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झारखंड के संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ और बदलते डेमोग्राफी का जिम्मेदार कौन? केंद्र या राज्य सरकार - Demographic change in Jharkhand

Demographic change in Jharkhand. झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ और संथाल परगना की बदलती डेमोग्राफी के लिए कौन जिम्मेदार है, इसे लेकर लगातार आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है. बीजेपी जहां इसे लेकर राज्य सरकार पर हमलावर है. तो वहीं झामुमो इस बदलाव के लिए बीजेपी को जिम्मेदार मान रहा है और केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहा है.

Demographic change in Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 15, 2024, 11:47 AM IST

गोड्डा: झारखंड में इन दिनों डेमोग्राफी चेज का मुद्दा हावी है. बीजेपी लगातार इसे लेकर झारखंड सरकार पर सवाल खड़े कर रही है. भाजपा हर मंच से बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाते हुए डेमोग्राफी चेंज की बात करती है लेकिन सवाल यह है कि इसका असली जिम्मेवार कौन? राज्य या केंद्र की सरकार. साल 2011 के बाद से देश में जनगणना नहीं हुई है. ऐसे में किसकी संख्या कितनी बढ़ी या कम हुई है और डेमोग्राफी में क्या बदलाव आया है, इसके बारे में सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है.

डेमोग्राफी चेंज मुद्दे पर बीजेपी का आधार

भाजपा संथाल परगना में डेमोग्राफी चेंज को लेकर मुखर है. बीजेपी 2011 की जनगणना के आधार पर यह मुद्दा उठा रही है. इसके अलावा और भी कई आधार हैं, जिसके कारण भाजपा हावी है. आंकड़ों की बात करें तो 2001 की जनगणना में दुमका की जनसंख्या करीब 11 लाख 7 हजार थी. साल 2011 में दुमका की जनसंख्या बढ़कर करीब 14 लाख हो गई. आंकड़े बताते हैं कि संथाल के सभी 6 जिलों में 12 लाख से ज्यादा नई आबादी बस गई है.

बीजेपी का मानना है की यह आंकड़े एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करते हैं और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बिना इतनी तेजी से आबादी का बढ़ना नामुमकिन है. संथाल में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी पाकुड़ में बढ़ी है. पाकुड़ में मुस्लिम आबादी में करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, साहिबगंज में मुस्लिम आबादी में 37 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. बीजेपी ने इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण बांग्लादेशी घुसपैठ को माना है. संथाल परगना के 6 जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने में यहां के जमीन दलालों की सबसे बड़ी भूमिका है. जमीन दलाल गिफ्ट डीड के जरिए बांग्लादेशियों को बसा रहे हैं.

आंकड़े बताते हैं कि झारखंड बनने के बाद संथाल परगना में रजिस्ट्री कराने वाली जमीन खरीदने वालों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. 13 दिसंबर 2023 को भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक दस्तावेज जारी किया, जिसमें बताया गया कि 120 से अधिक फर्जी वेबसाइट के जरिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं. पत्र के जरिए झारखंड को लेकर खास चेतावनी दी गई.

2 जून 2023 को झारखंड पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने सभी जिलों के एसपी और डीसी को पत्र लिखा. पत्र संख्या 211/23 के जरिए स्पेशल ब्रांच ने लिखा कि झारखंड राज्य अंतर्गत संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश की सूचना है. स्पेशल ब्रांच को मिली जानकारी के मुताबिक बांग्लादेशी घुसपैठियों को पहले विभिन्न मदरसों में ठहराया जाता है. उसके बाद उनका सरकारी दस्तावेज तैयार किया जाता है और फिर उनका नाम मतदाता सूची में शामिल किया जाता है. मतदाता सूची में शामिल होने के बाद उन्हें साजिश के तहत वहां बसाया जाता है. इसके अलावा हाल ही में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा इस मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी ने भी बीजेपी के इस मुद्दे को बल दिया.

'भाजपा सरकार बनने पर बनाया जाएगा कानून'

लेकिन सवाल अभी भी वही है, इस बदलती डेमोग्राफी का जिम्मेवार कौन है. इस पर पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक रणधीर सिंह का कहना है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण संथाल की डेमोग्राफी प्रभावित हुई है. झारखंड में उनकी सरकार आने पर इस पर कानून बनाया जाएगा. जब उनसे पूछा गया कि घुसपैठ रोकना केंद्र का मुद्दा है तो उन्होंने कहा कि दोनों देशों की सीमाएं खुली हैं. फिर उन्होंने इसका दोष पश्चिम बंगाल सरकार पर लगा दिया. लेकिन अंत में उन्होंने कहा कि वे गृह मंत्री अमित शाह से इस पर रोक लगाने का अनुरोध करेंगे.

'घुसपैठ रोकना केंद्र का काम'

इस मामले में झामुमो नेता प्रेमानंद मंडल ने कहा कि सीमा पर घुसपैठ रोकना केंद्र का काम है. आज भाजपा कानून बनाने की बात करती है, लेकिन जब झारखंड में भाजपा की पांच साल तक रघुवर दास की सरकार के अलावा बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा की सरकार थी, तब वे क्या कर रहे थे? यह सब चुनावी हथकंडा है.

वहीं इस मुद्दे पर पत्रकार डॉ दिलीप कुमार झा कहते हैं कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि डेमोग्राफी में बदलाव आया है, लेकिन यह सब एक दिन में नहीं हुआ, इसके लिए किसी विशेष पार्टी या सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, इसके लिए दोषी केंद्र और राज्य सरकारें दोनों हैं. अगर कोई वास्तव में इसका समाधान चाहता है तो एक सार्थक प्रयास किया जाना चाहिए, जिसमें सभी दलों के बीच आपसी सहमति जरूरी है.

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