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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 18, 2024, 6:46 PM IST

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आईईडी का मकड़जाल तोड़ सुरक्षाबल कर रहे सारंडा फतेह, अभियान में चुकानी पड़ी है बड़ी कीमत! - Security forces Campaign in Saranda

Security forces Campaign in Saranda. झारखंड के कोल्हान में सुरक्षाबलों ने सोमवार को एनकाउंटर में पांच नक्सलियों को मार गिराने के बाद यह साबित कर दिया कि अब वह दिन भी दूर नहीं जब बूढ़ा पहाड़ की तरह कोल्हान और सारंडा इलाके से भी नक्सलियों का सफाया हो जाएगा. पिछले दो सालों से जो घेराबंदी की गई है, अब उसका रिजल्ट सामने आने लगा है. सारंडा में ऐसी कामयाबी के लिए झारखंड पुलिस को बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी है.

SECURITY FORCES CAMPAIGN IN SARANDA
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

रांची:नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों के लिए छत्तीसगढ़ से लेकर झारखंड की सीमा तक सटे बूढ़ा पहाड़ के बाद झारखंड का सारंडा सबसे बड़ा गढ़ रहा है. बूढ़ा पहाड़ पर तिरंगा फहराने के बाद पिछले दो सालों से झारखंड पुलिस केंद्रीय बलों के साथ मिलकर सारंडा में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रही है. इस अभियान में अब तक चार जवान अपनी शहादत दे चुके हैं, जबकि करीब 12 ग्रामीण मारे गए हैं, आईईडी विस्फोट में 24 से ज्यादा जवान और ग्रामीण घायल हो चुके है.

कभी नक्सलियों की था आतंक, अब सुरक्षाबलों का पहरा

एक समय ऐसा भी था जब महीने में 20 दिनों तक नक्सली विस्फोट किया करते थे और घायल जवानों और ग्रामीणों को लाने के लिए हेलीकॉप्टर सारंडा के जंगलों की दौड़ लगाते रहता था. लेकिन अब परिस्थितियों बदल रही हैं. सोमवार को चाईबासा के सारंडा में सुरक्षाबलों ने माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो ईआरबी के मुख्यालय को ध्वस्त करते हुए दो इनामी नक्सलियों सहित पांच को एनकाउंटर में मार गिराया. वहीं, दो को जिंदा नक्सलियों को धर दबोचा.

नक्सलियों से बरामद सामान (ईटीवी भारत)

सोमवार को पुलिस के साथ जिस स्थान पर नक्सलियों के साथ एनकाउंटर हुआ उसे सरजमबुरू के नाम से जाना जाता है. भाकपा माओवादियों के सुप्रीम नेता प्रशांत बोस ने अपने इसी मुख्यालय से झारखंड, बिहार पश्चिम बंगाल के साथ साथ छत्तीसगढ़ तक की गतिविधियों का संचालन किया.

पहली बार नक्सलियो को मिली बड़ी चुनौती

प्रशांत बोस की गिरफ्तारी और बूढ़ा पहाड़ से खदेड़े जाने के बाद एक करोड़ के इनामी मिसिर बेसरा, पति राम मांझी उर्फ अनल ने अपने साथियों के साथ सारंडा को दोबारा अपना सबसे मजबूत गढ़ बना लिया. झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों के जवान पिछले दो सालों से कोल्हान और सारंडा इलाके से नक्सलियों के सफाए के लिए अभियान चला रहे हैं. लेकिन दो सालों में पहली बार सोमवार को हुए ऑपरेशन की वजह से सारंडा में नक्सलियों को चुनौती मिली है. सरजमबुरू जहां नक्सलियों ने अपना मुख्यालय बना रखा था अब वहां पुलिस कैंप बनाया जा रहा है.

यही रुके हुए थे नक्सली (ईटीवी भारत)
दो किलोमीटर की दूरी में बना रखा था आईईडी का घेरा, सुरक्षाबलों को सबसे ज्यादा नुकसानसोमवार को नक्सलियों के खिलाफ हुए अभियान में जब पांच नक्सली मारे गए. उस दौरान सुरक्षा बलों का जज्बा देखने लायक था. क्योंकि सारंडा में सुरक्षाबलों ने अपने कई साथियों को खोया. 15 अगस्त 2023 को जहां देश स्वतंत्रता दिवस मान रहा था. वहीं, तुंबाहातू में पुलिस अभियान में निकले जगुआर के सब इंस्पेक्टर अमित कुमार तिवारी और गौतम कुमार को नक्सलियों ने घात लगाकर मार डाला था. असल मे सारंडा में नक्सलियों ने अपने चारों तरफ दो किलोमीटर की दूरी तक आईईडी बमों का घेरा बना रखा था, जिसकी वजह से सबसे अधिक सुरक्षाबलों और ग्रामीणों को नुकसान उठाना पड़ा.
अभियान में शामिल सुरक्षा बल (ईटीवी भारत)

आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार पूर्व में तुंबाहातू से सरजमबुरू तक के डेढ़ किलोमीटर की दूरी में भाकपा माओवादियों ने चौतरफा घेराबंदी आईईडी के जरिए की थी, सभी संभावित रास्तों को आईईडी के जरिए इस तरह से घेरा गया था कि सुरक्षाबलों सरमजबुरू के नक्सलियों के मुख्यालय तक न पहुंच पाए. पुलिस बल ने जब भी तुंबाहातू से सरजमबुरू तक अभियान चलाया, आईईडी ब्लास्ट के जरिए नुकसान उठाना पड़ा. कई जवान शहीद हुए. बीते छह माह में सुरक्षाबलों ने इस इलाके में आईईडी के खतरे को भांपते हुए धीरे धीरे बढ़ना शुरू किया था. छह माह में पुलिस की टीम आईईडी बमो को निष्क्रिय करते करते सरजमबुरू तक पहुंची.

मारा गया आईईडी बनाने वाला भी

छत्तीसगढ़ का रहने वाला कुख्यात नक्सली टेक विश्वनाथ ने झारखंड के नक्सलियों को लैंडमाइंस, प्रेशर बम और छोटे छोटे आईईडी बम बनाना सिखाया था. सबसे पहले झारखंड में टेक विश्वनाथ ने आईईडी बनाने और उसे प्लांट करने का काम शुरू किया था. विश्वनाथ के बाद चाईबासा में यह काम छत्तीसगढ़ के सिंहराई उर्फ मनोज ने संभाला. सिंहराई ने ही तुंबाहातू से सरजमबुरू तक के पूरे रास्ते में आईईडी बम बनाकर उसे प्लांट किया. आईईडी के बनाए जाल के कारण सुरक्षाबलों को सर्वाधिक नुकसान इस इलाके में उठाना पड़ा.

वहीं कांडे होनहागा मिसिर बेसरा के मारक दस्ते का सदस्य था. कांडे के दस्ते ने ही 15 अगस्त 2023 को अमित तिवारी और गौतम कुमार को मार डाला था, वहीं 11 अगस्त 2023 को इसी इलाके में सीआरपीएफ 60 बटालियन के जवान सुशांत कुमार को भी माओवादियों ने मार डाला था.सिंहराई उर्फ मनोज और कांडे होनहागा मिसिर बेसरा दोनो ही सोमवार को मार गिराए गए हैं.

टूट गया है नक्सलियों का भ्रम

झारखंड में नक्सल अभियान को धार देने वाले, बूढ़ा पहाड़ में अभियान को सफल बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार नक्सलियों का सारंडा को लेकर जो मन मे भ्रम था, उसे सोमवार को सुरक्षा बलों ने तोड़ दिया है. नक्सलियों के पास मात्र एक ही उपाय है कि वे सरेंडर करें या फिर पुलिस का सामना करें. नक्सलियों के लिए तीसरा कोई विकल्प पुलिस ने नहीं दिया है.

दो सालों के अभियान में क्या क्या हुआ कोल्हान में

साल 2022 से लेकर अब तक सारंडा के घनघोर जंगलों में 17 पुलिस कैंप स्थापित कर दिए गए. 2 सालों के अभियान के दौरान 169 नक्सलियों की गिरफ्तारी की गई है, मुठभेड़ में 6 नक्सलियों को मार गिराया गया है साथ ही उनके पास से 53 हथियार भी बरामद किए गए. 500 से ज्यादा आईईडी बम, 170 से ज्यादा स्पाइक होल और 34 नक्सलियों के बंकर को ध्वस्त किया गया है.

2022 से 2024 तक सरेंडर भी हुआ

कोल्हान में चल रहे अभियान से घबराकर पिछले दो सालों के दौरान 26 नक्सली कैडरों ने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए थे. झारखंड पुलिस का दावा है कि जल्द ही पूरे सारंडा को नक्सलियों से मुक्त करवाया जाएगा.

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