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चाईबासा में नक्सलियों के खिलाफ NIA की दबिश, रेड में डिजिटल एविडेंस बरामद - NIA RAID IN CHAIBASA

चाईबासा में नक्सलियों के खिलाफ की गई छापेमारी में एनआईए को कई सामान बरामद हुए हैं. छापेमारी में एनआईए को डिजिटल साक्ष्य बरामद हुए हैं.

NIA raid in Chaibasa
एनआईए (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 5, 2025, 12:31 PM IST

रांची:झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ चौतरफा कार्रवाई जारी है. झारखंड पुलिस के अलावा एनआईए भी ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में एक साथ नौ जगहों पर भाकपा (माओवादी) कैडरों और उनके समर्थकों के ठिकानों पर छापेमारी की. यह छापेमारी आतंकी फंडिंग मामले में की गई है जिसमें एनआईए को कई अहम सबूत मिले हैं.

चाईबासा में है बड़े नक्सलियों का ठिकाना

आपको बता दें कि झारखंड में चाईबासा ही एकमात्र ऐसा इलाका है जहां बड़े नक्सलियों का जमावड़ा है. नक्सलियों के ग्राउंड सपोर्टर उन्हें मजबूत कर रहे हैं. ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए एनआईए लगातार कार्रवाई कर रही है. एनआईए की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) नक्सली संगठन के संदिग्धों और जमीनी कार्यकर्ताओं (ओजीडब्ल्यू) के ठिकानों पर छापेमारी की गई है. तलाशी के दौरान एनआईए की टीमों ने मोबाइल फोन, मेमोरी कार्ड, सिम कार्ड और अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की है जिसकी जांच की जा रही है.

एनआईए ने टेकओवर किया था केस

पूरा मामला आरसी-02/2024/एनआईए/आरएनसी की शुरुआत 20 लीटर लैंड माइंस की बरामदगी और जब्ती से हुई, जिसमें 10,50,000 रुपये नकद, एक वॉकी-टॉकी, एक सैमसंग टैबलेट, एक पावर बैंक, एक रेडियो सेट, एक लेवी संग्रह रसीद, एक पुल थ्रू, जिलेटिन की छड़ें, एक नेक बैंड, टाइटन चश्मा और सीपीआई (माओवादी) के सदस्य मिसिर बेसरा से संबंधित अन्य आपत्तिजनक सामान भरे हुए थे. ये सभी विस्फोटक और पैसे हुसीपी और राजाभासा गांवों के बीच के वन क्षेत्रों की जमीन से बरामद किए गए थे.

राजेश देवगम नाम के एक आरोपी के खुलासे के बाद सभी विस्फोटक और पैसे बरामद किए गए. यह मामला मूल रूप से मार्च 2024 में झारखंड के चाईबासा जिले के टोंटो पुलिस स्टेशन में पांच आरोपियों के खिलाफ दर्ज किया गया था और बाद में जुलाई में एनआईए ने इसे अपने हाथ में ले लिया था. जांच से कुछ संदिग्धों और ओजीडब्ल्यू की पहचान हुई, जो कथित तौर पर इस मामले में एफआईआर में नामित आरोपियों और सीपीआई (माओवादी) के अन्य वरिष्ठ कैडरों को उनकी गैरकानूनी/आपराधिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने में रसद सहायता प्रदान करने में शामिल थे.

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