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पिता के निधन के बाद पार्टी टूटी, सिंबल छिना लेकिन हिम्मत नहीं हारी, अब मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने चिराग - Chirag Paswan

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 9, 2024, 8:26 PM IST

Chirag Paswan Became Union Minister: नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में बिहार के हाजीपुर से एलजेपीआर सांसद चिराग पासवान को भी शामिल किया गया है. पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी और परिवार में टूट के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. जमीन पर संघर्ष और पीएम मोदी के प्रति वफादारी का ही नतीजा है कि वह पहली बार केंद्रीय मंत्री बने हैं. फिल्मी हीरो से सियासत के सितारे बनने की उनके संघर्ष की कहानी बेहद दिलचस्प है. पढ़ें..

CHIRAG PASWAN BECAME UNION MINISTER
चिराग पासवान मोदी सरकार में मंत्री बने (ETV Bharat)

पटना: हाजीपुर से एलजेपीआर सांसदचिराग पासवानकैबिनेट मंत्री बने हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनको पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस मौके पर उनकी मां और परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे. चिराग तीसरी बार सांसद बने हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी एलजेपीआर को 5 सीटों पर जीत मिली है.

चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी के साथ चिराग पासवान (ETV Bharat)

कौन हैं चिराग पासवान:हाजीपुर लोकसभा (सुरक्षित) सीट से सांसद चिराग पासवान बिहार के दिग्गज दलित नेता रामविलास पासवान के इकलौते पुत्र हैं. पिता की विरासत को बढ़ाते हुए चिराग ने राजनीति में अपना कदम रखा. 2014 में उन्होंने राजनीति की शुरुआत की और लगातार दो बार 2014 और 2019 में वह बिहार के जमुई (सुरक्षित) सीट से सांसद चुने गए. हालांकि 2024 लोकसभा चुनाव में वह अपने पिता की परंपरागत सीट हाजीपुर से चुनाव जीत कर सदन पहुंचे हैं.

ETV Bharat GFX (ETV Bharat)

दिल्ली में पढ़े हैं चिराग: चिराग पासवान का जन्म 31 अक्टूबर 1982 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई दिल्ली में ही पूरी की है. उन्होंने साल 2003 में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से 10वीं और 12वीं की शिक्षा हासिल की. कंप्यूटर साइंस से बीटेक की डिग्री ले रखी है. उन्होंने फैशन डिजाइनिंग का भी कोर्स किया है. इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले चिराग फिल्मों में अपना करियर बनाना चाहते थे. उन्होंने कंगना रनौत के साथ 2011 में फिल्म 'मिले ना मिले हम' से फिल्मी करियर की शुरुआत की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.

मां रीना पासवान के साथ चिराग पासवान (ETV Bharat)

चिराग पासवान की राजनीति में एंट्री:फिल्मी करियर छोड़कर उन्होंने सियासत में कदम बढ़ाया. जब चिराग पासवान राजनीति में सक्रिय होने लगे थे तो रामविलास पासवान पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा, क्योंकि रामविलास पासवान के दो भाई (पशुपति पारस और रामचंद्र पासवान) पहले से ही राजनीति में सक्रिय थे. चिराग पासवान के बारे में रामविलास पासवान अक्सर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहते थे कि यदि शेर का बेटा होगा तो सभी बाधा को दूर करते हुए आगे बढ़ेगा और यदि गीदड़ साबित होगा तो रास्ता छोड़कर निकल जाएगा. चिराग अपने पिता की उम्मीद पर खरे उतरे हैं.

तीसरी बार लोकसभा सासंद बने हैं चिराग पासवान (ETV Bharat)

2014 में लड़ा पहला चुनाव: 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान राजनीति में सक्रिय हो गए थे. उन्होंने ही अपने पिता रामविलास पासवान को बीजेपी के साथ गठबंधन करने की सलाह दी. चिराग पासवान 2014 में जमुई सीट से लोक जनशक्ति पार्टी के लिए चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उनकी जीत हुई थी और वह पहली बार सांसद बने. फिर 2019 में भी उन्होंने अपनी जमुई सीट पर दोबारा जीत दर्ज की.

लोक जनशक्ति पार्टी में टूट: वर्ष 2020 चिराग पासवान के लिए सबसे संकट वाला समय रहा. उनके पिता रामविलास पासवान का निधन 2020 में हो गया. उनके निधन के बाद चिराग पासवान के लिए मुसीबत एक साथ आई. चिराग पासवान का उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ मतभेद शुरू हुआ. 14 जून 2021 को पारस ने चिराग की जगह खुद को लोकसभा नेता के रूप में घोषित कर दिया था. 6 सांसदों वाली लोजपा में पारस 5 सांसदों के साथ अलग हो गए. लोक जनशक्ति पार्टी दो गुटों में बंट गई. पारस के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का गठन हुआ, वहीं चिराग के नेतृत्व में लोजपा (रामविलास) अस्तित्व में आई.

मोदी के 'हनुमान' बने रहे चिराग: एलजेपी में टूट के बाद चिराग पासवान अपनी पार्टी में अकेले सांसद बच गए थे. राजनीति के बुरे दौर से गुजर रहे चिराग ने अपने कुछ सहयोगियों के साथ 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' को लेकर पूरे बिहार का दौरा किया. बिहार के हर जिले में उन्होंने फिर से अपना संगठन खड़ा किया. रामविलास पासवान के समर्थकों ने भी उनको अपना नेता माना. अपने राजनीति के बुरे दौर में भी चिराग पासवान ने कभी नरेंद्र मोदी का साथ नहीं छोड़ा. जब पशुपति कुमार पारस नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री बने, उस समय भी चिराग अपने आप को मोदी का 'हनुमान' ही बताते रहे.

जीत के बाद पिता की प्रतिमा के सामने परिवार समेत चिराग पासवान (ETV Bharat)

उपचुनाव में दिया बीजेपी का साथ:बिहार विधानसभा की तीन सीटों पर उपचुनाव के दौरान चिराग पासवान ने खुलकर बीजेपी प्रत्याशियों के पक्ष में चुनाव प्रचार किया. दो सीटों पर बीजेपी की जीत हुई और इस जीत में चिराग पासवान की भूमिका को बीजेपी के लोगों ने समझा. यही कारण है कि 2024 लोकसभा चुनाव में अकेले पड़े चिराग पासवान को एनडीए में सीट बंटवारे के तहत 5 सीट मिली. इन सभी 5 सीटों पर चिराग पासवान के प्रत्याशी की जीत हुई.

चाचा को सक्रिय राजनीति से किया बेदखल: 2024 लोकसभा चुनाव से पहले लोजपा दोनों गुट एनडीए का हिस्सा थी. पशुपति कुमार पारस भी पांचों सांसदों के लिए टिकट मांग रहे थे और खुद हाजीपुर से चुनाव लड़ने पर अड़े थे. वहीं चिराग पासवान ने बहुत पहले ही हाजीपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी. रामविलास पासवान के असली राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर चाचा और भतीजे के बीच जारी जंग में आखिरकार बीजेपी ने चिराग पासवान का साथ दिया और एलजेपीआर को 5 सीटें दी गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चिराग पासवान (ETV Bharat)

लोकसभा चुनाव 2024 में चिराग का जलवा: खुद चिराग पासवान हाजीपुर (सु) सीट से चुनाव लड़े. वहीं, अपनी परंपरागत जमुई सीट से उन्होंने अपने बहनोई अरुण भारती को प्रत्याशी बनाया. समस्तीपुर सीट से बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया. खगड़िया लोकसभा सीट से राजेश वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया, जबकि वैशाली सीट से उन्होंने एक बार फिर से वीणा देवी को टिकट दिया. शत प्रतिशत परिणाम के साथ चिराग ने पांचों सीट पर बड़े अंतर से जीत हासिल की. इससे न केवल बिहार की राजनीति के वह बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे हैं, बल्कि केंद्र की मोदी सरकार में भी उनकी हैसियत बढ़ी है.

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