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कभी गुजरात में करती थी मजदूरी, आज खोल ली खुद की कंपनी, करोड़ों में है टर्नओवर - SUCCESS STORY

कभी गुजरात में रहकर मजदूरी करने वाली एक महिला अपने दम पर मालकिन बन गई है. आज उनकी कंपनी करोड़ों का टर्नओवर कर रही हैं..

अर्चना ने आपदा को बनाया अवसर
अर्चना ने आपदा को बनाया अवसर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 13, 2025, 6:25 AM IST

बेतिया: कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया में फैक्ट्रियाँ बंद हो रही थीं और मजदूर अपने घर लौट रहे थे, तब पश्चिम चंपारण की रहने वाली अर्चना कुशवाहा के लिए सूरत से अपने घर लौटना एक बुरे सपने की तरह था. सूरत में एक लहंगा और साड़ी बनाने की फैक्ट्री में काम करने वाली अर्चना के लिए यह समय बहुत कठिन था. लेकिन एक महीने बाद उनका जीवन बदल गया और उन्होंने इस संकट को एक अवसर में बदलने का निर्णय लिया.

आपदा को अवसर में बदलने की प्रेरणा : अर्चना ने सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया और बेतिया जिला प्रशासन से मदद प्राप्त की. 2020 में उन्हें PMEGP के तहत 25 लाख रुपये का ऋण मिला, जिससे उन्होंने चनपटिया में साड़ी और लहंगा बनाने की फैक्ट्री स्थापित की. इस कदम से न सिर्फ उनका कारोबार बढ़ा, बल्कि उन्होंने 25 लोगों को रोजगार भी दिया. आज उनका कारोबार 3 करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है.

बेतिया की अर्चना ने आपदा को बनाया अवसर (ETV Bharat)

बिहार स्टार्टअप नीति और चनपटिया मॉडल : बिहार स्टार्टअप नीति और औद्योगिक नव परिवर्तन योजना के तहत चनपटिया स्टार्टअप मॉडल ने एक नई दिशा दी है. यह मॉडल कोरोना काल के दौरान मजदूरों के लिए एक नया अवसर बना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मॉडल के जरिए आत्मनिर्भर बिहार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. आज चनपटिया मॉडल देशभर में अपनी पहचान बना चुका है.

अर्चना कुशवाहा, उद्यमी
अर्चना कुशवाहा, उद्यमी (ETV Bharat)

अर्चना की सफलता की कहानी : अर्चना कुशवाहा ने अपनी मेहनत और संघर्ष से साबित कर दिया कि कोई भी संकट सफलता का रास्ता बन सकता है. वह कहती हैं कि जब वह सूरत से लौट रही थीं, तो अंधकार था, लेकिन सरकार की योजनाओं ने उन्हें नई दिशा दी. आज वह एक सफल उद्यमी हैं, और उनकी फैक्ट्री में 25 लोग काम कर रहे हैं. उनका कारोबार लाखों रुपये तक पहुंच चुका है.

कंपनी में बनती कपड़े की डिजाइन
कंपनी में बनती कपड़े की डिजाइन (ETV Bharat)

चनपटिया स्टार्टअप जोन की बढ़ती सफलता : चानपटिया स्टार्टअप जोन में अब तक 57 उद्यमियों को जमीन आवंटित की जा चुकी है और 93 अन्य उद्यमियों के लिए प्रक्रिया जारी है. इस जोन में साड़ी, लहंगा, लोअर, लैगिंस, शर्ट, पैंट, जीन्स जैसी रेडीमेड गारमेंट्स की फैक्ट्रियाँ स्थापित हो चुकी हैं. उद्यमियों ने 30 से 35 करोड़ रुपये का कारोबार किया है और 4 करोड़ 25 लाख रुपये की मशीनें लगाई हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

रोजगार सृजन और आर्थिक लाभ : इस स्टार्टअप जोन से अब तक 450 मजदूरों को रोजगार मिला है, जो हर महीने 10 से 15 हजार रुपये कमा रहे हैं. राज्य सरकार को प्रति माह 93 हजार रुपये का राजस्व भी प्राप्त हो रहा है. इसके साथ ही, चनपटिया स्टार्टअप जोन में PMEGP के माध्यम से 4 करोड़ 14 लाख रुपये का ऋण उद्यमियों को दिया गया है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

नए उद्यमियों का उदय : आज चनपटिया में ऐसे कई उद्यमी हैं जो पहले सूरत, लुधियाना, मुंबई, दिल्ली और पंजाब जैसे शहरों में काम करते थे. अब वे खुद के मालिक बन चुके हैं और 20 से 25 लोगों को रोजगार दे रहे हैं. इन उद्यमियों का कारोबार न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों तक फैल चुका है.

ETV Bharat
कोरोना काल में शुरू किया स्टार्टअप (ETV Bharat)

चनपटिया स्टार्टअप जोन में आज सफलता की बयार चल रही है. अर्चना कुशवाहा जैसी सफल उद्यमियों ने यह साबित कर दिया कि सही दिशा और सरकारी मदद से किसी भी मुश्किल को अवसर में बदला जा सकता है. चंपारण ब्रांड अब देश और विदेश में अपना कारोबार कर रहा है, और यह मॉडल आत्मनिर्भर बिहार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है.

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मशीनों से बनती डिजाइन (ETV Bharat)

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अर्चना कुशवाहा, उद्यमी
अर्चना कुशवाहा, उद्यमी (ETV Bharat)

अर्चना की सफलता की कहानी : अर्चना कुशवाहा ने अपनी मेहनत और संघर्ष से साबित कर दिया कि कोई भी संकट सफलता का रास्ता बन सकता है. वह कहती हैं कि जब वह सूरत से लौट रही थीं, तो अंधकार था, लेकिन सरकार की योजनाओं ने उन्हें नई दिशा दी. आज वह एक सफल उद्यमी हैं, और उनकी फैक्ट्री में 25 लोग काम कर रहे हैं. उनका कारोबार लाखों रुपये तक पहुंच चुका है.

कंपनी में बनती कपड़े की डिजाइन
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ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

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ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

नए उद्यमियों का उदय : आज चनपटिया में ऐसे कई उद्यमी हैं जो पहले सूरत, लुधियाना, मुंबई, दिल्ली और पंजाब जैसे शहरों में काम करते थे. अब वे खुद के मालिक बन चुके हैं और 20 से 25 लोगों को रोजगार दे रहे हैं. इन उद्यमियों का कारोबार न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों तक फैल चुका है.

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