े मीसा के पक्ष मेंः पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र आता है. यहां एक को छोड़कर सभी सीट महागठबंधन के पास है. राजद के पास दानापुर, मसौढ़ी, मनेर जबकि सहयोगी माले के पास पालीगंज और फुलवारीशरीफ सीट है. विक्रम सीट भी महागठबंधन के पास ही थी लेकिन कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ पाला बदलकर एनडीए में शामिल हो गए हैं. राजद और माले के विधायकों का दावा है कि इस बार स्थिति मीसा भारती के पक्ष में है.
"रामकृपाल यादव पटना के रहने वाले हैं. गरीबों के बीच खासे लोकप्रिय हैं. इसलिए उन्हें हर जाति-धर्म का वोट मिलता है. कभी लालू प्रसाद यादव के लिए रामकृपाल अपनी पूरी ताकत लगते थे. लेकिन, जब उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं मिला तब बीजेपी में शामिल हो गए थे. बीजेपी के साथ उनका वोट बैंक भी पाटलिपुत्र में है. इसलिए हर बार जीत रहे हैं. इस बार भी उनकी स्थिति मीसा भारती से बेहतर है."- रवि अटल, राजनीतिक विश्लेषक
किसकी कितनी है आबादीः पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर कुल 18 लाख से भी ज्यादा मतदाता हैं. इस सीट के अंतर्गत पटना जिले के ग्रामीण क्षेत्र खासकर पश्चिमी इलाके आते हैं. पाटलिपुत्र में यादव, भूमिहार , दलित और कुर्मी जाति के साथ मुस्लिम की अच्छी खासी जनसंख्या है. फुलवारी शरीफ विधानसभा में सबसे अधिक रविदास पासवान यादव और मुस्लिम वोटर हैं यहां माले के विधायक गोपाल रविदास का दावा है कि इस बार दलित,यादव और अल्पसंख्यक सहित अन्य जातियों की वोट राजद को मिल सकता है. पालीगंज विधानसभा में यादव, भूमिहार और मुस्लिम 20-20% के करीब है. माले के विधायक संदीप सौरभ का भी दावा है कि राजद उम्मीदवार को ही उनके क्षेत्र की जनता का समर्थन मिलेगा.