जबलपुर।जबलपुर में बीएसएनएल 1700 करोड रुपये में अपनी 13 संपत्तियां बेच रहा है लेकिन जबलपुर के लोगों ने टेलीकॉम फैक्ट्री को बेचने का विरोध दर्ज कराया है. लोगों का कहना है कि टेलीकॉम फैक्ट्री के भीतर जो जंगल है वह जबलपुर के लिए ऑक्सीजन प्लांट का काम करता है और इस जगह को जंगल या पार्क के रूप में ही विकसित किया जाए. इसे बेचकर यहां कंक्रीट का जंगल नहीं बनाया जाए. लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध करने की तैयारी भी कर ली है.
1700 करोड़ की सरकारी बोली
भारतीय दूरसंचार विभाग जबलपुर में अपनी 13 बड़ी-बड़ी संपत्तियां बेच रहा है. इनकी ऑनलाइन बोलियां शुरू हो चुकी हैं. बीएसएनएल ने अपनी इन संपत्तियों की कीमत 1700 करोड़ यानि 17 अरब रुपये रखी है और इससे ज्यादा की बोलियां लोगों से आमंत्रित की जा रही हैं, हालांकि इसमें केवल ज्यादा बड़ी कंपनियों को ही बोली लगाने का मौका मिल रहा है. जिस तरह यह प्रक्रिया चल रही है उससे लगता है कि जल्द ही बीएसएनएल जबलपुर की बड़ी-बड़ी संपत्तियां बेच देगा.
टेलीकॉम फैक्ट्री है जबलपुर का फेफड़ा
जबलपुर में बीएसएनएल की एक टेलीकॉम फैक्ट्री है. यह फैक्ट्री अब जबलपुर के ठीक बीचों-बीच है. इसके एक तरफ राइट टाउन, नेपियर टाउन तो दूसरी तरफ रानीताल और तीसरी तरफ अग्रवाल कॉलोनी, यादव कॉलोनी और स्नेह नगर जुड़ा हुआ है. इस फैक्ट्री में लगभग 100 एकड़ जमीन है. इस जमीन पर बहुत छोटे से हिस्से में एक फैक्ट्री है जिसमें टेलीकॉम के वायर बिछाने के लिए प्लास्टिक के पाइप बनाए जाते और कुछ और चीजें बनाई जाती थीं लेकिन अब यह फैक्ट्री बंद हो चुकी है. इस जगह पर कुछ पुराने क्वार्टर्स भी हैं जिनमें बीएसएनएल के पुराने कर्मचारी रहते थे फिलहाल ज्यादातर क्वार्टर खाली हैं और फैक्ट्री का 95% हिस्सा अब जंगल में तब्दील हो गया है. यहां स्वाभाविक तौर पर पेड़ पौधे उग गए हैं और इसकी वजह से एक अच्छी जैव विविधता इस पूरे इलाके में विकसित हो गई है.
जंगल को बेचने के विरोध में आगे आए रहवासी
स्थानीय निवासी डॉ पवन स्थापकका कहना है कि "टेलीकॉम की फैक्ट्री का यह जंगल खत्म करके और इस पर कंक्रीट का जंगल खड़ा करना पूरी तरह गलत है. पवन स्थापक का कहना है कि यदि सरकार इस क्षेत्र को विकसित ही करना चाहती है तो यहां बड़ा सा पार्क बना दिया जाए. जिस इलाके में फैक्ट्री है वहां एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनाया जा सकता है ताकि जबलपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैच और आयोजन हो सकें लेकिन इसे किसी निजी बिल्डर को बेच देना जबलपुर के हित में नहीं है, क्योंकि यदि निजी बिल्डर यहां आएगा तो बिल्डिंग बनाएगा. इससे जबलपुर को आक्सीजन देने वाला यह जंगल पूरी तरह नष्ट हो जाएगा. जिस तरह दिल्ली में जंगल नष्ट हुए और अब दिल्ली में पर्यावरणीय प्रदूषण बड़ा खतरा बन गया है वही हाल जबलपुर का होगा. इसीलिए उनके साथ स्थानीय लोग भी बीएसएनल फैक्ट्री के बेचने के विरोध में खड़े हो गए हैं."
ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं जबलपुर विरोधी!
इस फैक्ट्री के मैदान में घूमने के लिए आने वाले लोगों का कहना है कि इसके पहले भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जबलपुर से मुंबई की हवाई यात्रा की सुविधा छीन ली थी और अब जब दूरसंचार मंत्री बन गए हैं तो जबलपुर से दूरसंचार की जमीन भी छीन रहे हैं. मुंबई के लिए डायरेक्ट फ्लाइट बंद करके उसे ग्वालियर से शुरू करवाने पर जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स ने बड़े पैमाने पर इसका विरोध किया था.