भोपाल: रंचमंच का कलाकार इसीलिए आम लोगों से अलग होता है, प्रख्यात रंगकर्मी और मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक आलोक चटर्जी का निधन हो गया, लेकिन निधन से पहले बीमारी के मुश्किल दिनों में उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, लोग क्यों चाहते हैं कि बीमारी में मुंह लटकाकर तस्वीर खिंचवाई जाए. मैं तो थियेटर का विद्यार्थी हूं. हंसते हुए अपना काम करता रहूंगा, जब तक दम है. आलोक चटर्जी लंबे समय से बीमार थे. उनके किडनी पैंक्रियाज में भी दिक्कत थी.
इसके अलावा गॉल ब्लैडर निकाला जा चुका था. अपनी पूरी जिंदगी थियेटर को समर्पित कर चुके आलोक नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में अभिनेता इरफान खान के बैचमेंट थे. उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए गीतकार और अभिनेता स्वानंद किरकिरे ने लिखा है "एक नायाब अभिनेता चला गया, वो इरफान के बैचमेट थे. इरफान अगर कालिदास थे, तो आलोक चटर्जी विलोम. विलोम अपने कालिदास से मिलने चला गया.
कुछ समय पहले आलोक चटर्जी ने किया था पोस्ट (ETV Bharat) स्वानंद किरकिरे ने कहा, कालिदास से मिलने गया विलोम
गीतकार गायक अभिनेता स्वानंद किरकिरे ने आलोक चटर्जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिवंगत अभिनेता इरफान का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि इरफान और आलोक चटर्जी दोनों बैचमेट थे. अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में वे लिखते हैं, अगर इरफान कालिदास थे, तो आलोक विलोम. विलोम अपने कालिदास से मिलने चला गया. एक नाटक में इरफान खान कालिदास और आलोक चटर्जी विलोम बने थे.
मौत के 12 दिन पहले लिखा देह प्राण बचने की वस्तु नहीं
आलोक चटर्जी बीमार लंबे समय से थे, लेकिन उनके ही एक मित्र विवेक सावरीकरकहते हैं, "क्या उन्होंने मृत्यु की आहट को पहचान लिया था. आखिर क्या वजह थी कि 25 दिसंबर को अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में आलोक भाई ने लिखा "देह और प्राण बचे की वस्तु नहीं. मात्र विचार और कर्म ही अनश्वर हैं." छायाकार प्रशांत हतवल ने उन्हें याद करते हुए कहा कि "आलोक से मेरी मित्रता रंगमंडल के शुरुआती दिनों से थी. रंगमंडल के 80 के दशक तक लगभग सभी नाटकों की फोटोग्राफी मैंने की थी. हद्रयवंदन, स्कंदगुप्त , अंन्घायुग, आधे अधूरे, महानिर्वाण में आलोक चटर्जी का इनमें शानदार अभिनय था.
नाटक के दौरान अभिनय करते आलोक चटर्जी (ETV Bharat) 25 साल के अंतराल के बाद मुझे जयंत देशमुख द्वारा निर्देशित नाटक नटसम्राट की फोटोग्राफी करने का पुनः मौका मिला और आलोक चटर्जी का अविस्मरणीय अभिनय उसमें देखने को मिला." इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मॉस कम्यूनिकेशन के पूर्व निदेशक संजय द्विवेदीकहते हैं, "दुखद है प्रख्यात रंगकर्मी और मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक आलोक चटर्जी हमारे बीच नहीं रहे. लंबे वक्त से अस्वस्थ चल रहे आलोक ने मंगलवार सुबह 3 बजे हम सबसे विदा ली. चटर्जी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से भी प्राध्यापक के रुप में जुड़े रहे. रंगकर्म के प्रति उनकी निष्ठा अप्रतिम थी."