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जानें कब-कब और किस कोर्ट ने राज्य आरक्षण की सीमा 50% पार करने पर लगायी है रोक - Reservation Banned Over 50 Percent - RESERVATION BANNED OVER 50 PERCENT

Reservation In Bihar : सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में इंद्रा साहनी बनाम भारत सरकार मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. जिसे मंडल आयोग के फैसले के रूप में भी जाना जाता है. सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण को 50 प्रतिशत तक सीमित कर दिया था.

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बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण पर रोक. (कॉसेप्ट फोटो) (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 20, 2024, 7:58 PM IST

पटना : पटना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बिहार सरकार की उस अधिसूचना को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य में सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोटा 50% से बढ़ाकर 65% किया गया था. न्यायालय ने संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया. यह पहला फैसला नहीं है, जब कोर्ट ने 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण पर रोक लगाया है. हम आपको बताते हैं देश में कहां-कहां और किस अदालत ने यह फैसला सुनाया है.

5 मई 2021, मराठा आरक्षण खत्म :सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था. क्योंकि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ऊपर हो गई थी. अदालत ने कहा था कि आरक्षण को लागू करने से 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन होगा. साथ ही अदालत ने कहा था कि इस पर दोबारा से विचार करने की जरूरत नहीं है. पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण, एल नागेश्वर राव, एस अब्दुल नजीर, हेमंत गुप्ता और एस रवींद्र भट शामिल थे.

फिलहाल, महाराष्ट्र में आरक्षण की वर्तमान स्थिति, अनुसूचित जाति-15 फीसदी, अनुसूचित जनजाति- 7.5 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्ग- 27 फीसदी, अन्य- 2.5 फीसदी, कुल मिलाकर 52 फीसदी है.

17 मार्च 2015, जाट आरक्षण खत्म : सुप्रीम कोर्ट ने जाटों को ओबीसी कोटे में आरक्षण देने के पिछली सरकार (यूपीए) के फैसले को रद्द कर दिया था. अदातल ने कहा था कि जाति आरक्षण का आधार नहीं हो सकता है, क्योंकि जाट सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग नहीं हैं. आरक्षण का आधार सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक होना चाहिए, इसलिए केन्द्रीय नौकरियों और शिक्षक संस्थानों में भी जाटों को आरक्षण नहीं मिलेगा.

15 फरवरी 2013, आंध्र में मुस्लिम आरक्षण रद्द : साल 2013 में दूसरी बार आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने रोजगार और शैक्षिक संस्थानों में 5 फिसदी मुस्लिम आरक्षण का कोटा रद्द कर दिया था. फिलहाल आंध्र प्रदेश में ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम रिजर्वेशन का कोटा 7 फीसदी से 10 फीसदी तक है.

29 मई 2012, आंध्र में कोटा के भीतर कोटा रद्द: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी कोटा के भीतर कोटा यानी उप कोटा रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि आरक्षण पूरी तरह से धार्मिक आधार पर नहीं हो सकता है.

08 फरवरी 2010, 4% आरक्षण खारिज :आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने के राज्य के फैसले को खारिज कर दिया. सात न्यायाधीशों की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया.

07 नवंबर 2005, SC के आदेश की अवहेलना होगी : आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने मुस्लिम आरक्षण विधेयक को खारिज कर दिया. उच्च न्यायालय ने कहा कि यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत के कुल आरक्षण सीमा से अधिक होगा, इस आधार पर विधेयक को खारिज कर दिया जाता है. इधर सरकार ने सीमा घटाकर चार प्रतिशत कर दी.

सितंबर 2004, राज्य की शक्तियों को सीमित किया गया :आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने सितंबर 2004 में सरकार के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें इंद्रा साहनी बनाम भारत सरकार के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा का हवाला दिया गया. इस फैसले ने राज्य की शक्तियों को सीमित कर दिया और कोटा पर 50 प्रतिशत की सीमा तय कर दी. साथ ही पिछड़ेपन का पता लगाने के लिए 11 संकेतक निर्धारित किए.

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