रांची:नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों के लिए छत्तीसगढ़ से लेकर झारखंड की सीमा तक सटे बूढ़ा पहाड़ के बाद झारखंड का सारंडा सबसे बड़ा गढ़ रहा है. बूढ़ा पहाड़ पर तिरंगा फहराने के बाद पिछले दो सालों से झारखंड पुलिस केंद्रीय बलों के साथ मिलकर सारंडा में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रही है. इस अभियान में अब तक चार जवान अपनी शहादत दे चुके हैं, जबकि करीब 12 ग्रामीण मारे गए हैं, आईईडी विस्फोट में 24 से ज्यादा जवान और ग्रामीण घायल हो चुके है.
कभी नक्सलियों की था आतंक, अब सुरक्षाबलों का पहरा
एक समय ऐसा भी था जब महीने में 20 दिनों तक नक्सली विस्फोट किया करते थे और घायल जवानों और ग्रामीणों को लाने के लिए हेलीकॉप्टर सारंडा के जंगलों की दौड़ लगाते रहता था. लेकिन अब परिस्थितियों बदल रही हैं. सोमवार को चाईबासा के सारंडा में सुरक्षाबलों ने माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो ईआरबी के मुख्यालय को ध्वस्त करते हुए दो इनामी नक्सलियों सहित पांच को एनकाउंटर में मार गिराया. वहीं, दो को जिंदा नक्सलियों को धर दबोचा.
सोमवार को पुलिस के साथ जिस स्थान पर नक्सलियों के साथ एनकाउंटर हुआ उसे सरजमबुरू के नाम से जाना जाता है. भाकपा माओवादियों के सुप्रीम नेता प्रशांत बोस ने अपने इसी मुख्यालय से झारखंड, बिहार पश्चिम बंगाल के साथ साथ छत्तीसगढ़ तक की गतिविधियों का संचालन किया.
पहली बार नक्सलियो को मिली बड़ी चुनौती
प्रशांत बोस की गिरफ्तारी और बूढ़ा पहाड़ से खदेड़े जाने के बाद एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा, पति राम मांझी उर्फ अनल ने अपने साथियों के साथ सारंडा को दोबारा अपना सबसे मजबूत गढ़ बना लिया. झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों के जवान पिछले दो सालों से कोल्हान और सारंडा इलाके से नक्सलियों के सफाए के लिए अभियान चला रहे हैं. लेकिन दो सालों में पहली बार सोमवार को हुए ऑपरेशन की वजह से सारंडा में नक्सलियों को चुनौती मिली है. सरजमबुरू जहां नक्सलियों ने अपना मुख्यालय बना रखा था अब वहां पुलिस कैंप बनाया जा रहा है.
आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार पूर्व में तुंबाहातू से सरजमबुरू तक के डेढ़ किलोमीटर की दूरी में भाकपा माओवादियों ने चौतरफा घेराबंदी आईईडी के जरिए की थी, सभी संभावित रास्तों को आईईडी के जरिए इस तरह से घेरा गया था कि सुरक्षाबलों सरमजबुरू के नक्सलियों के मुख्यालय तक न पहुंच पाए. पुलिस बल ने जब भी तुंबाहातू से सरजमबुरू तक अभियान चलाया, आईईडी ब्लास्ट के जरिए नुकसान उठाना पड़ा. कई जवान शहीद हुए. बीते छह माह में सुरक्षाबलों ने इस इलाके में आईईडी के खतरे को भांपते हुए धीरे धीरे बढ़ना शुरू किया था. छह माह में पुलिस की टीम आईईडी बमो को निष्क्रिय करते करते सरजमबुरू तक पहुंची.
मारा गया आईईडी बनाने वाला भी
छत्तीसगढ़ का रहने वाला कुख्यात नक्सली टेक विश्वनाथ ने झारखंड के नक्सलियों को लैंडमाइंस, प्रेशर बम और छोटे छोटे आईईडी बम बनाना सिखाया था. सबसे पहले झारखंड में टेक विश्वनाथ ने आईईडी बनाने और उसे प्लांट करने का काम शुरू किया था. विश्वनाथ के बाद चाईबासा में यह काम छत्तीसगढ़ के सिंहराई उर्फ मनोज ने संभाला. सिंहराई ने ही तुंबाहातू से सरजमबुरू तक के पूरे रास्ते में आईईडी बम बनाकर उसे प्लांट किया. आईईडी के बनाए जाल के कारण सुरक्षाबलों को सर्वाधिक नुकसान इस इलाके में उठाना पड़ा.