सागर:कोई बाघिन महज 6 महीने की हो और अपनी मां से बिछड़ जाए, तो माना जाता है कि वो जीवन भर बाघ की तरह नहीं जी पाएगी और ना उसमें शिकार की क्षमता विकसित होगी और ना ही मां बन पाएगी. ऐसा ही कुछ नौरादेही की बाघिन राधा के साथ हुआ, जिसे नौरादेही टाइगर रिजर्व में एन-1 कोड दिया गया है. बाघिन राधा का जन्म पेंच टाइगर रिजर्व में हुआ था. बचपन में ही राधा अनाथ हो गई. 2018 में बाघविहीन नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य में बाघ किशन के साथ छोड़ा गया. बाघिन राधा ने किशन के साथ मिलकर बाघ विहीन नौरादेही में बाघों का कुनबा 18 तक पहुंचा दिया. इसलिए अब अनाथ राधा की पहचान मदर ऑफ नौरादेही के तौर पर होती है.
आखिर क्या हुआ था बाघिन राधा के परिवार के साथ
बाघिन राधा की मां ने करीब 2014-15 में एक साथ चार शावकों को जन्म दिया था. जिनमें से एक राधा भी थी. 2015 में पेंच टाइगर रिजर्व में जहां राधा का परिवार पानी पीने जाता था, वहां के पानी में शिकारियों ने जहर मिला दिया और बाघिन और दो शावकों की मौके पर ही मौत हो गई. इस हादसे में राधा सहित एक और शावक जीवित बचा था, जिसे रेसक्यू कर कान्हा टाइगर रिजर्व भेजा गया. लेकिन दो दिन बाद एक और शावक ने दम तोड़ दिया. अब अकेली राधा जिंदा बची. जिसका जंगल में रहने का प्रशिक्षण शुरू किया गया.
अनाथ बाघिन ने आबाद कर दिया रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व (ETV Bharat) मां ही सिखाती है शावकों को जिंदगी जीना
जब कोई बाघिन शावकों को जन्म देती है,तो आमतौर पर दो साल तक अपने साथ रखती है. इस दौरान वो अपने शावकों को जंगल में रहने, टैरिटरी बनाने और शिकार करने जैसे गुण सिखाती है. फिर बाघिन को जब भरोसा हो जाता है कि उसके शावक जंगल की जिंदगी जी लेंगे तो वह उनको जंगल में आजाद छोड़ देती है. बाघिन राधा को कान्हा टाइगर रिजर्व भेजा गया. जहां राधा को कई दिनों तक ट्रेनिंग दी गई. कैसे जंगल में उसे जीना है, कैसे उसे शिकार करना है और कैसे दूसरे बाघों के साथ जीवन बिताना है.
बाघिन राधा का संघर्ष (ETV Bharat) राधा बन गई मदर ऑफ नौरादेही
2018 में राधा को ट्रेनिंग के बाद बाघविहीन नौरादेही टाइगर रिजर्व में बांधवगढ़ के बाघ किशन के साथ छोड़ा गया. वन विभाग को राधा से ज्यादा उम्मीद नहीं थी. लेकिन इसके विपरीत एक साल के भीतर मई 2019 में राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया. जिनमें दो मादा और एक नर था. यहीं से नौरादेही में बाघों का कुनबा बढ़ना शुरू हुआ और महज 4 साल में जब बाघों की संख्या 18 पहुंच गई तो एनटीसीए ने मध्यप्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व के रूप में नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य को वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया.
'राधा ने नौरादेही को किया गुलजार'
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डाॅ ए ए अंसारी बताते हैं कि "राधा पेंच टाइगर रिजर्व से हैं. यहां जहर खुरानी में राधा की मां और तीन शावकों की मौत हो गई थी और एक शावक बच गया था. उसकी ट्रेनिंग कान्हा टाइगर रिजर्व में हुई थी. इसे राधा नाम दिया गया. नौरादेही में 2018 में राधा को और बांधवगढ़ के एक बाघ किशन को छोड़ा गया. इसे यहां एन 1 नाम दिया गया. राधा के लिए यहां सर्वाइव करना किसी चुनौती से कम नहीं था लेकिन उसने नौरादेही को गुलजार कर दिया."