हरिद्वार: सनातन धर्म में मनुष्य के अंतिम संस्कार के बाद जब तक उसकी अस्थियों को गंगा में न प्रवाहित किया जाए, तब तक उसकी मुक्ति नहीं मानी जाती है, लेकिन कई ऐसे लोग हैं, जिनका कोई नहीं होता है और अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियां शमशान घाटों पर लावारिश छोड़ दी जाती हैं. हालांकि इस तरह की अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने का बीड़ा दिल्ली की श्री देवोत्थान सेवा समिति में उठाया है. इस संस्था ने शनिवार 28 सितंबर को हरिद्वार में 4,128 लावारिस लोगों की अस्थियां विसर्जित की.
श्री देवोत्थान सेवा समिति के महामंत्री विजय शर्मा ने बताया कि उनकी संस्था पिछले 23 सालों से इस काम को कर रही है. महामंत्री विजय शर्मा के अनुसार उनकी संस्था बीते 23 सालों में एक लाख 65 हजार 289 लावारिस अस्थियों को हरिद्वार गंगा में विसर्जित कर चुकी है. श्री देवोत्थान सेवा समिति पूरे देश में ये काम करती है.
महामंत्री विजय शर्मा ने बताया कि शनिवार 28 सितंबर को भी श्री देवोत्थान सेवा समिति ने पूरे देश में एकत्र की गई करीब 4,128 लोगों की अस्थियों को पूरे विधि विधान के साथ कनखल स्थित सती घाट पर गंगा मे प्रवाहित किया गया. इन अस्थि कलशों को लेकर लोगों का काफिला दिल्ली से कल रवाना हुआ था, जो आज सोमवार सुबह हरिद्वार पहुंचा था.
श्री देवोत्थान समिति के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र का कहना है कि इस साल 4,128 अस्थियां लेकर आए हैं. उनकी संस्था बीते 23 सालों से ये काम कर रही है. उनका मूल उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को सनातन धर्म का सांस्कृतिक और पौराणिक मूल्य की याद दिलाना है.