नालंदा:महज 5 वर्ष की मेहनत में अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाया तो राज्य सरकार ने 19 वर्ष की उम्र में नए साल पर तोहफा के तौर पर बिहार पुलिस में सब इंस्पेक्टर का पद दिया. जी हां हम बात कर रहे हैं नालंदा की बेटी धर्मशीला कुमारी उर्फ ब्यूटी की.
नालंदा की धर्मशीला बनी दारोगा: आपको बता दें कि नालंदा जिले के सिलाव प्रखंड अंतर्गत बड़गांव निवासी किसान महेंद्र सिंह की 6 संतानों में सबसे छोटी बेटी धर्मशीला है. वह मुख्यालय बिहारशरीफ के सरदार पटेल मेमोरियल कॉलेज से BA पार्ट 2nd ईयर में ज्योग्राफी विषय की छात्रा है. उनके रग्बी खेलने के शौक के कारण उन्हें सरकारी नौकरी मिल गई है. धर्मशीला दारोगा बन गई है.
'श्वेता शाही के कारण मैंने रग्बी खेलना शुरू किया'- धर्मशीला: धर्मशीला कुमारी ने बताया कि जब वह 14 साल की थी तो उसके रास बिहारी स्कूल में रग्बी गर्ल के नाम से मशहूर श्वेता शाही मिलने पहुंची थीं. वहां उनसे मुलाकात के बाद रग्बी खेल के बारे में जानकारी मिली और फिर उन्हीं की प्रेरणा से खेल में रुचि बढ़ी. उसके बाद धर्मशीला ने रग्बी को कभी नहीं छोड़ा. साल 2018 में नेशनल गेम में उनका चयन हुआ.
"2022 में ही जूनियर इंटरनेशनल रग्बी नेपाल के काठमांडू में जीता. इसी साल सीनियर रग्बी टीम में सेलेक्शन हुआ, जिसके एक माह बाद उज्बेकिस्तान खेलने गई थी. दोनों में बेहतर प्रदर्शन के बदौलत दो स्वर्ण पदक जीता."- धर्मशीला कुमारी, रग्बी खिलाड़ी
कई गोल्ड सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं: धर्मशीला अब तक 10 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय गेम मिलाकर खेल चुकी हैं. जिसमें दो गोल्ड, एक ब्रॉन्ज़ और तीन सिल्वर पदक जीत चुकी हैं. बेटी की इस उपलब्धि से माता पिता बेहद खुश हैं. वहीं बधाई देने वालों का तांता भी लगा रहता है. जो लोग घर आकर बधाई नहीं सकते हैं वे फोन पर ही धर्मशीला को बधाई दे रहे हैं.
मेडल लाओ नौकरी पाओ योजना के तहत मिली नौकरी: जब ईटीवी भारत की टीम ने धर्मशीला और उनके परिवार वालों से बात की तो उन्होंने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर दूसरों की मदद से इस मुकाम को हासिल किया है. कभी सोचे भी नहीं थे कि बेटी की वजह से घर वालों को पहचाना जाएगा. इसके लिए हम राज्य सरकार और खेल विभाग के साथ रग्बी गर्ल श्वेता शाही को धन्यवाद करना चाहते हैं. पूरे परिवार ने मेडल लाओ नौकरी पाओ योजना की जमकर तारीफ की.
"हमलोग बहुत खुश हैं. बेटी ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना तक हमने नहीं की थी. काफी गरीबी से अपने बच्चों को पाला है. गरीबी के कारण बच्चों को मैं ठीक से पढ़ा नहीं सका."-महेंद्र सिंह,धर्मशीला कुमारी के पिता
"बेटी और बेटा में हमने कभी कोई फर्क नहीं किया. यही कारण है कि हमारी बेटी को आज सफलता मिली है. हम जितना कर सकते हैं हमने किया. बेटी की सफलता की खुशी बयां कर पाना मुश्किल है."-धर्मशीला कुमारी की मां
श्वेता शाही ने बदला रग्बी के प्रति लड़कियों का नजरिया:श्वेता शाही की बदौलत आज जिले की दर्जनों लड़कियां रग्बी खेल से जुड़कर प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं और बाकी घर वालों से भी निवेदन है कि घर की बेटी बहनों को कम नहीं आंके जो उनका लक्ष्य है उसमें उसे सहयोग करें ताकि वो भी अपना और अपने घरवालों का नाम रौशन कर सके. बचपन में गांव वाले लड़कियों के शर्ट पहनने पर ताना मारते थे और आज वही लोग अपनी बेटी को भी रग्बी खेलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
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