नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एल्गार परिषद-माओवादी लिंक केस में समााजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत दे दी. कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई पूरी होने में कई साल लगेंगे.
जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एस वी एन भट्टी की पीठ ने मामले में नवलखा को दी गई जमानत पर बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई गई रोक को बढ़ाने से इनकार कर दिया. जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि नवलखा चार साल से अधिक समय से जेल में हैं और मामले में अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं.
मुकदमा पूरा होने में कई साल लगेंगे- सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा, 'हम रोक को आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि हाई कोर्ट के आदेश में जमानत देने की डिटेल जानकारी दी गई है. मुकदमा पूरा होने में कई साल लगेंगे. विवादों पर विस्तार से चर्चा किए बिना, हम रोक की अवधि नहीं बढ़ाएंगे.' सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे पक्ष को जल्द से जल्द 20 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा.
इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि 20 लाख रुपये उनकी सुरक्षा में खर्च हुई राशि का लगभग 10 फीसदी हिस्सा है. राजू ने यह भी कहा कि अदालत को नवलखा की नजरबंदी की अवधि पर विचार करना चाहिए.
एनआईए के दावों से सहमत नहीं नवलखा के वकील
7 मार्च को एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कार्यकर्ता गौतम नवलखा को घर में नजरबंदी करने के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने में 1.64 करोड़ रुपये का खर्च आया था, जिसका उन्हें भुगतान करना होगा. नवलखा के वकील एनआईए के दावों से सहमत नहीं हुए और उन्होंने इसे 'वसूली' करार दिया.