खूंटी: जिले में ऐसे स्कूल चल रहे हैं, जिसके बारे में प्रशासन को यह पता नहीं है कि वहां क्या पढ़ाई होती है. बताया जाता है कि यह स्कूल एसी कुटुंब परिवार की निगरानी में चल रहे हैं. इलाके के स्कूलों में 500 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. इन स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी और सामान्य ज्ञान की पढ़ाई होती है, लेकिन छात्रों को पीएम, सीएम और राष्ट्रपति तक का नाम पता नहीं है. ईटीवी भारत में प्रकाशित खबर के बाद शिक्षा विभाग की टीम ने स्कूलों की जांच की है.
क्या है पूरा मामला
खूंटी जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित इलाके में कई गांवों में एसी कुंटूंब परिवार के स्कूल संचालित हो रहे हैं. इलाके में मौजूद स्कूलों का सिलेबस क्या है, बच्चों को क्या पढ़ाया जाता है किसी को मालूम नहीं है. ईटीवी भारत की टीम ने जब स्कूल के बच्चों और शिक्षकों से जानने की कोशिश की, तो कैमरे में कुछ भी बोलने से बचते नजर आए.
ऑफ कैमरा शिक्षक ने क्या कहा
पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर स्कूल में पढ़ाने वाले एक शिक्षक ने कहा कि हम सिर्फ शिक्षक हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल का संचालन खुद छात्रों के माता-पिता करते हैं. उन्होंने खुद को मैट्रिक पास बताते हुए स्कूल में हिंदी और जीके पढ़ाने की बात कही है. जब उनसे देश का राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारी एक ही सरकार है, जो गुजरात में है औैर वहीं से कंट्रोल होता है. शिक्षक ने कहा कि हमलोग किसी भी जाति धर्म से नहीं हैं और हमारी कोई संस्कृति भी नहीं है.
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ईटीवी भारत की टीम जब इन स्कूलों की पड़ताल करने गई तो स्कूलों में छुट्टी हो चुकी थी और छोटे-बड़े बच्चे घर जाने की जल्दी में थे. बच्चों से जब बात करने की कोशिश की गई तो बच्चे डरे सहमे दिखे. विश्वास में लेने के बाद बच्चों ने बताया कि कक्षा 1 से 8 तक स्कूलों में गणित, हिंदी, अंग्रेजी, जीके, विज्ञान आदि विषयों की पढ़ाई होती है. विद्यालय संबंधी पूछताछ करने पर एक शिक्षक ने कहा कि हम बच्चों को पढ़ाते हैं. बच्चों से फीस लेने के संबंध में शिक्षक ने कुछ भी बोलने से इंकार किया.
इलाके के कुरुंगा निवासी समाजसेवी मंगल मुंडा ने कहा कि अधिकारियों के आने से स्कूल का कायाकल्प होगा और अवैध तरीके से चल रहे स्कूल बंद होंगे. साथ ही पहले से जो स्कूल बंद हुए हैं वो स्कूल भी चालू होगा. उन्होंने सरकार से मांग की है कि बच्चों के भविष्य को अंधकार से बाहर निकालने में मदद करें, ताकि बच्चों में भटकाव न हो और उन्हें सही शिक्षा मिल सके.
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शिक्षा अधिकारी ने क्या कहा
वहीं इस मामले को लेकर जिला के शिक्षा पदाधिकारी अभय सील अन्य पदाधिकारियों के साथ असंवैधानिक तरीके से चल रहे स्कूलों की जांच करने पहुंचे. उन्होंने इलाके के कई पंचायतों के स्कूल का दौरा किया. शिक्षा अधिकारी ने बताया कि 2018 के बाद स्कूल मर्ज हुआ है. उन्होंने मामले को लेकर डीसी से संज्ञान लेने की बात कही है. डीईओ ने कहा कि इस पूरे मामले पर एक कार्ययोजना बनाकर काम किया जाएगा और क्षेत्र में चल रहे वैसे स्कूलों को निचले अफसरों से जांच कराई जाएगी और जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी. वे ऐसे कोचिंग पर टिप्पणी करने से भी बचते नजर आए.
एसी कुटुंब समुदाय का विस्तार
दरअसल, पत्थलगड़ी आंदोलन कर जिले में इन लोगों ने अपनी एक हुकूमत कायम करने की कोशिश की थी. बाद में प्रशासन की सख्ती और कार्रवाई के बाद यह आंदोलन लगभग खत्म हो गया था, लेकिन अड़की क्षेत्र के कुरुंगा, मुचिया और बरगड़ी गांव के 22 परिवार इससे जुड़े रहे. वे सभी परिवार खुद को एसी कुटुंब परिवार का सदस्य मानने लगे. यह परिवार आदिवासी समुदाय के ही हैं, लेकिन आदिवासियों की तरह अभिवादन के लिए जोहार नहीं कहते हैं. एसी कुटुंब परिवार 'स्वकर्ता पितु की जय' का इस्तेमाल करते हैं.
एसी कुटुंब समुदाय अपनी पहचान के लिए किसी भी तरह के सरकारी दस्तावेज नहीं रखते हैं. कुरुंगा, मुचिया और बरगड़ी गांव के 22 घरों के परिवार कुंवर केशरी को अपनी सरकार मानते हैं. जिनका जन्म गुजरात के तापी जिले की व्यारा तहसील के काटास्वान गांव में हुआ है. कुंवर केशरी सिंह के अनुयायी उन्हें भारत की असली सरकार मानते हैं. ये लोग देवी-देवता को नहीं मानते हैं. अब इन्हीं कुंवर केशरी सिंह का बेटा रविंद्र गामीथ 'एसी भारत सरकार' चलाता है और आदिवासियों को गुमराह कर खुद से जोड़ता है और इन्हीं से जुड़कर यह लोग खूंटी में सराकारी तंत्र का बहिष्कार करते रहे हैं.
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