नई दिल्ली: "लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती" सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित यह कविता उन लोगों के लिए एक मिसाल है, जो कभी जीवन की तकलीफों से हारते नहीं है. इसका उम्दा उदाहरण है लीना सूर्यवंशी. दिल्ली के मशहूर मसालों के बाजार खारी बावली में 2.5x10 फुट की एक दुकान है. ये इतनी छोटी है कि दो लोग भी एक साथ खड़े नहीं हो सकते. इस दुकान की मालिक हैं मसाला क्वीन लीना.
लीना सूर्यवंशी रोज़ 10 घंटे खड़े रहकर काम करती है. 2006 में पिता के देहांत के बाद परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली. उस वक्त लीना 9वीं कक्षा में पढ़ती थी. परिवार में वह अकेले कमाने वाली हैं. उनके परिवार में मां और दो छोटी बहन हैं. लीना ने अपनी ताकत और मेहनत से दोनों बहनों को बेहतरीन शिक्षा दी और शादी करवा दी. लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था. इसके लिए लीना ने अपना बचपन खोया, पढ़ाई छोड़ी, बीमारी के समय भी काम किया, रिश्तेदारों को खोया. इतना ही नहीं बचपन में दुकान पर बैठने के लिए मां ने बालों को कटवा दिया. ताकि उनकी लड़की होनी के पहचान छुपा सकें. आइये जानते हैं अब तक कैसा रहा लीना का जीवन?
पिता का देहांत: लीना बताती हैं कि 2006 में ब्रेन हैमरेज के कारण पिता का देहांत हो गया था. उस वक्त बहुत छोटी थी. घर में उनके अलावा कमाने वाला कोई नहीं था. कोई भाई भी नहीं था. घर में दो छोटी बहन थी. मां भी हमेशा घर पर ही रहती थी. उनको भी बाजार की समझ नहीं थी. इस वजह से मात्र 13 साल की उम्र में पिता की दुकान का जिम्मा अपने कंधों पर लिया. उन्होंने बताया कि मुझे भी बाजार और दुकानदारी की समझ नहीं थी. फिर भी मैं हारी नहीं. रातभर जागकर मसालों के नाम, वजन करने का तरीका और हिसाब लगाना सीखती थी. धीरे धीरे सब समझ आ गया.
दो बहनों की पढ़ाई और शादी: लीना ने अपनी दोनों बहनों को पढ़ाया और शादी कर दी. उनकी छोटी बहन ने कथक में PHD की है. अब वह शादी के बाद बच्चों को कथक सिखाती हैं. वहीं दूसरी बहन ने चार्टर अकाउंटेंट की पढाई की है, वह अपने पति के काम में सहयोग दे रही है. लीना ने बताया कि दुकान पर काम करने के लिए किसी ने दवाब नहीं डाला था. बल्कि परिवार में बड़ी बेटी होने के नाते यह मेरा दायित्व है कि जिस तरह पापा परिवार का लालन पालन करते थे, वह अब मेरी जिम्मेदारी है. यही सोच कर दुकान पर बैठना शुरू किया. लीना भी आगे पढ़ना चाहती थी. लेकिन उनके पास और कोई सपोर्टिंग हैंड नहीं था, जो दुकान की जिम्मेदारी उठा सके. इसलिए उन्होंने 9 वीं कक्षा के बाद पढाई बंद कर दी और पूरा समय दुकान पर बैठने लगी.
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'हर कोई बेटी तो मेरी जैसी चाहता है लेकिन बहू नहीं': हर सामान्य लड़की की तरह लीना का भी सपना है कि वह शादी करें. कई रिश्ते भी देखे, लेकिन कहीं बात नहीं बनी. लीना बताती हैं कि "हर कोई बेटी तो मेरी जैसी चाहता है लेकिन बहु नहीं. सभी चाहते हैं कि शादी के बाद में दुकान पर बैठना बंद कर दूँ. आगे अपने परिवार को सपोर्ट न करूँ. बल्कि एक सामान्य लड़की की तरह गृहस्थ जीवन की शुरुआत करूँ. लेकिन मैं ऐसा जीवनसाथी चाहती हूँ, जो मुझे मेरे काम के साथ अपनाए. मेरी छोटी सी दुकान को बड़ी करने की बात करे."
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बुलंद आवाज लेकिन आंखों में नमी लिए लीना बताती हैं कि जिस काम को करने के लिए मैंने अपना बचपन खोया, पढ़ाई छोड़ी, बीमारी के समय भी काम किया, रिश्तेदारों को खोया. उसको कभी भी नहीं छोड़ सकती. बल्कि मैं चाहती हूं कि हिना मसाला ट्रेडर्स का नाम दुनियाभर में गूंजे. लीना की दुकान साल के 365 दिन खुली रहती है. वह रोज 10 घंटे अपनी दुकान पर खड़ी होकर काम करती है. इस वजह से उनके पैरों में भी सूजन रहती है.

शुरुआत में कई दिक्कतों का सामना: लीना की दुकान राजधानी के ऐतिहासिक खारी बावली में हिना ट्रेडर्स के नाम से है. पूरे बाजार में वही एक महिला दुकानदार हैं. बाजार में हर तरह के लोग आते हैं. लेकिन अब लीना को डर नहीं लगता. वहीं बचपन में जब उन्होंने दुकान पर बैठना शुरू किया था. तब कई ग्राहक ऐसे भी आते थे जो उनके साथ बदतमीजी कर दिया करते थे. इस डर से लीना की मां ने उनके बालों को कटवा दिया और लड़कों के कपड़े पहनने शुरू कर दिए. ताकि कोई उनकी बेटी के साथ छेड़छाड़ न करे. लीना की मां ने बताया कि पहले इस बाजार में महिला खरीदार भी नहीं आती थी. हर तरफ आदमी ही आदमी दिखाई देते थे. मज़बूरी में बेटी को दुकान पर बैठना पड़ा. दुकान पर आने वाले कई ग्राहक बेटी के साथ बदतमीज़ी से बात करते थे. मैं रातभर सोचती थी कि ऐसा रहा तो काम कैसे होगा. इसलिए मैंने लीना को लड़के की तरह कपड़े पहनाने शुरू किया और उसके बाल भी कटवा दिए. ताकि सभी को वह लड़का लगे. लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, स्थिति सामान्य हो गई. अब सब ठीक है. लीना ने खूब मेहनत की और अपनी बहनों की शादी भी करा दी. अब मैं चाहती हूं इसकी भी शादी हो जाये और यह भी अपना खुशहाल जीवन किए.
लीना देशभर की उन बेटियों के लिए एक मिसाल हैं जिन्होंने बचपन में अपने पिता को खोया. लेकिन परिवार पर कोई आंच नहीं आने दी. अपनी जैसे कई हज़ारों लड़कियों को प्रेरणा देते हुए लीना मानतीं हैं कि जीवन में कितनी भी विषम परिस्थिति आ जाये, लेकिन कभी हार नहीं माननी चाहिए. खास तौर पर उन बेटियों को जिनके पिता बचपन में उनका साथ छोड़ कर चले गए हो. अगर परिवार में भाई न हो तो अपनी एक बेटा बन कर अपनी विधवा मां का सहारा बनें. उनको इस बात का एहसास न होने दें कि उनका जीवन साथी अब इस दुनिया में नहीं है. बल्कि यह साबित कर दें कि जीवन साथी या बेटा न होने के बावजूद बेटियां उनका सहारा है. डिप्रेशन में कभी न जाएं. खुद को काम में इतना मग्न कर दें कि और कुछ और सोचने का समय ही न मिले.
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