लखनऊ :मथुरा के सियासी संग्राम में सांसद हेमा मालिनी फिर से मैदान में हैं. बसपा ने पूर्व आइआरएस अधिकारी सुरेश सिंह को यहां से टिकट दिया है. इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है, लेकिन कांग्रेस ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. हेमा मालिनी के मुकाबले कांग्रेस यहां दमदार शख्सियत को लाने की तैयारी में है. पार्टी की केंद्रीय चुनाव कमेटी अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर विजेंदर सिंह के नाम पर विचार कर रही है. हालांकि अभी इस पर अंतिम मुहर लगनी बाकी है. ये हालात तब हैं जब दूसरे चरण की नामांकन प्रक्रिया 28 मार्च से शुरू हो चुकी है. सीट पर कितने वोटर हैं, क्या विजेंदर हेमामालिन को टक्कर दे पाएंगे, पढ़िए डिटेल...
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को 17 सीटों पर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ना है. दूसरे चरण की वोटिंग 26 अप्रैल को होनी है. इस चरण में यूपी की कुल 9 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है. दूसरे चरण की वोटिंग में ही कांग्रेस को सबसे अधिक लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना है. कांग्रेस की ओर से अभी तक कुल 13 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई है.
इन सीटों पर भी कांग्रेस ने नहीं उतारे प्रत्याशी :दूसरे चरण में शामिल चारों लोकसभा सीटों में से मथुरा एक ऐसी लोकसभा सीट है, जहां कांग्रेस अभी तक प्रत्याशी का चयन नहीं कर पाई है. जबकि इस सीट पर नामांकन की प्रक्रिया 28 मार्च से ही शुरू हो चुकी है. कांग्रेस ने अपने 17 सीटों के कोटे में से 13 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, लेकिन मथुरा, प्रयागराज, रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट पर अभी तक पार्टी ने अपने प्रत्याशी नहीं तय किए हैं.
पश्चिम उत्तर प्रदेश की मथुरा लोकसभा सीट सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. इस सीट पर ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी मौजूदा सांसद हैं. भाजपा ने फिर से उन पर दांव लगाया है. वह तीसरी बार लोकसभा जाने की तैयारी में हैं. कांग्रेस इस सीट पर हेमा मालिनी के सामने किसको प्रत्याशी बनाए यह अभी तक तय नहीं कर पाई है. इस सीट के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है.
ये भी हो सकते हैं दावेदार :मथुरा लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट के सबसे प्रबल दावेदार पूर्व मंत्री और सीएलपी लीडर प्रदीप माथुर सबसे आगे हैं. इसके अलावा इस सीट से हरियाणा के ओलंपियन और बॉक्सर विजेंदर सिंह का नाम भी चल रहा है. इसके अलावा 2019 में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेश पाठक भी दावेदारी कर रहे हैं. जबकि 2004 में कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने मानवेंद्र सिंह, प्रदेश महासचिव मुकेश धनगर जैसे नाम की भी चर्चा है.
दूसरे चरण की गाजियाबाद सीट से डॉली शर्मा, बुलंदशहर से रामनाथ वाल्मीकि और अमरोहा से कुंवर दानिश अली का टिकट कांग्रेस ने पहले ही घोषित कर दिया है.
अमेठी और रायबरेली को लेकर मंथन :कांग्रेस ने दो किस्तों में करीब 13 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. बाकी बची 4 सीटों पर कांग्रेस को प्रत्याशी घोषित करना है. इसमें रायबरेली, अमेठी प्रयागराज और मथुरा लोकसभा सीटें शामिल हैं. रायबरेली और अमेठी दोनों ही सीटे हमेशा से कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रहीं हैं. ऐसे में कांग्रेस के प्रत्याशी न उतारने से सवाल उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस को अपने ही घर में जिताऊ प्रत्याशी नहीं मिल रहे. फिलहाल दोनों सीटों प्रत्याशी के चयन के लिए बैठकों का दौर जारी है.
दोनों सीटों पर कांग्रेस के समक्ष कड़ी चुनौती :कांग्रेस के लिए रायबरेली को बचाना और अमेठी में विजयश्री हासिल करना दोनों ही बड़ी चुनौती है. भाजपा ने दोनों सीटों पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. रायबरेली सीट से सांसद सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. अमेठी में कांग्रेस 2019 के चुनाव में हार चुकी है. भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को करीब 50000 वोटो के अंतर से हराया था. इसके कारण अमेठी में कांग्रेस की स्थिति पहले जैसी नहीं रही है.
इसलिए बन रही असमंजस की स्थिति :रायबरेली गढ़ होने के चलते रायबरेली में कांग्रेस को अन्य दलों की अपेक्षा अभी भी सबसे मजबूत माना जा रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेठी से जबकि प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ें, कांग्रेस नेताओं ने ऐसी मांग रखी थी, लेकिन प्रियंका और राहुल का स्टैंड अभी तक क्लियर न होने के कारण रायबरेली और अमेठी में प्रत्याशियों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. दोनों सीटों पर गांधी परिवार को ही उम्मीदवारों का अंतिम निर्णय लेना है.
देरी से चुनाव पर पड़ेगा फर्क :लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर संजय गुप्ता ने का कहना है कि सोनिया गांधी के इनकार के बाद यह माना जा रहा था कि दोनों ही सीटों पर गांधी परिवार के सदस्य ही चुनाव लड़ेंगे. रायबरेली से प्रियंका गांधी चुनाव लड़ सकती हैं. अभी तक अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवार घोषित न होने से लोगों के बीच में गलत संदेश जा रहा है. कांग्रेस अगर जल्दी प्रत्याशी घोषित नहीं करेगी तो चुनाव पर इसका काफी असर पड़ेगा.
बची हुई सीटों पर कांग्रेस जल्द घोषित करेगी प्रत्याशी :यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने बताया कि रायबरेली और अमेठी सीट के अलावा जो दो अन्य सीटों पर अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए हैं. यहां जल्द ही प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे. रायबरेली अमेठी से गांधी परिवार का पारिवारिक रिश्ता है, इसलिए वहां की जनता चाहती है कि गांधी परिवार ही हमारा प्रतिनिधित्व करें. आजादी के बाद से फिरोज गांधी से लेकर संजय गांधी, सोनिया गांधी सभी ने वहां से प्रतिनिधित्व किया है. दो-तीन दिन में बाकी बची सभी सीटों पर टिकट की घोषणा हो जाएगी. अभी कोई देरी नहीं हुई है. मथुरा में नॉमिनेशन शुरू हो गया है, यहां अगले एक-दो दिन में प्रत्याशी की घोषणा हो जाएगी.
मथुरा की सीट का इतिहास, अटल बिहारी ने भी भरा था पर्चा :आजादी के बाद मथुरा सीट पर चुनाव हुआ तो केंद्र में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद पार्टी का प्रत्याशी यहां से हार गया था. निर्दलीय उम्मीदवार राजा गिरराज शरण सिंह ने यहां से जीत दर्ज की थी.
इसके बाद के चुनाव में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी यहां से दावेदारी की थी, लेकिन यहां से निर्दलीय उम्मीदवार राजा महेंद्र प्रताप ने जीत दर्ज की थी. पूर्व पीएम को कुल वोटों के महज 10 प्रतिशत वोटों से ही संतोष करना पड़ा था.