हजारीबाग: बसंत के आगमन के साथ ही पेड़ों से ठठेरा बसंता चिड़िया की टुक-टुक आवाज सुनाई देने लगी है. बसंता लगातार टुक-टुक की आवाज लगाकर बसंत ऋतु के आगमन और गर्मी के दस्तक देने की सूचना देती है. यह चिड़िया जिले के कई क्षेत्रों में देखने को मिल रही है. इसकी आवाज ही इस चिड़िया की पहचान है. इसकी आवाज टुक-टुक के समान आती है. जिसे सुन कर ऐसा लगता है कि कोई ठठेरा तांबे की बर्तन पर चोट कर रहा हो.
इस चिड़िया का अंग्रेजी नाम कॉपर स्मिथ बार्बेट है. इसकी लगातार आने वाली आवाज के कारण ही इसे ठठेरा चिड़िया कहा गया है. इसकी आवाज हथौड़े से तांबे के बर्तन को पीटने जैसा है. इस साल बसंत ऋतु की शुरुआत दो फरवरी से हुई है. बसंत की शुरुआत को जानने के लिए लोग पंचांग देखते हैं. ठठेरा बसंता के पास कोई पंचांग नहीं है. इसके बाद भी वह बसंत के आगमन की सूचना देने लगता है. बसंत ऋतु के आगमन पर यह सक्रिय हो जाता है.
हजारीबाग के पक्षी शोधार्थी मुरारी सिंह कहते हैं कि ठठेरा बसंता मौसम के सूचक के रूप में जाना जाता है. बसंत मौसम के आगमन के साथ इसकी टूक-टूक आवाज कानों तक पहुंचने लगती है. गर्मियों के मौसम में इसकी आवाज और भी अधिक बढ़ जाती है. गर्मी का मौसम खत्म होने के बाद यह चिड़िया चुप्पी साध लेती है. दरअसल, बसंता ठठेरा कहे जाने वाली यह चिड़िया अपनी फीमेल पार्टनर को आकर्षित करने के लिए आवाज लगाती है.
इंडियन बर्ड कंजर्वेशन नेटवर्क के स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. सत्य प्रकाश बताते हैं कि चिड़िया को मौसम बदलने की सटीक जानकारी उनके शरीर के अंदर के बायोलॉजिकल क्लॉक से मिलती है. दिन में सूरज के प्रकाश का तापमान और अवधि बदलने पर इनका बायोलॉजिकल क्लॉक सूचना देता है. बदलते तापमान को महसूस कर सकते हैं. एटमॉस्फेरिक प्रेशर और पेड़ पौधों में होने वाले परिवर्तन को चिड़िया महसूस करती है. इनसे चिड़ियों को ऋतु परिवर्तन की सटीक जानकारी मिल जाती है.
बसंता चिड़िया की लंबाई मात्र 5 से 6 इंच है. यह हमेशा पेड़ के सबसे ऊंची टहनी पर बैठकर आवाज लगाती है. कीट और फ्रूट बेरी को खाती है. पुराने सूखे पेड़ के तना में नीचे से छेद कर अपना घोंसला बनाती है. इसके घोंसले के होल में मैना जैसी चिड़िया का सिर भी नहीं घुस पाता है. इस वजह से इसके अंडे और बच्चे सुरक्षित रहते हैं.
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