नई दिल्ली:भारत में मेडिकल ऐजूकेशन सिस्टम और इसके बुनियादी ढांचे में पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय बदलाव आया है. 2023-24 में देश में 702 मेडिकल कॉलेज हैं, जो 2013-14 में 387 से 81 प्रतिशत अधिक है. इसी तरह, ग्रेजुएशन कोर्स (MBBS) के लिए सीटों की संख्या 2013-14 में 51348 से लगभग 110 फीसदी बढ़कर 2023-24 में 1,08,990 हो गई, जबकि पोस्ट ग्रेजुएशन सीटों की संख्या 2013-14 से 2023-24 तक लगभग 118 फीसदी बढ़कर 31185 से 68073 हो गई.
भारत में आधुनिक चिकित्सा शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण परिवर्तन और विधायी परिवर्तन हुए हैं. यह देश की अपनी आबादी को हाई क्वालिटी हेल्थ सर्विस प्रदान करने और ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुरूप होने की खोज को दर्शाता है. अंग्रेजों ने भारतीय उपमहाद्वीप में वेस्टर्न स्टाइल की मेडिसन शुरू की, जिसके कारण कलकत्ता मेडिकल कॉलेज (1835) और मद्रास मेडिकल कॉलेज (1835) जैसे संस्थानों की स्थापना हुई. चिकित्सा पद्धति को रेगूलेट करने के लिए, लाइसेंसिएट ऑफ मेडिकल प्रैक्टिस (LMP) की शुरुआत की गई, जिसके बाद 1958 में मेडिकल रजिस्ट्रेशन एक्ट बनाया गया.
इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट
1916 में इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट लागू किया गया, जिसके बाद 1933 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) की स्थापना हुई. MCI को मेडिकल ऐजूकेशन स्टैंडर्ड की देखरेख और विनियमन, कोर्स को परिभाषित करने और देश भर में चिकित्सा पद्धति की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था. यह भारत में मेडिकल ऐजूकेशन को स्टैंडर्डाइजिंग और औपचारिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था.
स्वतंत्रता के बाद विस्तार
इस अवधि में पूरे भारत में कई मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित किए गए, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों का एक बड़ा समूह तैयार करना था. इस दौरान 1956 में एम्स अधिनियम के तहत ऑल इंडिया इंस्टिटियूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की स्थापना की गई. इस अवधि के दौरान MCI ने मेडिकल प्रोफेशन के लिए शैक्षिक और नैतिक स्टैंडर्ड को निर्धारित करते हुए इन चिकित्सा संस्थानों को विनियमित करने और मान्यता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट 2019
हाल के दिनों में सबसे महत्वपूर्ण विधायी सुधारों में से एक 2019 में नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट अधिनियम पेश किया गया. इस अधिनियम ने एमसीआई की जगह ली, जिससे चिकित्सा शिक्षा और प्रैक्टिस रेगूलेशन में एक नए युग की शुरुआत हुई. एनएमसी अधिनियम के प्रमुख उद्देश्य एक ऐसी चिकित्सा शिक्षा प्रणाली प्रदान करना है, जो गुणवत्तापूर्ण और सस्ती चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच में सुधार करे, देश के सभी हिस्सों में पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता सुनिश्चित करे. साथ ही समान और यूनिवर्सल हेल्थकेयर को बढ़ावा दे, जो सामुदायिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करे और चिकित्सा पेशेवरों की सेवाओं को सभी नागरिकों के लिए सुलभ बनाए.