नई दिल्ली : राज्यसभा से सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों के योगदान को याद करते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा कि उच्च सदन को उनके अनुभवों की बहुत कमी खलेगी और उनके जाने से एक रिक्तता पैदा होगा. उपराष्ट्रपति उच्च सदन के उन 68 सांसदों को विदाई दे रहे थे जो इस साल फरवरी से मई के बीच सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे सम्मानित सहयोगियों की सेवानिवृत्ति निस्संदेह एक शून्य पैदा करेगी. अक्सर यह कहा जाता है कि हर शुरुआत का अंत होता है और हर अंत की एक नई शुरुआत होती है.'
उन्होंने कहा कि कोई भी सार्वजनिक सेवा से कभी सेवानिवृत्त नहीं होता है. उन्होंने सदस्यों के एक सक्रिय सार्वजनिक जीवन की कामना भी की. उन्होंने कहा, 'संसद के ये पवित्र कक्ष लोकतंत्र के मंदिर का गर्भगृह हैं. इस सभा के मंच से अपनी मातृभूमि की सेवा करने में सक्षम होना एक विशिष्ट सम्मान और दुर्लभ सौभाग्य है.' उपराष्ट्रपति ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा, 'यह सदन हमारे जीवंत लोकतंत्र के विचारों की विविधता का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन साथ ही यह हमारे उद्देश्यों की एकता को भी दर्शाता है. हम यहां इस महान भूमि की सेवा करने की एकमात्र प्रतिबद्धता के साथ हैं.'
उन्होंने सदस्यों से कहा कि सभी ने परिवर्तनकारी व युगांतरकारी घटनाओं को प्रभावी करने में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है. उन्होंने याद किया कि इस अवधि के दौरान राज्यों की परिषद ने कई महत्वपूर्ण कानूनों को पारित होते देखा, जिसमें अनुच्छेद 370 का उन्मूलन - हमारे संविधान का एक अस्थायी प्रावधान, नारी शक्ति वंदन अधिनियम, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक और जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 भी शामिल है.
उन्होंने कहा, 'हम संसद के अत्याधुनिक नए भवन के उद्घाटन का भी हिस्सा बने.' उन्होंने विश्वास जताया कि सेवानिवृत्त हो रहे सदस्य भी भारत और प्रत्येक भारतीय के हित को आगे बढ़ाने के अपने प्रयासों के लिए संतोष की भावना के साथ यहां से जाएंगे. धनखड़ ने कहा, 'कृपया मुझे हमारे प्रत्येक सम्मानित सेवानिवृत्त सहयोगी द्वारा प्रदान की गई विशिष्ट सेवा के लिए हमारी गहरी प्रशंसा व्यक्त करने की अनुमति दें। उनके योगदान व उनके अनुभवों को बहुत याद किया जाएगा.'