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पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू की मौत, करोड़ों की ठगी के मामले में 2016 से तिहाड़ जेल में था बंद - PEARL GROUP OWNER DIED IN DELHI - PEARL GROUP OWNER DIED IN DELHI

PEARL GROUP OWNER NIRMAL SINGH BHANGOO: निर्मल सिंह भंगू काफी समय से बीमार चल रहे थे. वह साल 2016 से तिहाड़ जेल में बंद थे. शनिवार को अचानक उनकी तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया. जहा इलाज के दौरान उनका निधन हो गया.

निर्मल सिंह भंगू का DDU अस्पताल में निधन
निर्मल सिंह भंगू का DDU अस्पताल में निधन (SOURCE: ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 26, 2024, 9:27 AM IST

Updated : Aug 26, 2024, 9:52 AM IST

नई दिल्ली:करोड़ों रुपये की ठगी मामले में तिहाड़ जेल में बंद पर्ल ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक निर्मल सिंह भंगू का रविवार को निधन हो गया. शनिवार को उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें DDU अस्पताल ले जाया गया था जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. निर्मल सिंह करोड़ों रुपये की ठगी मामले में कई साल से तिहाड़ जेल में बंद थे.

तिहाड़ जेल में तबीयत बिगड़ने पर डीडीयू अस्पताल में कराया गया था भर्ती

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निर्मल सिंह भंगू की तबीयत अचानक खराब होने पर शनिवार को डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. वेस्ट जिले के डीसीपी विचित्र वीर ने निर्मल सिंह भंगू की मौत की पुष्टि की. उनका इलाज काफी समय से चल रहा था. उन पर पर्ल ग्रुप की कंपनी के नाम पर चिट फंड के जरिए करोड़ों रुपये की ठगी का आरोप था. इस मामले में वह 2016 से तिहाड़ जेल में बंद थे. निर्मल सिंह भंगू को चिटफंड कंपनी द्वारा किए गए घोटाले के आरोप में सीबीआई ने 8 जनवरी 2016 को गिरफ्तार किया था.

एक दूध बेचने वाला वाला कैसे बना करोड़पति
जानकारी के अनुसार पर्ल ग्रुप का कंपनी के मालिक निर्मल सिंह भंगू पंजाब के बरनाला जिले के रहने वाले थे. शुरू में वह एक दूधिया के तौर पर इलाके में अलग-अलग गांव जाकर दूध बेचा करते थे. इसके बाद 70 के दशक में रोजगार की तलाश में वह कोलकाता चले गए जहां उन्होंने तब की नामी कंपनी पियरलेस में काम किया. कुछ वक्त बाद वहां की नौकरी छोड़कर वह हरियाणा की एक कंपनी फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड में काम करने आ गए. हालांकि इस कंपनी पर भी करोड़ों रुपये की ठगी करने का आरोप लगा था और कुछ वक्त बाद यह कंपनी भी बंद हो गई.

फिर 1980 में उन्होंने पर्ल गोल्डन फॉरेस्ट नाम से खुद की कंपनी बनाई और लोगों को सागवान सहित अन्य पेड़ो में इन्वेस्ट करने पर अच्छा खासा लाभ देकर पैसा लौटने की बात कही. उनके झांसे में आकर लोग पैसे इन्वेस्ट करने लगे और उन्होंने डेढ़ दशक में करोड़ों रुपये कमा लिए. इसी बीच उनकी कंपनी की गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद इनकम टैक्स के साथ-साथ दूसरी एजेंसियों ने जांच शुरू की और कंपनी बंद हो गई. देश के अलग-अलग इलाकों से लोगों ने कंपनी के खिलाफ ठगी की शिकायत की थी. जिसके बाद जांच आगे बढ़ी और उनकी कंपनी का फ्रॉड सबके सामने आया.

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Last Updated : Aug 26, 2024, 9:52 AM IST

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