शिमला: एम सुधा देवी की अगुवाई में गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर हिमाचल सरकार ने लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने वाला विधेयक मानसून सत्र में पारित कर दिया है. राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही हिमाचल में युवतियों की शादी की उम्र वैधानिक तौर पर 21 साल हो जाएगी. यह विधेयक लड़कियों को उच्च शिक्षा में बराबरी और बेहतर स्वास्थ्य के अधिकार को ध्यान रखते हुए पारित किया है, ताकि लड़कियों पर कम उम्र में विवाह का दबाव न बनाया जाए और उन्हें समाज में आगे बढ़ने का मौका मिले.
हिमाचल ऐसा पहला राज्य बना है, जिसने लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाकर 21 साल की है. हालांकि, भारत में शादी की उम्र 18 साल है, लेकिन शादी, तलाक, पति क्रूरता अधिनियम संविधान की समवर्ती सूची में आता है, इसलिए इस पर केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी कानून बनाने का अधिकार रखती हैं. इसी के तहत हिमाचल सरकार ने शादी की उम्र न्यूनतम उम्र 21 साल की है.
भारत में आज भी कई राज्यों में लड़कियों की 18 साल से पहले शादी कर दी जाती है, गरीबी, रुढ़िवादी सोच, लड़कियों को बोझ समझने के कारण भारत में आज भी बाल विवाह होते हैं. यूएन के सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बाल विवाह को रोकना एक बड़ी चुनौती है. आंकड़ों से पता चलता है कि 18 वर्ष की आयु से पहले विवाह करने वाली 20-24 वर्ष की महिलाओं की हिस्सेदारी पिछले पांच वर्षों में 27% से घटकर 23% हो गई है. हालांकि, इसका मतलब यह है कि हर पांचवीं लड़की की शादी अभी भी कम उम्र में हो जाती है. पश्चिम बंगाल और बिहार में, जहां ऐसी महिलाओं की संख्या लगभग 41% है, बाल विवाह का प्रचलन सबसे अधिक है, और 2015-16 में हुए पिछले सर्वेक्षण में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है.
जम्मू कश्मीर में लड़कियों के विवाह की औसत सबसे अधिक
Sample Registration System (SRS) सर्वे के मुताबिक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में लड़कियों की शादी की औसत आयु सबसे अधिक 25.3 वर्ष है, पंजाब 24.2 वर्ष के साथ दूसरे स्थान पर है, उसके बाद 24.1 वर्ष की आयु के साथ दिल्ली दूसरे स्थान पर है. हिमाचल प्रदेश और असम 23.4 वर्ष के साथ क्रमशः चौथे और पांचवें स्थान पर हैं. पश्चिम बंगाल सबसे कम विवाह आयु वाले राज्यों में सबसे नीचे है, उसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है. भारत में 2005 से 2021 तक विवाह की अनुमानित औसत आयु बढ़ी है, लेकिन इसमें बढ़ोतरी की दर कुछ खास नहीं है. 1992-93 में, लगभग दो-तिहाई महिलाओं की शादी 18 वर्ष से पहले हो गई थी, जबकि 2019-21 के दौरान, 20-24 वर्ष की आयु की केवल एक-चौथाई से थोड़ी कम महिलाओं की शादी कानूनी उम्र से पहले हुई थी.
35 प्रतिशत महिलाओं की शादी 21 साल से पहले: रिपोर्ट
पिछले कुछ वर्षों में, अशिक्षित या कम शिक्षा स्तर वाली महिलाओं और उच्च शिक्षित महिलाओं के बीच पहली शादी की उम्र में अंतर कम हो गया है. विवाह की सबसे कम औसत आयु मध्य भारत में देखी गई, जबकि विवाह की सबसे अधिक औसत आयु पूर्वोत्तर में देखी गई. स्टेट बैंकिंग ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 35% महिलाओं की शादी 21 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है. कुछ राज्यों में स्थिति गंभीर है.
दर्ज नहीं होते अधिकांश मामले
1891 में एज ऑफ कंसेंट के आधार पर 12 साल से कम की कन्या के विवाह पर रोक लगा दी. इसके बाद हरविलास शारदा के प्रयासों से लॉर्ड विलियम बेंटिक के समय शारदा एक्ट 1929 में आया था. इस एक्ट के तहत तहत लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 14 साल तय की गई. आजादी के बाद 1978 में ये आयु 18 साल कर दी गई. भारत में समय समय पर बाल विवाह के खिलाफ कानून बनते रहे. इसके लिए न्यूनतम आयु सीमा भी तय कर दी गई. इसके बाद भी भारत में बाल विवाह कम नहीं हुए. भारत में बाल विवाह के अधिकांश मामले दर्ज भी नहीं होते हैं.