शरीर का हर अंग बहुत महत्वपूर्ण है. हमारी मुट्ठी के आकार की किडनी, विशेष रूप से, कई कार्यों को करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. किडनी मानव शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है. शरीर के अच्छे से काम करने के लिए किडनी का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है, अगर किसी व्यक्ति की किडनी सही से काम करना बंद कर दे तो उसे किडनी फेलियर या यूरीमिया कहते हैं. इस स्थिति में शरीर में अधिक पानी और अपशिष्ट पदार्थ जमा हो जाते हैं. जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है.
परिवार में किडनी की बीमारी का इतिहास होना भी रिस्की
एक बार जब किसी व्यक्ति को किडनी की बीमारी हो जाती है, तो उसकी स्थिति धीरे-धीरे खराब होती जाती है, जिससे उसकी काम करने की क्षमता खत्म हो जाती है, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं विशेष रूप से उन लोगों में आम हैं जिनके परिवार में किडनी की बीमारी का इतिहास रहा है. जन्म के समय कम वजन, लंबे समय तक दवा लेना, मूत्र मार्ग में गंभीर संक्रमण, मोटापा, किडनी की पथरी ये सभी किडनी रोग का कारण बन सकते हैं.
इन वजहों से होता है किडनी फेलियर
हालांकि किडनी फेलियर के इलाज के लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. लेकिन डायलिसिस पर रहने वाले कुछ लोग 30 साल या उससे भी कम समय तक ही जीवित रह पाते हैं. ऐसे में किडनी फेलियर से बचने के लिए सही डाइट लेना और लाइफस्टाइल में बदलाव करना बहुत जरूरी है. आजकल बहुत से लोग किडनी से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित हैं. बहुत से लोग कम उम्र में ही किडनी इंफेक्शन से पीड़ित हो जाते हैं और यह सब अस्वस्थ खानपान और खराब लाइफस्टाइल के कारण होता है. ऐसे में इस खबर के जरिए जानते हैं कि किडनी में इंफेक्शन होने पर शरीर में किस तरह के लक्षण दिखने लगते हैं और आप कैसे जान सकते हैं कि आपकी किडनी स्वस्थ है या नहीं?
प्यूरीफायर की तरह काम करती है किडनी
किडनी मानव शरीर में प्यूरीफायर की तरह काम करती है. ऐसे में किडनी फेलियर होने पर पूरे शरीर प्रभावित हो सकता है. दरअसल, मूत्र प्रणाली और मूत्रमार्ग शरीर से खराब पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं. किडनी खून से अपशिष्ट पदार्थों और अधिक पानी को छानकर पेशाब बनाती है. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मूत्र प्रणाली बहुत महत्वपूर्ण है. अगर यह ठीक से काम नहीं करती है, तो शरीर में खराब पदार्थ और अतिरिक्त पानी जमा हो सकता है. इससे हृदय प्रणाली जैसे अन्य सिस्टम को भी नुकसान पहुंच सकता है और गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. ऐसे में किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सिर्फ पानी पीना ही काफी नहीं है. किडनी खराब होना जानलेवा है
शरीर में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं जैसे...
नेशनल किडनी फाउंडेशन के अनुसार, अगर आपको सुबह के समय जी मिचलाना, बार-बार उल्टी आना, पेशाब में पानी आना, पेशाब में खून आना, पीठ में तेज दर्द, पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द महसूस हो तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. इसके अलावा चक्कर आना, आंखों और पैरों के आसपास सूजन आना भी कुछ ऐसे लक्षण हैं जो किडनी की समस्या शुरू होने से पहले दिखाई देते हैं.
किडनी फेलियर के शुरुआती लक्षणों के बारे में जानें पॉइंट्स में...
- बार-बार पेशाब आने की समस्या
- पेशाब का रंग बदलना या पेशाब में झाग या बुलबुले आना
- हाथ, पैर और टांगों में सूजन और दर्द
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- नींद की कमी
- अधिक थकावट और कमजोरी महसूस होना
- सांस लेने में दिक्कत
- भूख न लगना, कुछ भी खाने का मन न करना
- त्वचा पर खुजली या चकत्ते
- वजन कम होना, या अचानक बढ़ जाना
जब गुर्दे अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने में असमर्थ होते हैं, तब शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं. इससे पैरों और आंखों के आस-पास सूजन आ जाती है. जब किडनी ठीक से काम नहीं करती हैं, तो हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है. पेशाब करते समय थोड़ा झाग आना सामान्य है. लेकिन अत्यधिक झाग आना इस बात का संकेत है कि आपकी किडनी खराब हो रही है. वहीं, पेशाब करते समय थोड़ा झाग कम प्रोटीन इंडेक्स के कारण भी हो सकता है.
गहरे रंग का पेशाब खतरनाक होता है. यह किडनी के गंभीर नुकसान और मूत्र में खून के रिसाव का संकेत है. रात में पेशाब आना आम बात है. लेकिन अगर यह बार-बार होता है, तो यह किडनी के शुरुआती नुकसान का संकेत हो सकता है. खून में विषाक्त पदार्थों के बढ़े हुए स्तर के कारण किडनी फेल हो सकती है. इससे कुछ दिनों तक उल्टी होती है. मूत्र में खून आना भी अच्छा नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह किडनी की बीमारी जैसे संक्रमण या किडनी में पथरी का संकेत देता है.
(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)