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ताजमहल या तेजोमहालय; जलाभिषेक-दुग्धाभिषेक की मांग पर कोर्ट का फैसला सुरक्षित, 16 सितंबर को अगली सुनवाई - Taj Mahal or Tejomahalaya Case - TAJ MAHAL OR TEJOMAHALAYA CASE

ताजमहल या तेजोमहालय विवाद पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. जिसमें एएसआई और वादी पक्ष के वकीनों ने अपना अपना पक्ष रहा. जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए 16 सितंबर को अगली तारीख दे दी.

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ताजमहल या तेजोमहालय मामले पर कोर्ट में सुनवाई (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 13, 2024, 8:06 PM IST

आगरा:ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद लगातार गरमाया हुआ है. इसी मामले को लेकर योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने सावन महीने में ताजमहल को तेजोमहालय बताकर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग को लेकर कोर्ट में केस दाखिल किया था, शुक्रवार को न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में सुनवाई हुई. कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में अब कोर्ट 16 सितंबर को फैसला सुना सकता है.

बता दें कि, सुनवाई के दौरान एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल के वकील विवेक कुमार ने कोर्ट में आपत्ति दाखिल की. जिसमें उन्होंने मांग किया कि, राजकुमार पटेल एक सरकारी अधिकारी है. जिन पर मुकदमा नहीं चल सकता है. इसलिए, इसको खारिज किया जाए. इस मामले में भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया जाए. जिस पर वादी कुंवर अजय तोमर के वकील शिव आधार ने इसमें भारत सरकार को प्रतिवादी बनाने पर सहमति जताई है.

वादी कुंवर अजय तोमर का दावा है कि सन 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था, जो तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया. मगर राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा. बाद में मुगल शहंशाह शाहजहां ने राजा मानसिंह से तेजोमहालय को हड़प लिया. जिस पर ही ताजमहल का निर्माण हुआ. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र नहीं है. यह एक सफेद झूठ है. क्योंकि मुमताज का निधन 1631 में हो गया था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.

अजय तोमर का कहना है कि, बादशाह शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को 1652 में खत लिखकर इमारत में दरारें आने की जानकारी दी थी. इसके साथ ही मरम्मत कराने की मांग की थी. जिससे साफ है कि कहीं न कहीं पुराने ही किसी चिन्ह पर इसे मॉडिफाई किया है. मुख्य मकबरे पर कलश है. वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. क्योंकि आज भी हिन्दू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. इसके साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो भगवान शिव का चिह्न है.

अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर का कहना है कि ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह अंकित हैं, जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. इनका सनातन धर्म में महत्व है. हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. ऐसे ही तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.

तोमर का कहना है कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत में आए तो उन्होंने मंदिर ध्वस्त करके उन पर मकबरे बनवाए. किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. मुगलों ने मंदिर ध्वस्त करके अपने नाम की नेम प्लेट धार्मिक स्थलों पर लगा रखी है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करता है. वहां उर्स भी होता है. फिर, सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. न्यायालय में मामला विचाराधीन है. इसलिए इस सावन में तेजोमहालय में जलाभिषेक नहीं कर सके.

शिव आधार सिंह तोमर का कहना है कि तेजोमहालय हिंदू मंदिर है. जहां सावन के महीने में जलाभिषेक होना चाहिए. पूर्व में शिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए 4 मार्च 2024 में अदालत में वाद दायर किया था. जिसे न्यायालय ने धारा 80 सीपीसी की छूट न देकर खारिज कर दिया था. इसके बाद 26 अप्रैल 2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ.राजकुमार पटेल को धारा 80 सीपीसी का नोटिस भेजा था. जिसका जवाब नहीं आने पर दोबारा जलाभिषेक की मांग का वाद दायर किया है.

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