पटना:कांग्रेस ने सोमवार को बिहार की 5 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है. जिसमें मुजफ्फरपुर से जहां भारतीय जनता पार्टी के बागी सांसद अजय निषाद को टिकट दिया है. वहीं समस्तीपुर सुरक्षित सीट से सन्नी हजारी को मैदान में उतार दिया है. वह बिहार सरकार के मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे हैं. इस सीट पर एनडीए की ओर से सीएम नीतीश कुमार के चहेते मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी चुनाव लड़ रही हैं. जिस वजह से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
कौन हैं सन्नी हजारी?:समस्तीपुर से कांग्रेस उम्मीदवार सन्नी हजारी समस्तीपुर के कद्दावर दलित नेता महेश्वर हजारी के बेटे हैं. महेश्वर हजारी इस सीट से सांसद भी रह चुके हैं. वह बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं और फिलहाल नीतीश कैबिनेट में मंत्री हैं. खुद सन्नी लगातार स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने कांग्रसे की सदस्यता ली है. हालांकि उन्होंने पहले चिराग पासवान की पार्टी एलजेपीआर से भी टिकट लेने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली. रामविलास पासवान से सन्नी और उनके पिता का पारिवारिक संबंध रहा है.
कौन हैं शांभवी चौधरी?: एनडीए से चुनाव लड़ने वाली शांभवी चौधरी बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी हैं. उनके दादा महावीर चौधरी सूबे के कद्दावर नेता रहे हैं. शांभवी की शादी पूर्व आईपीएस और महावीर मंदिर न्यास के सचिव किशोर कुणाल के बेटे सायण कुणाल से हुई है. दलित समुदाय से आने वालीं शांभवी के पति भूमिहार समाज से आते हैं.
किस मंत्री के बच्चे को मिलेगा सीएम का साथ?:कैबिनेट के 2 मंत्रियों के बच्चों के लड़ने के कारण सब की नजर सीएम नीतीश कुमार के स्टैंड को लेकर है, क्योंकि अभी भी दोनों मंत्री कैबिनेट में बने हुए हैं. अशोक चौधरी तो खुलकर अपनी बेटी के लिए कैंपेन कर रहे हैं लेकिन अभी तक महेश्वर हजारी खुलकर सामने नहीं आए हैं. ऐसे में चर्चा तेज हो गई है कि आखिर मुख्यमंत्री का आशीर्वाद किस मंत्री के बच्चे को मिलेगा? हालांकि गठबंधन में होने के कारण माना जा रहा है कि सीएम आखिरकार अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी का ही समर्थन करेंगे.
'परिवारवाद' पर फंस गए हैं नीतीश?: पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव पर परिवारवाद के मुद्दे को लेकर हमलावर हैं. कटिहार में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए तो उन्होंने उनके अधिक बच्चे होने पर तंज कसते हुए कहा था, किसी को क्या इतना ज्यादा बाल-बच्चा पैदा करना चाहिए, लेकिन उनलोगों (लालू) ने किया.' अब जब उनके दो मंत्रियों के बेटे और बेटी दूसरे दल से टिकट लेकर आमने-सामने हैं तो देखना होगा कि सीएम क्या स्टैंड लेते हैं. क्या वह प्रचार करने नहीं जाएंगे या चुनाव के बीच ही मंत्रियों को कैबिनेट से बेदखल करते हैं?