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बाल कैदियों को जुर्म की दलदल में जाने से बचाने की मुहिम, बाल सुधार गृह में चल रही सुधार की बयार - TEACHING SKILLS IN JUVENILE HOME

बाल सुधार गृह में सुधार की बयार चल रही है. यहां बच्चों को ऐसे गुर सिखाए जा रहे हैं कि वे अपराध के दलदल से बाहर निकल सकें.

Teaching skills in juvenile home
बाल सुधार गृह (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 19, 2025, 4:07 PM IST

Updated : Feb 19, 2025, 6:21 PM IST

रांची: राजधानी रांची के बाल सुधार गृह में एक नई बयार बह रही है, अपराध की पौध को पेड़ बनने से पहले ही उस पर पूर्ण विराम लगाने की तैयारी चल रही है और यह सब कर रहे है एक कर्नल. हम बात कर रहे हैं सेना से रिटायर्ड कर्नल जेके सिंह की, कर्नल जेके सिंह बाल कैदियों के उत्थान के लिए पहले भी कई तरह के काम करते आए हैं, लेकिन अब कर्नल बाल कैदियों को 55 गुणों में माहिर कर रहे हैं. ताकि जब वे बाल सुधार गृह से निकले तो वे रोजगार के लिए तैयार हो कर निकले.

कर्नल की देखरेख में शुरू हुई ट्रेनिंग

कर्नल जीवन कुमार सिंह यानी जेके सिंह की, कश्मीर में आतंकियों और झारखंड में नक्सलियों से लोहा लेने वाले कर्नल जेके सिंह झारखंड के बाल सुधार गृह में बंद बाल कैदियों को रोजगार से जोड़ने की जुगत में लगे हुए हैं. मकसद साफ है की जब बाल कैदी सुधार गृह से बाहर निकले तो वो वापस अपराध के रास्ते पर न जाकर उन्होंने जो हुनर सीखा है उससे अपना जीवन आगे चलाएं. झारखंड के 12 बाल सुधार गृहों में से 6 की जिम्मेदारी कर्नल जेके सिंह के कंधों पर है. अपनी उस जिम्मेदारी को कर्नल बेहद संजीदगी से निभा रहे हैं.

बाल कैदियों को जुर्म की दलदल में जाने से बचाने की मुहिम (ईटीवी भारत)



रोजगार के गुर सीख रहे बाल कैदी

कर्नल जेके सिंह के देखरेख में बाल सुधार गृह के बाल बंदियों को कौशल विकास के तहत हुनरमंद बनाया जा रहा है. रांची के डूमरदग्गा स्थित बाल सुधार गृह में फिलहाल 70 से ज्यादा नबालिग हैं, जिनमे से कोई साइकल बनाना सीख रहा है, तो कोई मोमबत्ती, तो कोई कुछ और लेकिन हर बाल कैदी कुछ न कुछ जरूर सीख रहा है. कर्नल जेके सिंह ने बताया कि झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता की पहल पर बाल सुधार गृह के बच्चों को कौशल विकास से जुड़े योजनाओं के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमे बच्चे बाइक रिपेरिंग, साइकिल रिपयरिंग, मोमबत्ती निर्माण, प्रिंटिंग प्रेस की ट्रेनिंग, कुकिंग, खेती जैसे विभिन्न कार्यों को सीख रहे हैं.

Teaching skills in juvenile home
बाल सुधार गृह (ईटीवी भारत)



55 तरह की ट्रेनिंग

कर्नल ने बताया कि बाल सुधार गृह में 55 तरह के रोजगार करने के तरीके सिखाये जा रहे हैं. जिनमे वेल्डिंग का काम, गाय बकरी घरेलू पशुपालन का कोर्स, धोबी का काम, कुकिंग कोर्स, कम्पाउंडर का काम, दर्जी का काम, मिट्टी के बर्तन बनाना, केसर और मशरूम की खेती, पान बनाने की विधि, इलेक्ट्रानिक समानों की रिपयरिंग, सब्जी का व्यापार करना, कम्प्यूटर और टाइपिंग, इन्सुरेंस एजेंट, लोहार का काम, बड़े छोटे वाहनों का पंक्चर बनाना, एम्बुलेंस असिस्टेंट, कुरियर एजेंट, साइकिल मैकेनिक, बाइक रिपयरिंग, चाय बिस्कुट, चाउमिन और मोमोज का कारोबार, योग टीचर, संगीत और डांस, अचार और पापड़ बनाना, घरों और बिल्डिंग में पेंट का काम और बढ़ई का काम शामिल है.

Teaching skills in juvenile home
अपनी टीम के साथ पहुंचे कर्नल (ईटीवी भारत)



आर्मी वाले दे रहे ट्रेनिंग

कर्नल सिंह ने बताया कि बच्चों को आर्मी में काम कर चुके बेहतरीन तकनीकी विशेषज्ञ ट्रेंड कर रहे हैं. ट्रेनिंग में झारखंड के सैफ बटालियन का प्रमुख योगदान है.

एक ही मकसद, अपराध की तरफ दोबारा न मुड़ें

बेहद कम उम्र में अपराध करने के आरोप में बाल सुधार गृह पहुंचे बाल कैदियों को अब बेहतर जीवन जीने की ललक जग रही है. वह चाहते हैं कि बड़े होकर या फिर बाहर निकल कर गुनाह से तौबा कर रोजगार में लगेंगे. आपको बता दे की कई बाल कैदियों ने कर्नल जे के सिंह से यह गुहार लगाई थी कि उन्हें बाल सुधार गृह परिसर के अंदर ही कुछ तकनीकी ज्ञान दिलवाया जाए. ताकि वह बाहर निकल कर अपनी जीविका चला सकें, जिसके बाद कर्नल के प्रयास से जेल के अंदर बाइक रिपेयरिंग, फ्रिज निर्माण, मोबाइल निर्माण और छोटे से बजट में बिजनेस कैसे शुरू किया जाए इन सब की ट्रेनिंग का काम शुरू किया गया जो अभी भी लगातार जारी है.

Teaching skills in juvenile home
टूल किट से बच्चों को दी जा रही ट्रेनिंग (ईटीवी भारत)
छह का जिम्मा कर्नल के पास

झारखंड के 12 जिलों में बाल सुधार गृह यानी संप्रेषण गृह है जिनमें से रांची, धनबाद, दुमका, टाटा, हजारीबाग और धनबाद के विशेष गृह के देखभाल का जिम्मा कर्नल जेके सिंह के पास है. कर्नल जेके सिंह के अनुसार उनकी यह जिम्मेदारी है कि बाल सुधार गृह से निकलने वाला हर बच्चा एक बेहतर इंसान बनकर ही यहां से बाहर जाए और इसके लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं.

कौन है कर्नल जेके सिंह

कर्नल जीवन कुमार सिंह ने 31 वर्षों तक सेना में रहते हुए देश दुश्मनों के छक्के छुड़ाए और अब अपनी आवाज, अपने ट्रेनिंग स्किल और बाल कैदियों के जीवन को सही दिशा में ले जाने की वजह से लोगों के दिलों पर राज करते हैं. कर्नल जेके सिंह को उनकी काबलियत की वजह से झारखंड पुलिस ने SAP में लिया, वर्तमान में कर्नल झारखंड पुलिस में एसपी (स्पेशल टास्क फोर्स) के पद पर कार्यरत हैं.

स्पेशल टास्क फोर्स यानी झारखंड जगुआर, को हर तरह के युद्ध में माहिर बनाने में कर्नल जेके सिंह की अहम भूमिका है. कर्नल को उनके दोस्त प्यार से जेके बुलाते हैं. आपको बता दें कि 1993 में कश्मीर के बड़गांव में हिजबुल के कमांडर को मुठभेड़ में मार गिराने वाले कर्नल की दमदार आवाज की पीएम मोदी तक मुरीद हैं.

गणतंत्र दिवस परेड के दौरान झांकी की जानकारी इन्हीं की आवाज में सुनाई देती है. यानी गणतंत्र दिवस परेड में जीवन कुमार सिंह कमेंट्री करते हैं. कर्नल बताते हैं कि साल 2010 में आर्मी डे परेड के लिए उन्होंने कमेंट्री की, इसी साल पहली बार राजपथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस परेड के लिए बोलने का मौका मिला. कर्नल जे के सिंह ने सेना से प्रीमेच्योर रिटायरमेंट लेकर जून 2017 में झारखंड आए और सैफ कमांडेंट की कमान संभाली.

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गुमला सदर अस्पताल से बाल कैदी फरार, वेंटिलेटर से कूदकर भागा, पुलिस कर रही तलाश

बाल सुधार गृह के कैदी दीवार फांदकर फरार, चार पकड़ाए

रांची: राजधानी रांची के बाल सुधार गृह में एक नई बयार बह रही है, अपराध की पौध को पेड़ बनने से पहले ही उस पर पूर्ण विराम लगाने की तैयारी चल रही है और यह सब कर रहे है एक कर्नल. हम बात कर रहे हैं सेना से रिटायर्ड कर्नल जेके सिंह की, कर्नल जेके सिंह बाल कैदियों के उत्थान के लिए पहले भी कई तरह के काम करते आए हैं, लेकिन अब कर्नल बाल कैदियों को 55 गुणों में माहिर कर रहे हैं. ताकि जब वे बाल सुधार गृह से निकले तो वे रोजगार के लिए तैयार हो कर निकले.

कर्नल की देखरेख में शुरू हुई ट्रेनिंग

कर्नल जीवन कुमार सिंह यानी जेके सिंह की, कश्मीर में आतंकियों और झारखंड में नक्सलियों से लोहा लेने वाले कर्नल जेके सिंह झारखंड के बाल सुधार गृह में बंद बाल कैदियों को रोजगार से जोड़ने की जुगत में लगे हुए हैं. मकसद साफ है की जब बाल कैदी सुधार गृह से बाहर निकले तो वो वापस अपराध के रास्ते पर न जाकर उन्होंने जो हुनर सीखा है उससे अपना जीवन आगे चलाएं. झारखंड के 12 बाल सुधार गृहों में से 6 की जिम्मेदारी कर्नल जेके सिंह के कंधों पर है. अपनी उस जिम्मेदारी को कर्नल बेहद संजीदगी से निभा रहे हैं.

बाल कैदियों को जुर्म की दलदल में जाने से बचाने की मुहिम (ईटीवी भारत)



रोजगार के गुर सीख रहे बाल कैदी

कर्नल जेके सिंह के देखरेख में बाल सुधार गृह के बाल बंदियों को कौशल विकास के तहत हुनरमंद बनाया जा रहा है. रांची के डूमरदग्गा स्थित बाल सुधार गृह में फिलहाल 70 से ज्यादा नबालिग हैं, जिनमे से कोई साइकल बनाना सीख रहा है, तो कोई मोमबत्ती, तो कोई कुछ और लेकिन हर बाल कैदी कुछ न कुछ जरूर सीख रहा है. कर्नल जेके सिंह ने बताया कि झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता की पहल पर बाल सुधार गृह के बच्चों को कौशल विकास से जुड़े योजनाओं के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसमे बच्चे बाइक रिपेरिंग, साइकिल रिपयरिंग, मोमबत्ती निर्माण, प्रिंटिंग प्रेस की ट्रेनिंग, कुकिंग, खेती जैसे विभिन्न कार्यों को सीख रहे हैं.

Teaching skills in juvenile home
बाल सुधार गृह (ईटीवी भारत)



55 तरह की ट्रेनिंग

कर्नल ने बताया कि बाल सुधार गृह में 55 तरह के रोजगार करने के तरीके सिखाये जा रहे हैं. जिनमे वेल्डिंग का काम, गाय बकरी घरेलू पशुपालन का कोर्स, धोबी का काम, कुकिंग कोर्स, कम्पाउंडर का काम, दर्जी का काम, मिट्टी के बर्तन बनाना, केसर और मशरूम की खेती, पान बनाने की विधि, इलेक्ट्रानिक समानों की रिपयरिंग, सब्जी का व्यापार करना, कम्प्यूटर और टाइपिंग, इन्सुरेंस एजेंट, लोहार का काम, बड़े छोटे वाहनों का पंक्चर बनाना, एम्बुलेंस असिस्टेंट, कुरियर एजेंट, साइकिल मैकेनिक, बाइक रिपयरिंग, चाय बिस्कुट, चाउमिन और मोमोज का कारोबार, योग टीचर, संगीत और डांस, अचार और पापड़ बनाना, घरों और बिल्डिंग में पेंट का काम और बढ़ई का काम शामिल है.

Teaching skills in juvenile home
अपनी टीम के साथ पहुंचे कर्नल (ईटीवी भारत)



आर्मी वाले दे रहे ट्रेनिंग

कर्नल सिंह ने बताया कि बच्चों को आर्मी में काम कर चुके बेहतरीन तकनीकी विशेषज्ञ ट्रेंड कर रहे हैं. ट्रेनिंग में झारखंड के सैफ बटालियन का प्रमुख योगदान है.

एक ही मकसद, अपराध की तरफ दोबारा न मुड़ें

बेहद कम उम्र में अपराध करने के आरोप में बाल सुधार गृह पहुंचे बाल कैदियों को अब बेहतर जीवन जीने की ललक जग रही है. वह चाहते हैं कि बड़े होकर या फिर बाहर निकल कर गुनाह से तौबा कर रोजगार में लगेंगे. आपको बता दे की कई बाल कैदियों ने कर्नल जे के सिंह से यह गुहार लगाई थी कि उन्हें बाल सुधार गृह परिसर के अंदर ही कुछ तकनीकी ज्ञान दिलवाया जाए. ताकि वह बाहर निकल कर अपनी जीविका चला सकें, जिसके बाद कर्नल के प्रयास से जेल के अंदर बाइक रिपेयरिंग, फ्रिज निर्माण, मोबाइल निर्माण और छोटे से बजट में बिजनेस कैसे शुरू किया जाए इन सब की ट्रेनिंग का काम शुरू किया गया जो अभी भी लगातार जारी है.

Teaching skills in juvenile home
टूल किट से बच्चों को दी जा रही ट्रेनिंग (ईटीवी भारत)
छह का जिम्मा कर्नल के पास

झारखंड के 12 जिलों में बाल सुधार गृह यानी संप्रेषण गृह है जिनमें से रांची, धनबाद, दुमका, टाटा, हजारीबाग और धनबाद के विशेष गृह के देखभाल का जिम्मा कर्नल जेके सिंह के पास है. कर्नल जेके सिंह के अनुसार उनकी यह जिम्मेदारी है कि बाल सुधार गृह से निकलने वाला हर बच्चा एक बेहतर इंसान बनकर ही यहां से बाहर जाए और इसके लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं.

कौन है कर्नल जेके सिंह

कर्नल जीवन कुमार सिंह ने 31 वर्षों तक सेना में रहते हुए देश दुश्मनों के छक्के छुड़ाए और अब अपनी आवाज, अपने ट्रेनिंग स्किल और बाल कैदियों के जीवन को सही दिशा में ले जाने की वजह से लोगों के दिलों पर राज करते हैं. कर्नल जेके सिंह को उनकी काबलियत की वजह से झारखंड पुलिस ने SAP में लिया, वर्तमान में कर्नल झारखंड पुलिस में एसपी (स्पेशल टास्क फोर्स) के पद पर कार्यरत हैं.

स्पेशल टास्क फोर्स यानी झारखंड जगुआर, को हर तरह के युद्ध में माहिर बनाने में कर्नल जेके सिंह की अहम भूमिका है. कर्नल को उनके दोस्त प्यार से जेके बुलाते हैं. आपको बता दें कि 1993 में कश्मीर के बड़गांव में हिजबुल के कमांडर को मुठभेड़ में मार गिराने वाले कर्नल की दमदार आवाज की पीएम मोदी तक मुरीद हैं.

गणतंत्र दिवस परेड के दौरान झांकी की जानकारी इन्हीं की आवाज में सुनाई देती है. यानी गणतंत्र दिवस परेड में जीवन कुमार सिंह कमेंट्री करते हैं. कर्नल बताते हैं कि साल 2010 में आर्मी डे परेड के लिए उन्होंने कमेंट्री की, इसी साल पहली बार राजपथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस परेड के लिए बोलने का मौका मिला. कर्नल जे के सिंह ने सेना से प्रीमेच्योर रिटायरमेंट लेकर जून 2017 में झारखंड आए और सैफ कमांडेंट की कमान संभाली.

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Last Updated : Feb 19, 2025, 6:21 PM IST
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