नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु में इडली की डिलीवरी को लेकर हुई झड़प के बाद हुई हत्या के मामले में दो आरोपियों की दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया. इस मामले में अभियुक्त को 10 वर्ष से अधिक समय जेल में गुजार चुका है. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि अदालत आश्चर्यचकित है कि निचली अदालत और मद्रास उच्च न्यायालय दोनों ने मामले में गवाहों को प्रशिक्षित करने के महत्वपूर्ण पहलू को नजरअंदाज कर दिया.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मणिकंदन और शिवकुमार ने कथित तौर पर 4 अक्टूबर, 2007 को बालामुरुगन नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. मणिकंदन की ओर से अपने घर पर इडली की डिलीवरी को लेकर हुई झड़प के बाद बालमुरुगन की हत्या कर दी गई थी.
एक पुलिस स्टेशन के अंदर एक आपराधिक मामले में गवाहों को 'पढ़ाने' को 'चौंकाने वाला' करार देने के बाद, शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु पुलिस प्रमुख को जांच करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि पुलिस को अभियोजन पक्ष के गवाहों को प्रशिक्षित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह पुलिस मशीनरी की ओर से शक्ति का घोर दुरुपयोग है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी पुलिस स्टेशन के अंदर गवाहों को प्रशिक्षित करने के प्रभाव की उचित कल्पना कर सकता है. पीठ ने कहा कि यह पुलिस की ओर से अभियोजन पक्ष के महत्वपूर्ण गवाहों को प्रशिक्षित करने का एक जबरदस्त कृत्य है और वे सभी इच्छुक गवाह थे.