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भारत का ये गांव बन चुका है मिनी इस्राइल, स्थानीय लोग भी बोल लेते हैं इस्राइली भाषा - mini Israel of india

कुल्लू जिले के कसोल को मिनी इस्राइल के नाम से जाना जाता है. रेस्टोरेंट के मेन्यू कार्ड भी हिब्ब्रू भाषा में देखने को मिल जाएंगे

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 5 hours ago

Updated : 4 hours ago

भारत का मिनी इस्राइल
भारत का मिनी इस्राइल (ETV BHARAT)

कुल्लू: लेबनान में हिजबुल्लाह पर हमले और नसरूल्लाह को मौत की नींद सुलाने के बाद पूरी दुनिया में इस्राइल की चर्चा हो रही है. हिजबुल्लाह के साथ इस्राइल की जंग में अब ईरान की भी एंट्री हो गई है. ईरान ने इस्राइल की राजधानी तेल अवीव पर ताबड़तोड़ मिसाइलें दागी हैं, जिसके बाद बड़े युद्ध की आशंका जताई जा रही है. इस्राइल मध्य पूर्व में स्थित है. ये दक्षिणपूर्व भूमध्य सागर के पूर्वी छोर पर स्थित है. इसके उत्तर में लेबनॉन, पूर्व में सीरिया और जॉर्डन, दक्षिण-पश्चिम में मिस्र है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक इस्राइल हिमाचल में भी है.

हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियां पूरे विश्वभर के सैलानियों को अपनी और आकर्षित करती हैं. हिमाचल की ये खूबसूरत वादियां इस्राइल के नागरिकों की भी पसंदीदा जगह है. हिमाचल के कुल्लू जिले की मणिकर्ण घाटी के कसोल को मिनी इस्राइल के नाम से जाना जाता है. साल भर यहां इस्राइल लोगों का तांता लगा रहता है. यहां के कई रेस्टोरेंट में इस्राइल की हिब्रू भाषा में मेन्यू कार्ड भी देखने को मिलते है. इसके अलावा इस्राइली लोग यहां पर होटल होमस्टे, रेस्टोरेंट भी चला रहे हैं.

हिमाचल का कसोल गांव (ETV BHARAT)

1990 में इस्राइली नागरिकों का हुआ था आगमन

कुल्लू की मणिकर्ण घाटी में कसोल गांव पार्वती नदी के किनारे बसा हुआ है. कसोल गांव में पहले यहां सिर्फ एक बस स्टॉप हुआ करता था, लेकिन बाद में लोगों ने यहां बसना शुरू कर दिया. साल 1990 में इस्राइल के पर्यटकों ने इस गांव में आना शुरू किया था. तब से लेकर अब तक इस गांव की संस्कृति और शैली पर इस्राइल का प्रभाव स्पष्ट देखने को मिलता है. इस्राइली आर्मी छोड़ने के बाद इस्राइली नागरिक इस गांव में इतनी तादाद में आते हैं ऐसा लगता है मानों यह कोई इस्राइल का ही गांव हो. इस्त्राइली लोगों ने पहाड़ी और कसोल के लोगों ने इस्त्राइली संस्कृति को अपनाया है.

दुकान के बाहर हिब्ब्रू भाषा में लगा साइन बोर्ड (ETV BHARAT)

होटल संचालक कर लेते हैं हिब्रू में बात

कसोल में इस्राइल की हिब्रू भाषा में पोस्टर, साइन बोर्ड दिखना आम बात है. यहां के होटलों के नाम और इसके अलावा, मेन्यू में व्यंजनों के नाम भी हिब्रू में लिखे होते हैं. स्थानीय लोग और होटल संचालक भी थोड़ी बहुत इस्त्राइली भाषा में बात कर लेते हैं. यहां इस्राइली झंडे भी आसानी से दिख जाएंगे. कसोल में सबसे ज्यादा इस्राइली टूरिस्ट आते हैं. इसके अलावा स्थानीय खाने में भी इस्राइली टच मिलेगा और यहां होटल, बुक शॉप और अन्य जगहों पर बड़ी संख्या में इस्राइल टूरिस्टों का जमावड़ा देखने को मिलता है.

कसोल में आए इस्राइली पर्यटक (ETV BHARAT)

खबाद हाउस में इस्राइली सरकार ने नियुक्त किया है पुजारी

नमस्कार की जगह यहां आपको 'शलोम' सुनाई पड़ेगा और यूं ही घूमते-फिरते कई इस्राइली नागरिकों से आपका सामना भी हो जाएगा. इसीलिए इस इलाके को मिनी इस्राइल कहा जाता है. यहां शाम की बयार में 'स्टार ऑफ डेविड' वाले इस्राइली झंडे लहराते दिखते है. कसोल में ही यहूदी धर्म को मानने वाले इस्राइली नागरिकों के लिए खबाद हाउस भी बनाया और इस्राइल सरकार ने यहां पुजारी (हिब्रू भाषा में रब्बी) की नियुक्ति है. जहां पर इस्राइल से आए यहूदी अपनी पूजा पद्धति का पालन करते हैं. इस्राइलियों ने यहां करीब तीन दशक पहले आना शुरू किया था. शुरुआत में पुराना मनाली उनका पसंदीदा ठिकाना हुआ करता था.

दुकान के बाहर हिब्ब्रू भाषा में लगा साइन बोर्ड (ETV BHARAT)

अकेले बिताते हैं इस्राइली अपना समय

कसोल के स्थानीय पर्यटन कारोबारी किशन ठाकुर, गिरीश ने बताया कि,'अधिकतर इंटरनेट कैफे में बातचीत की भाषा हिब्रू है. इस्राइल लोग ज्यादा अंग्रेजी नहीं समझते और स्थानीय लोग इस्राइलियों के लिए बने कैफे में नहीं जाते. इस्राइलियों का खान पान अलग तरह का है और स्थानीय लोग इस्राइलियो से होने वाले व्यवसाय से भी खुश हैं. पर्यटन सीजन के दौरान यहां पर इस्राइल के लोगों की संख्या हजारों में हो जाती हैं. इसके अलावा मणिकर्ण घाटी के कई ग्रामीण इलाकों में यह छह माह से भी अधिक समय पार्वती घाटी में गुजारते हैं. इस्राइल के लोग यहां पर अधिकतर समय अकेले या शांतिपूर्ण जगह पर ही रहना पसंद करते और भीड़भाड़ शोर-शराबे वाली जगह पर जाना पसंद नहीं करते हैं.'

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