गोपालगंज:सोमवार को पूरा देश कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मना रहा है. वहीं यह उत्सव और भी खास तब बन जाता है जब सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि दूसरे कौम के लोग भी अपनी भागीदारी निभाते हैं.जिले के हथुआ प्रखंड के हथुआ स्थित गोपाल मंदिर में एक मुस्लिम भक्त सुबह शाम भगवान कृष्ण की भक्ति करता है. ये शख्स अपनी बांसुरी की धुन सुनाकर भजन कीर्तन करता है. हिंदू मुस्लिम एकता का यह अनोखा संगम सभी के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.
गोपालगंज के सगीर की कृष्ण भक्ति: मुस्लिम भाई द्वारा मंदिर में बांसुरी बजाने की ये परम्परा काफी वर्षों से चली आ रही है. इसी परम्परा को हथुआ निवासी सगीर अंसारी बरकरार रखे हुए हैं. इनके द्वारा खुद से बांसुरी बनाकर भगवान श्री कृष्ण को भी चढ़ाया जाता है और सुबह शाम साजो सज्जा के साथ बांसुरी बजाकर पूरे माहौल को भक्तिमय किया जाता है.
वर्षों पुरानी परंपरा: दरअसल यहां हिंदू मुस्लिम एकता का अद्भुत संगम वर्षों से देखने को मिल रहा है. एक मुस्लिम परिवार भगवान गोपाल को अपने बांसुरी की मधुर धुन सुनाता है. इस गोपाल मंदिर में हिंदू मुस्लिम एकता का ऐसा नजारा दिखता है जिसे देखकर भक्त भक्ति की गंगा में बहने लगते हैं. इस मुस्लिम भक्त की बांसुरी की धुन पर ही मंदिर में पूजा और आरती की जाती है.
बांसुरी बनाकर कान्हा को चढ़ाते हैं :हथुआ के इस गोपाल मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. इस मंदिर का निर्माण हथुआ राज की महारानी ने अपने स्त्री धन से बनवाया था. बताया जाता हैं कि हथुआ राज परिवार द्वारा ही उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से बांसुरी बनाने वाले मुस्लिम परिवार के कारीगरों को हथुआ के मीरशिकारी टोला में बसाया गया. उसी समय प्रात: और शाम की पूजा के समय मुस्लिम परिवार द्वारा बनाई गई बांसुरी को भगवान कृष्ण को चढ़ने की परंपरा शुरू की गई. तब से आज तक यह परंपरा जारी है.
9 साल से कृष्ण की भक्ति में लीन है सगीर: आज भी ऐतिहासिक गोपाल मंदिर में कृष्ण लला के सामने प्रतिदिन नई बांसुरी चढ़ाकर सुबह और शाम की आरती की जाती है. पूजा के समय मुस्लिम समुदाय के लोग ही बांसुरी बजाते आ रहे हैं. अपने पुरखों की इसी परंपरा को सगीर आगे बढ़ा रहे हैं. उसके पहले सगीर के पिता मंदिर में बांसुरी बजाते थे, लेकिन पिछले 9 साल से इस परम्परा को सगीर कायम रखे हुए हैं.