पटना:महात्मा गांधी की 76 वीं पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें श्रद्धांजली दे रहा है. बापू का लगाव बिहार से जुड़ा हुआ है. चंपारण की धरती से ही उन्होंने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी. बापू के इस पुण्यतिथि पर राजधानी पटना में बने बापू टावर की खूब चर्चा हो रही है. यह टावर देश का सबसे बड़ा बापू टावर है, जिसकी ऊंचाई 120 फीट है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित है टावर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल बिहार और देश का पहला सबसे बड़ा टावर पटना के गर्दनीबाग इलाके में लगभग बन कर तैयार हो गया है. यह टावर देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित है, जिसमें महात्मा गांधी से संबंधित चीजें दर्शकों के लिए उपलब्ध रहेगी.
तेजी से हो रहा टावर फिनिशिंग का कार्य: बता दें कि यह टावर चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह की स्मृति में बन रहा है. टावर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, वहीं फिनिशिंग का काम तेज गति से चल रहा है. बापू टावर को तांबा के परत से तैयार किया गया है. बापू टावर के चारों ओर पार्क है, जिससे अंदर प्रवेश करने के साथ हरियाली ही हरियाली नजर आएगी.
बापू टावर की खास बातें: बापू टावर में कैफेटेरिया और लॉन्ज एरिया में ग्रेनाइट, टाइल्स, मार्बल का उपयोग किया गया है. बापू टावर के छह तले का होगा. सबसे ऊपर यानी छठे तले पर जाने के बाद पूरे पटना का नजारा देखने को मिलेगा. बापू टावर में बापू के चंपारण सत्याग्रह से जुड़ी स्मृतियों का लोग दर्शन कर सकेंगे. साथ ही बापू से जुड़ी इतिहास की भी जानकारी प्राप्त करेंगे.
एक एकड़ में फैला है बापू टावर: बापू टावर को एक एकड़ की जमीन पर बनाया गया है. जबकि पास ही पांच एकड़ जमीन में पार्क विकसित किए जा रहे हैं. यह टावर बिहार का सबसे ऊंचा टावर होगा. बापू टावर के अंदर बापू के बारे में जानने और समझने वाले लोगों के लिए लाइब्रेरी बनाई गई है, जिसमें लोगों के पढ़ने के लिए बापू पर लिखी गई किताबें रखी जाएंगी.
रैंप सीढ़ियों का किया गया इस्तेमाल: 6 मंजिला बापू टावर में लोग रैंप सीढ़ियों के जरिए टॉप फ्लोर तक पहुंचेंगे. बापू टावर के अंदर चार लिफ्ट लगाई गई है. चारों तरफ दीवार पर बापू से जुड़ी स्मृतियों को चित्र के माध्यम से दर्शाया गया है. वहीं दिव्यांगों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है.