ETV Bharat / bharat

नक्सल संगठन में नई बहाली और रीसाइक्लिंग पर लगा ब्रेक, झारखंड में अंतिम सांसें गिन रहा लाल आतंक - NAXALITES IN JHARKHAND

झारखंड में नक्सली खत्म होने की कगार पर हैं. पुलिसिया अभियान की वजह से उन्हें नए कैडर नहीं मिल रहे हैं.

NAXALITES IN JHARKHAND
ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 8, 2025, 6:28 PM IST

रांचीः झारखंड पुलिस के ताबड़तोड़ अभियान की वजह से नक्सलियों के पांव लगातार झारखंड से उखड़ रहे हैं. स्थिति यह है कि नक्सलियों को अब नए कैडर नहीं मिल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ जेल से निकलने वाले पुराने कैडर भी संगठन में वापस नहीं लौट रहे हैं.

वर्तमान में क्या है पुलिस का इनपुट

अपने आप को झारखंड का सबसे बड़ा नक्सली संगठन होने का दावा करने वाले भाकपा माओवादियों के पास कैडरों की भारी कमी हो गई है. डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार नक्सली संगठन में नई बहाली और रीसाइक्लिंग यानी पुराने कैडरों का वापस संगठन में लौटना पूरी तरह से बंद हो गया है. झारखंड के तमाम वैसे नक्सली क्षेत्र जहां पूर्व में ट्रेनिंग सेंटर चला करते थे वह भी बंद हो चुके हैं. पुलिस के लगातार किए जा रहे प्रहार की वजह से छोटे कैडर फरार हो चुके हैं, वहीं नए युवा संगठन से किनारा कर रहे हैं.

जानकारी देते डीजीपी अनुराग गुप्ता (ईटीवी भारत)

डीजीपी के अनुसार वर्तमान समय में जिन इलाकों में झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों के द्वारा बड़े अभियान चलाकर नक्सलियों को खदेड़ दिया गया है, वहां की वस्तु स्थिति फिलहाल ऐसी ही है, इन इलाकों में छोटे कैडरों के पास ना हथियार है, ना गोलियां और ना ही रसद. जिनके बल पर वे संगठन को आगे बढ़ा सके. ऐसे दर्जन भर छोटे कैडर संगठन छोड़ कर फरार हो चुके हैं.

बूढ़ापहाड़, पारसनाथ, सारंडा और बुलबुल जैसे ट्रेनिंग कैंप पर पुलिस का पहरा

झारखंड में नक्सलियों की नई बहाली और ट्रेनिंग सेंटर के लिए चार सबसे विख्यात जगह थे, पहला बूढ़ा पहाड़, दूसरा पारसनाथ, तीसरा बुलबुल जंगल और चौथा सारंडा जंगल. पहले तीन स्थानों से नक्सलियों को पूरी तरह से खदेड़ दिया गया है, उनके ट्रेनिंग कैंप को नष्ट कर दिया गया है. जिन स्थानों पर नई बहाली के लिए पर्चे जारी होते थे, ग्रामीणों को संगठन में आने के लिए धमकियां दी जाती थी, उनमें से अधिकांश इलाकों से नक्सलियों को बाहर कर दिया गया है.

ऐसे में एकमात्र सारंडा ही ऐसा जगह बच गया है, जहां 60 से ज्यादा नक्सली जमा हैं. जिसमें कई एक करोड़ के इनामी भी हैं. लेकिन इस इलाके में भी नक्सली अपनी ट्रेनिंग कैंप और नई बहाली को बंद करके रखे हुए हैं, क्योंकि नए कैडर उनके पास पहुंच ही नहीं पा रहे हैं.

रसद पर लग गई है ब्रेक

संगठन में नए कैडरों के नहीं आने की एक बड़ी वजह रसद भी है. जंगलों और बीहड़ों में रहकर पुलिस से मुकाबला करने की कोशिश में लगे नक्सलियों के सामने कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो गई हैं, आमतौर पर हम पुलिस की सफलता का आकलन उनके द्वारा गिरफ्तार किए गए, एनकाउंटर में मारे गए नक्सलियों के अलावा छापेमारी में बरामद असलहे और गोला बारूद को लेकर करते हैं.

यह सही है कि किसी भी संगठन के अत्याधुनिक हथियार और गोला बारूद बड़ी मात्रा में अगर पुलिस जब्त कर ले तो संगठन कमजोर हो जाता है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि अगर संगठन के बीच अनाज, कपड़े और मेडिसिन की कमी हो जाय तो ये उनके लिए बड़ी मुसीबत है.

झारखंड पुलिस की तरफ से नक्सलियों के मजबूत गढ़ माने जाने वाले कई स्थानों पर उनकी रसद को ही रोक दिया गया है. जो रोजमर्रा के सामान नक्सलियों ने बंकर में छुपा कर रखा था, वह भी पुलिस की नजर में आ गए और पुलिस ने उन बंकरों को ध्वस्त कर दिया. अब छोटे कैडर झारखंड पुलिस के टारगेट में हैं ताकि उन्हें मुख्यधारा में जोड़कर नक्सलियों को बड़ी और गहरी चोट दी जा सके.

ये भी पढ़ेंः

कभी झारखंड के थे इनामी नक्सली, ऑपरेशन नई दिशा ने दिखाई राह, अब परिवार संग जी रहे सुकून की जिंदगी

क्यों बौखला गया है 15 लाख का इनामी नक्सली नितेश यादव? 70 से अधिक नक्सल हमले को अंजाम देने का है आरोप

36 दिनों में पांच वांटेड का एनकाउंटर, करीब 24 सलाखों के पीछे, झारखंड से जल्द खत्म होंगे नक्सली

रांचीः झारखंड पुलिस के ताबड़तोड़ अभियान की वजह से नक्सलियों के पांव लगातार झारखंड से उखड़ रहे हैं. स्थिति यह है कि नक्सलियों को अब नए कैडर नहीं मिल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ जेल से निकलने वाले पुराने कैडर भी संगठन में वापस नहीं लौट रहे हैं.

वर्तमान में क्या है पुलिस का इनपुट

अपने आप को झारखंड का सबसे बड़ा नक्सली संगठन होने का दावा करने वाले भाकपा माओवादियों के पास कैडरों की भारी कमी हो गई है. डीजीपी अनुराग गुप्ता के अनुसार नक्सली संगठन में नई बहाली और रीसाइक्लिंग यानी पुराने कैडरों का वापस संगठन में लौटना पूरी तरह से बंद हो गया है. झारखंड के तमाम वैसे नक्सली क्षेत्र जहां पूर्व में ट्रेनिंग सेंटर चला करते थे वह भी बंद हो चुके हैं. पुलिस के लगातार किए जा रहे प्रहार की वजह से छोटे कैडर फरार हो चुके हैं, वहीं नए युवा संगठन से किनारा कर रहे हैं.

जानकारी देते डीजीपी अनुराग गुप्ता (ईटीवी भारत)

डीजीपी के अनुसार वर्तमान समय में जिन इलाकों में झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों के द्वारा बड़े अभियान चलाकर नक्सलियों को खदेड़ दिया गया है, वहां की वस्तु स्थिति फिलहाल ऐसी ही है, इन इलाकों में छोटे कैडरों के पास ना हथियार है, ना गोलियां और ना ही रसद. जिनके बल पर वे संगठन को आगे बढ़ा सके. ऐसे दर्जन भर छोटे कैडर संगठन छोड़ कर फरार हो चुके हैं.

बूढ़ापहाड़, पारसनाथ, सारंडा और बुलबुल जैसे ट्रेनिंग कैंप पर पुलिस का पहरा

झारखंड में नक्सलियों की नई बहाली और ट्रेनिंग सेंटर के लिए चार सबसे विख्यात जगह थे, पहला बूढ़ा पहाड़, दूसरा पारसनाथ, तीसरा बुलबुल जंगल और चौथा सारंडा जंगल. पहले तीन स्थानों से नक्सलियों को पूरी तरह से खदेड़ दिया गया है, उनके ट्रेनिंग कैंप को नष्ट कर दिया गया है. जिन स्थानों पर नई बहाली के लिए पर्चे जारी होते थे, ग्रामीणों को संगठन में आने के लिए धमकियां दी जाती थी, उनमें से अधिकांश इलाकों से नक्सलियों को बाहर कर दिया गया है.

ऐसे में एकमात्र सारंडा ही ऐसा जगह बच गया है, जहां 60 से ज्यादा नक्सली जमा हैं. जिसमें कई एक करोड़ के इनामी भी हैं. लेकिन इस इलाके में भी नक्सली अपनी ट्रेनिंग कैंप और नई बहाली को बंद करके रखे हुए हैं, क्योंकि नए कैडर उनके पास पहुंच ही नहीं पा रहे हैं.

रसद पर लग गई है ब्रेक

संगठन में नए कैडरों के नहीं आने की एक बड़ी वजह रसद भी है. जंगलों और बीहड़ों में रहकर पुलिस से मुकाबला करने की कोशिश में लगे नक्सलियों के सामने कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो गई हैं, आमतौर पर हम पुलिस की सफलता का आकलन उनके द्वारा गिरफ्तार किए गए, एनकाउंटर में मारे गए नक्सलियों के अलावा छापेमारी में बरामद असलहे और गोला बारूद को लेकर करते हैं.

यह सही है कि किसी भी संगठन के अत्याधुनिक हथियार और गोला बारूद बड़ी मात्रा में अगर पुलिस जब्त कर ले तो संगठन कमजोर हो जाता है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि अगर संगठन के बीच अनाज, कपड़े और मेडिसिन की कमी हो जाय तो ये उनके लिए बड़ी मुसीबत है.

झारखंड पुलिस की तरफ से नक्सलियों के मजबूत गढ़ माने जाने वाले कई स्थानों पर उनकी रसद को ही रोक दिया गया है. जो रोजमर्रा के सामान नक्सलियों ने बंकर में छुपा कर रखा था, वह भी पुलिस की नजर में आ गए और पुलिस ने उन बंकरों को ध्वस्त कर दिया. अब छोटे कैडर झारखंड पुलिस के टारगेट में हैं ताकि उन्हें मुख्यधारा में जोड़कर नक्सलियों को बड़ी और गहरी चोट दी जा सके.

ये भी पढ़ेंः

कभी झारखंड के थे इनामी नक्सली, ऑपरेशन नई दिशा ने दिखाई राह, अब परिवार संग जी रहे सुकून की जिंदगी

क्यों बौखला गया है 15 लाख का इनामी नक्सली नितेश यादव? 70 से अधिक नक्सल हमले को अंजाम देने का है आरोप

36 दिनों में पांच वांटेड का एनकाउंटर, करीब 24 सलाखों के पीछे, झारखंड से जल्द खत्म होंगे नक्सली

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.