नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि भारत सरकार मार्च 2026 तक नक्सलवाद की समस्या को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. मंत्रालय ने कहा कि केंद्र और राज्यों द्वारा वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति बनायी है. इन योजना के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप वामपंथी उग्रवाद में लगातार गिरावट आई है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में ये बातें कहीं.
नित्यानंद राय ने कहा, "वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. पिछले छह वर्षों में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की तीन बार समीक्षा की गई है. अप्रैल 2018 में इनकी संख्या 126 से घटकर 90 रह गई. जुलाई 2021 में यह संख्या 70 हो गई और फिर अप्रैल 2024 में यह संख्या घटकर 38 रह गई. वामपंथी उग्रवाद से होने वाली हिंसा में 2010 के उच्च स्तर की तुलना में 2024 में 81 प्रतिशत की कमी आई है. 2024 में मरनेवालों की संख्या 374 थी जबकि 2010 में 1936 थी."
छत्तीसगढ़ पर विशेष जोरःराय ने कहा कि नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में विशेष काम किया गया है. यह स्वीकार करते हुए कि छत्तीसगढ़ नक्सलियों का प्रमुख गढ़ बना हुआ है. केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित राज्य के लिए कई विशेष पहल की है. सड़क नेटवर्क के विस्तार के लिए, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में अब तक 4046 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं. साथ ही दूरसंचार कनेक्टिविटी में सुधार के लिए 1333 टावर लगाए गए हैं. छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में स्थानीय लोगों के वित्तीय समावेशन के लिए 1214 डाकघर खोले गए हैं. इसके अलावा 297 बैंक शाखाएं और 268 एटीएम खोले गए हैं.
माओवादी गतिविधियों से दूरः कौशल विकास के लिए नौ आईटीआई और 14 कौशल विकास केंद्र बनाए गए हैं. वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में आदिवासियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 45 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय बनाए गए हैं. राय ने कहा कि इसके अलावा, सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, स्थानीय लोगों के कल्याण और युवाओं को माओवादियों के प्रभाव से दूर रखने के लिए नागरिक गतिविधियां चलाते हैं.
राष्ट्रीय नीति और कार्य योजनाः वामपंथी उग्रवाद की समस्या को समाप्त करने के लिए 2015 में एक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना को मंजूरी दी गई थी. इसमें सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास हस्तक्षेपों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और पात्रताओं आदि को शामिल करते हुए एक बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है. राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण पर धन खर्च कर रही है. वामपंथ उग्रवाद इलाके में सड़क नेटवर्क के विस्तार, दूरसंचार कनेक्टिविटी में सुधार पर विशेष जोर दिया गया.