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मध्य प्रदेश में कचरा उगलेगा सोना, ऐसे बनेगा ग्रीनकोल, लगेगा 500 मीट्रिक टन क्षमता का प्लांट - EARNING CRORE FROM WASTE

मध्य प्रदेश में अब घरों से निकलने वाले कचरे को भी कमाई का साधन बनाया जाएगा. भोपाल में एनटीपीसी 500 मीट्रिक टन का प्लांट लगाएगी.

EARNING CRORE FROM WASTE
मध्य प्रदेश में कचरा उगलेगा सोना (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 16, 2025, 3:13 PM IST

भोपाल: राजधानी में नगर निगम द्वारा कचरे का डोर टू डोर कलेक्शन किया जाता है. जिसे बाद में लैंडफिल साइट में भेज दिया जाता है, लेकिन इसका शतप्रतिशत निस्तारण नहीं होने के कारण लैंडफिल साइट में कचरे का पहाड़ खड़ा होता जा रहा है. इससे लैंडफिल साइट के आसपास का भूजल और आबोहवा प्रभावित हो रही है. अब नगर निगम भोपाल से निकलने वाले कचरे से कमाई करने जा रहा है. दरअसल, कचरे से ग्रीनकोल बनाने के लिए आदमपुर छावनी लैंडफिल साइट में प्लांट लगाया जा रहा है. इसके शुरु होते ही कचरे से ग्रीनकोल का निर्माण शुरु हो जाएगा. इससे नगर निगम को भी करोड़ों रुपये की कमाई होगी.

आपको बता दें लैंडफिल साइट एक बहुत बड़ा क्षेत्र होता है, जो लाइन से बना होता है. इस क्षेत्र का उपयोग अपशिष्ट चीजों यानि की कचरा डंप करने के लिए किया जाता है.

Green Charcoal Made From Trash
लैंडफिल साइट में डंब होता कचरा (ETV Bharat)

500 मीट्रिक टन क्षमता का लगेगा प्लांट

बता दें कि आदमपुर छावनी में ग्रीनकोल बनाने के लिए एनटीपीसी की बिडर कंपनी मैकॉबर बीके ने प्लांट के लिए मशीनें लगाना शुरू कर दी है. पूरे चार साल बाद यह प्रोजेक्ट शुरू होने जा रह है. साथ ही पहले यहां 400 टन का प्लांट लगना था, लेकिन अब इस प्लांट की क्षमता 500 टन होगी. यानि नगर निगम जितना भी गीला कचरा कंपनी को देगा, उसको कंपनी ग्रीनकोल में बदल देगी.

4 साल पहले नगर निगम और एनटीपीसी के बीच अनुबंध

दरअसल, नगर निगम ने आदमपुर छावनी में नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पाेरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी) को चारकोल (कोयला) बनाने के लिए जगह उपलब्ध करवाई है. करीब चार साल पहले इसको लेकर दोनों के बीच करार भी हो चुका है. अनुबंध के मुताबिक प्लांट स्थापित करने में एनटीपीसी 80 से 100 करोड़ रुपए तक का इंवेस्टमेंट करने वाला था. करीब दो साल पहले तक एनटीपीसी ने प्लांट लगाने की तैयारियां शुरू कर दी थी, लेकिन जरूरत के हिसाब से प्लांट में लगने वाली मशीनरी को लेकर एनटीपीसी ने प्लान बदल दिया, क्योंकि पहले प्लांट में जो मशीने लगने वाली थी, वह समय के हिसाब से पुरानी डिजाइन की साबित हो रही थीं. इसलिए प्लांट लगाने का काम टलता गया, लेकिन अब जाकर आदमपुर छावनी में ग्रीन चारकोल प्लांट लगने की तैयारियां शुरू हो गई हैं.

पहले बनना था टॉरफाइड चारकोल

नगर निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण ने बताया कि "आदमपुर छावनी में पहले टोरफाइड चारकोल बनने का प्लांट लगना था. यह प्लांट एनटीपीसी लगाने वाला था. लेकिन अब टॉरफाइड चारकोल की जगह ग्रीनकोल बनाया जाएगा. इसको लेकर एनटीपीसी ने मैकॉबर बीके को प्रोजेक्ट सौंप दिया है. गौरतलब है कि नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पाेरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी) ने हाल ही में मैकॉबर बीके को देश में तीन ग्रीन कोल प्रोजेक्ट दिए है. पहला प्रोजेक्ट नोएडा (उत्तर प्रदेश) दूसरा हुबली (कर्नाटक) और तीसरा भोपाल (मध्यप्रदेश) में मिला है. इसमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट नोएडा का है, जहां रोजाना 900 टन निपटान होगा. वही भोपाल में 500 टन का प्रोजेक्ट लगेगा. वर्तमान में यह कंपनी वाराणसी में कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान कर ग्रीनकोल बना रही है.

भोपाल: राजधानी में नगर निगम द्वारा कचरे का डोर टू डोर कलेक्शन किया जाता है. जिसे बाद में लैंडफिल साइट में भेज दिया जाता है, लेकिन इसका शतप्रतिशत निस्तारण नहीं होने के कारण लैंडफिल साइट में कचरे का पहाड़ खड़ा होता जा रहा है. इससे लैंडफिल साइट के आसपास का भूजल और आबोहवा प्रभावित हो रही है. अब नगर निगम भोपाल से निकलने वाले कचरे से कमाई करने जा रहा है. दरअसल, कचरे से ग्रीनकोल बनाने के लिए आदमपुर छावनी लैंडफिल साइट में प्लांट लगाया जा रहा है. इसके शुरु होते ही कचरे से ग्रीनकोल का निर्माण शुरु हो जाएगा. इससे नगर निगम को भी करोड़ों रुपये की कमाई होगी.

आपको बता दें लैंडफिल साइट एक बहुत बड़ा क्षेत्र होता है, जो लाइन से बना होता है. इस क्षेत्र का उपयोग अपशिष्ट चीजों यानि की कचरा डंप करने के लिए किया जाता है.

Green Charcoal Made From Trash
लैंडफिल साइट में डंब होता कचरा (ETV Bharat)

500 मीट्रिक टन क्षमता का लगेगा प्लांट

बता दें कि आदमपुर छावनी में ग्रीनकोल बनाने के लिए एनटीपीसी की बिडर कंपनी मैकॉबर बीके ने प्लांट के लिए मशीनें लगाना शुरू कर दी है. पूरे चार साल बाद यह प्रोजेक्ट शुरू होने जा रह है. साथ ही पहले यहां 400 टन का प्लांट लगना था, लेकिन अब इस प्लांट की क्षमता 500 टन होगी. यानि नगर निगम जितना भी गीला कचरा कंपनी को देगा, उसको कंपनी ग्रीनकोल में बदल देगी.

4 साल पहले नगर निगम और एनटीपीसी के बीच अनुबंध

दरअसल, नगर निगम ने आदमपुर छावनी में नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पाेरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी) को चारकोल (कोयला) बनाने के लिए जगह उपलब्ध करवाई है. करीब चार साल पहले इसको लेकर दोनों के बीच करार भी हो चुका है. अनुबंध के मुताबिक प्लांट स्थापित करने में एनटीपीसी 80 से 100 करोड़ रुपए तक का इंवेस्टमेंट करने वाला था. करीब दो साल पहले तक एनटीपीसी ने प्लांट लगाने की तैयारियां शुरू कर दी थी, लेकिन जरूरत के हिसाब से प्लांट में लगने वाली मशीनरी को लेकर एनटीपीसी ने प्लान बदल दिया, क्योंकि पहले प्लांट में जो मशीने लगने वाली थी, वह समय के हिसाब से पुरानी डिजाइन की साबित हो रही थीं. इसलिए प्लांट लगाने का काम टलता गया, लेकिन अब जाकर आदमपुर छावनी में ग्रीन चारकोल प्लांट लगने की तैयारियां शुरू हो गई हैं.

पहले बनना था टॉरफाइड चारकोल

नगर निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण ने बताया कि "आदमपुर छावनी में पहले टोरफाइड चारकोल बनने का प्लांट लगना था. यह प्लांट एनटीपीसी लगाने वाला था. लेकिन अब टॉरफाइड चारकोल की जगह ग्रीनकोल बनाया जाएगा. इसको लेकर एनटीपीसी ने मैकॉबर बीके को प्रोजेक्ट सौंप दिया है. गौरतलब है कि नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पाेरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी) ने हाल ही में मैकॉबर बीके को देश में तीन ग्रीन कोल प्रोजेक्ट दिए है. पहला प्रोजेक्ट नोएडा (उत्तर प्रदेश) दूसरा हुबली (कर्नाटक) और तीसरा भोपाल (मध्यप्रदेश) में मिला है. इसमें सबसे बड़ा प्रोजेक्ट नोएडा का है, जहां रोजाना 900 टन निपटान होगा. वही भोपाल में 500 टन का प्रोजेक्ट लगेगा. वर्तमान में यह कंपनी वाराणसी में कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान कर ग्रीनकोल बना रही है.

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