नालंदाः 821 सालों बाद नालंदा की गौरवमयी गाथा का उस समय पुनर्जागरण हुआ जब PM नरेंद्र मोदी ने राजगीर में करीब 455 एकड़ में बने नालंदा विश्ववि्द्यालयके कैंपस का उद्घाटन किया. नालंदा के सम्मान को नयी पहचान मिलने के इस विशेष अवसर के साक्षी बने 17 देशों के राजदूत. नये कैंपस के उद्घाटन के पहले PM ने प्राचीन नालंदा के गौरवशाली अवशेषों का भी अवलोकन जिनसे निकली ज्ञान की गंगा ने कभी पूरे विश्व को नयी राह दिखाई थी.
खंडहरों के बारे में ली विस्तृत जानकारीःनालंदा के खंडहरों का अवलोकन करते हुए PM ने उससे जुड़ी गाथाओं के बारे में जानकारी ली. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की पटना सर्किल गौतमी भट्टाचार्या ने PM को नालंदा खंडहर से जुड़ी जानकारियां दीं. खंडहरों के अवलोकन के बाद पीएम काफी अभिभूत नजर आए और कहा- इतिहास और शिक्षा का एक यादगार मिश्रण.नालंदा वाकई खास है.
विद्वानों के अतीत की गहरी झलकः PM मोदी ने नालंदा के खंडहर के दौरे की कई तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी शेयर कीं और लिखा कि "नालंदा के खंडहरों दौरा करना अनुकरणीय था. यह प्राचीन दुनिया में शिक्षा के सबसे महान केंद्रों में से एक में होने का अवसर था. यह स्थल विद्वानों के अतीत की एक गहरी झलक प्रस्तुत करता है जो कभी यहां पनपा था."
'नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है': नालंदा के गौरवशाली अवशेषों के अवलोकन के बाद PM मोदी ने पीपल का एक पौधा भी लगाया और फिर नये कैंपस का उद्घाटन किया. इस अवसर पर PM ने कहा कि "नालंदा केवल एक नाम नहीं है. नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है. नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है.नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं."
"मुझे तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण करने के बाद पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का अवसर मिला है. यह मेरा सौभाग्य तो है ही, मैं इसे भारत की विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं. यह स्वर्णिम युग की शुरुआत है.नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है. इसमें विश्व के, एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है. नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण में हमारे साथी देशों की भागीदारी भी रही है. मैं इस अवसर पर भारत के सभी मित्र देशों का अभिनंदन करता हूं."PM नरेंद्र मोदी