रांचीः पूरे प्रदेश में 10 जून से ही बालू के उत्खनन को लेकर एनजीटी ने रोक लगा रखी है लेकिन झारखंड की कहानी कुछ अलग है. बालू माफिया एनजीटी के रोक के पहले हो या बाद, बिना किसी रोक-टोक के तस्करी के माध्यम से करोड़ों की उगाही कर रहे हैं. बालू माफिया के नोटों से पुलिस, खनन विभाग के अफसर और गैंगस्टर से लेकर अपराधी तक सब मालामाल हो रहे हैं.
बालू घाटों की नीलामी अधूरी
झारखंड में बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया अधूरी होने का फायदा उठा कर तस्कर बालू का उठाव कर रहे हैं और ऊंची कीमत पर बाजार में बेच रहे हैं. झारखंड में वर्ष 2019 में बालू घाटों का टेंडर किया गया था लेकिन वह आज भी फाइनल नहीं हो पाया है. दरअसल, राज्य सरकार के द्वारा साल 2018 में ही फैसला लिया गया था. जिसके अनुसार कैटगरी दो के सभी बालू घाटों का संचालन झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड को करना है, इसके बाद से ही टेंडर की प्रक्रिया चल रही है. बता दें कि झारखंड में 608 बालू घाट चिन्हित हैं. वर्तमान में चिन्हित 608 बालू घाटों के अलावा तस्करों के द्वारा निर्मित दर्जनों घाटों से भी बालू की तस्करी की जा रही है.
बालू घाटों की नीलामी न होने के कारण बालू माफिया झारखंड के हर जिले में अपना सिंडिकेट बनाकर बालू का उठाव कर हर महीने सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं. झारखंड के सभी जिलों में बालू तस्करों का सिंडिकेट इतना मजबूत है कि वे बड़े आराम से एनजीटी के रोक के बावजूद बालू का उठाव कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो इस सिंडिकेट में पुलिस, खनन अफसर, गैंगस्टर से लेकर नक्सली और लोकल अपराधी भी बालू माफिया के साथ मिलकर अपनी जेबें भर रहे हैं.
जिलों में कैसे हो रहा अवैध खनन
झारखंड के सभी जिलों की बात करें तो लगभग हर जिले में बालू का अवैध कारोबार जारी है. झारखंड के साहिबगंज, रामगढ़, कोडरमा, हजारीबाग, चतरा, धनबाद, गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम, देवघर, खूंटी, रांची और दुमका में बालू का अवैध खनन और उठाव धड़ल्ले से जारी है. इन जिलों में बालू माफिया बहुत ज्यादा मजबूत हैं, उनका सिंडिकेट भी तगड़ा है.
रांची जिला में 29 बालूघाट हैं लेकिन इनमें से एक का भी टेंडर नहीं हो पाया है. टेंडर नहीं होने से रात में नदी किनारे माफिया का राज कायम हो जाता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केवल रांची से ही हर रात 500 ट्रक से ज्यादा बालू का उठाव किया जाता है. रांची के खलारी, बुढ़मू, बुंडू सहित आधा दर्जन इलाकों में बालू माफिया का खुला राज चलता है.
खूंटी,झारखंड का खूंटी जिला भी बालू तस्करी के लिए कुख्यात है. खूंटी के कारो और कांची नदी से सबसे ज्यादा बालू की अवैध निकासी की जाती है.
पूर्वी सिंहभूम के स्वर्णरेखा नदी के पास वाले इलाको में बालू का अवैध उठाव होता है. जिनमें बारीडीह, उलीडीह, मानगो, बडशोल, गुड़ाबांधा और बंगाल से पटमदा में जमकर बालू की तस्करी की जा रही है.
चतरा के गढ़केदाली, लोहरसिग्ना और घोरीघाट की बंदोबस्ती हुई है. लेकिन जिला के हंटरगंज प्रखंड के निलाजन नदी से बालू की तस्करी सबसे ज्यादा की जाती है.
पलामू, झारखंड के पलामू में एक भी बालू घाट की बंदोबस्ती नहीं है. इसके बावजूद यहां कोयल, सोन, अमानत, औरंगा नदियों से जबरदस्त बालू की तस्करी की जा रही है.
इन कुछ जिलों के अलावा बाकी जिलों का भी हाल बेहाल है. गिरिडीह, रामगढ़, हजारीबाग और दुमका में भी बालू माफिया बेहद एक्टिव हैं. यहां नदी घाटों से बालू की तस्करी जमकर की जा रही है.
हर महीने 300 करोड़ का कारोबार
एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक केवल झारखंड में ही 300 करोड़ रुपए के बालू का अवैध कारोबार प्रतिमाह हो रहा है. दूसरी और झारखंड के खनन विभाग को वित्तीय वर्ष 2022-23 में बालू से केवल 199.70 लाख रुपए ही राजस्व के रूप में मिले हैं.