भोपाल : मध्य प्रदेश के 25 लाख से ज्यादा लोगों को बिजली विभाग करारा झटका देने की तैयारी में है. मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग के सामने प्रति यूनिट चार्ज बढ़ाने, 150 यूनिट का सब्सिडी स्लैब खत्म करने समेत 7.52 प्रतिशत की दर से यूनिट चार्ज बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है. अगर नियामक आयोग ने मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के इस प्रस्ताव को माना तो प्रदेश के 1 करोड़ 27 लाख उपभोक्ताओं की जेब पर असर पड़ेगा ही वहीं 25 लाख उपभोक्ताओं को करारा झटका लगेगा.
इन 25 लाख उपभोक्ताओं पर सबसे ज्यादा असर होगा
विद्युत नियामक आयोग के सामने मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने ये भी प्रस्ताव रखा है कि 150 से 300 यूनिट वाले स्लैब को खत्म किया जाए. अगर इस स्लैब को खत्म किया गया तो इसमें आने वाले बिजली उपभोक्ताओं को 500 यूनिट वाले स्लैब के हिसाब से बिजली बिल देना पड़ सकता है, जो काफी ज्यादा होगा. बता दें कि प्रदेश के 1 करोड़ 27 लाख उपभोक्ताओं में से 150 यूनिट वाले स्लैब में लगभग 1 करोड़ उपभोक्ता आते हैं और इन्हें सब्सिडी भी दी जाती है. इस स्लैब के बाहर जाने पर प्रति यूनिट दरें बढ़ती चली जाती हैं.
50 पैसे बढ़ाकर इस स्लैब को खत्म करने का प्रस्ताव
बिजली विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल के मुताबिक, '' वर्तमान में 50 से 150 यूनिट से बीच बिजली खपत होने पर 5.23 रु प्रति यूनिट, 150 से 300 यूनिट खपत के लिए 6.61 रु प्रति यूनिट और 300 से ज्यादा खपत के लिए 6.80 रु प्रति यूनिट का चार्ज लिया जाता है, लेकिन पावर मैनेजमेंट कंपनी ने विद्युत नियामक आयोग के सामने प्रति यूनिट चार्ज बढ़ाने की सिफारिश की है. इसके लिए क्रमश: 39 पैसे, 50 पैसे और 31 पैसे प्रति यूनिट चार्ज बढ़ाने की बात कही गई है. अगर ऐसा हुआ तो 150 से 300 यूनिट की खपत की नई दरों और 300 यूनिट से ज्यादा खपत की दरें एक समान यानी 7.11 रु प्रति यूनिट हो जाएंगी. इसी वजह से 150 से 300 यूनिट वाले स्लैब को खत्म करने का भी प्रस्ताव रखा गया है.''
यूनिट (स्लैब) | वर्तमान दर/यूनिट | प्रस्तावित दर/यूनिट |
51 यूनिट तक | 4.27 रु | 4.59 रु |
51 से 150 | 5.23 रु | 5.62 रु |
150 से 300 | 6.61 रु | 7.11 रु |
300 से अधिक | 6.80 रु | 7.11 रु |
नोट :100 यूनिट तक सब्सिडी के तहत 100 रु बिल जनरेट होता है. |
24 जनवरी तक आपत्तियां बुलाईं, फिर होगी सुनवाई
मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के इस प्रस्ताव की कांग्रेस ने जमकर आलोचना करते हुए सरकार को घेरेने का प्रयास भी किया है. कांग्रेस ने कहा है कि जनता पर बिजली बिल का अतिरिक्त दबाव नहीं बनाना चाहिए. इसी बीच इस प्रस्ताव को लेकर 24 जनवरी तक आपत्तियां बुलाई गई हैं, जिन्हें मप्र विद्युत वितरण कंपनी की वेबसाइट पर भेजा जा सकता है. इन आपत्तियों को सुने जाने के बाद 11 फरवरी को जबलपुर और 14 फरवरी को भोपाल में जनसुनवाई होगी.
मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट बिगाड़ देगा ये फैसला
जानकारों के मुताबिक 50 पैसे प्रति यूनिट की बढ़त अगर होती है या स्लैब खत्म किया जाता है, तो 150 यूनिट के ऊपर बिजली जलाने वालों को भारी बिल चुकाना पड़ सकता है. हर बिल पर उन्हें कम से कम 200 से 300 रु अधिक चुकाने पड़ सकते हैं.
बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव क्यों रखा गया?
बिजली विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं, " बिजली कंपनियां को फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में 54 हजार 637 करोड़ रुपए की इनकम हुई थी और इतना ही खर्च हुआ. लेकिन वित्तीय वर्ष 2025-26 में बिजली कंपनियों को 58 हजार 744 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ने का अनुमान है. इसे देखते हुए बिजली कंपनियों ने मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग से बिजली दरें 7.52 प्रतिशत बढ़ाने की मांग की है.'' हालांकि, रिटायर्ड इंजीनियर ने कहा कि वर्तमान में बिजली कंपनियां किसी भी तरह से घाटे में नहीं हैं. ऐसे में बिजली बिल की दरें बढ़ाना ठीक नहीं होगा.
बिजली बिल नहीं चुकाने पर होगी जेल
बता दें कि इसस पहले मध्य प्रदेश विद्युत वितरण कंपनी अपनी आय बढ़ाने और रिकवरी को बेहतर बनाने के लिए कड़े फैसले ले चुकी है. अब बिजली बिल नहीं चुकाने वालों को 10 हजार का जुर्माना चुकाने के साथ-साथ 3 साल की जेल भी हो सकती है. बता दें कि बिजली चोरी और खुद कनेक्शन जोड़ने के मामले में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 और 138 के तहत छह महीने से तीन साल तक की जेल और 10 हजार रुपए जुर्माने का भी प्रावधान है.
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