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झारखंड के राजनीतिक घटनाक्रम का सफरनामा, पहली बार लापता हो गए किसी राज्य के मुख्यमंत्री, बुधवार है अहम दिन - झारखंड में राजनीति संकट

Jharkhand political Crisis. झारखंड की राजनीति पिछले दो दिनों से पूरी तरह से गर्म है. देश में शायद ये पहली बार हुआ है कि 30 घंटे से ज्यादा समय तक किसी अधिकारी से लेकर आम आदमी तक को ये पता ना हो कि उसके राज्य का सीएम कहां है. हालांकि सीएम जैसे ही रांची पहुंचे उन्होंने अपने विधायकों के साथ बैठक की. देर शाम सीएम आवास पर खत्म हुए बैठक के बाद विधायक और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री पर विश्वास जताया है.

Jharkhand political Crisis
Jharkhand political Crisis

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 30, 2024, 10:56 PM IST

रांची:रविवार से झारखंड में चल रहा राजनीतिक घटनाक्रम झारखंड की सियासत के लिए काफी अहम रहा है. रविवार से मंगलवार तक जिस तरह की राजनीति और जिस तरह की बातें झारखंड में बाहर निकाल कर आई है वह निश्चित तौर पर झारखंड के स्थिरता और अस्थिर करने वाली राजनीति के बीच चल रहे द्वंद का बड़ी और शायद देश की पहली राजनीतिक घटनाक्रम बन गई.

गायब हो गए मुख्यमंत्री झारखंड: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली दौरे पर चार्टर्ड प्लेन से गए थे, लेकिन उसके बाद दिल्ली से लेकर झारखंड की राजनीति में सोमवार और मंगलवार को जिस तरह की चीज हुई वह निश्चित तौर पर किसी राज्य की राजनीति के लिए काफी आश्चर्यजनक रहा. मुख्यमंत्री दिल्ली में हैं कि नहीं इस बात के कयास लगते रहे. इस बात की भी चर्चा होती रही की ईडी के डर से हेमंत सोरेन गायब हो गए हैं. मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने हेमंत सोरेन का पोस्टर तक जारी कर दिया. रांची के डोरंडा थाने में मुख्यमंत्री के गायब होने का पत्र भी दे दिया गया. यह सारा घटनाक्रम चलता रहा, लेकिन मुख्यमंत्री के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई.

गवर्नर ने कहा पता नहीं कहां है मुख्यमंत्री: मुख्यमंत्री के झारखंड में नहीं होने और दिल्ली जाने की जानकारी सार्वजनिक तौर पर थी, लेकिन मुख्यमंत्री दिल्ली के बाद कहां हैं इसकी जानकारी किसी को नहीं थी. सबसे बड़ा संवैधानिक और राजनीतिक संकट झारखंड की राजनीति में तब खड़ा हो गया जब झारखंड के राज्यपाल डॉक्टर सीपी राधाकृष्णन ने यह कह दिया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहां हैं इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है. पुलिस महकमें के लोगों को भी इस बात की जानकारी नहीं थी. हालांकि ईडी की कार्रवाई दिल्ली में चलती रही. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर दिल्ली में छापा पड़ा जिसमें कुछ दस्तावेज भी जब्त हुए. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की हरियाणा रजिस्ट्रेशन की गाड़ी भी जब्त हुई. यह बातें तो जरूर सामने आती रही, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहां हैं इसकी जानकारी किसी को नहीं थी. सबसे बड़ी राजनीतिक संकट की स्थिति तब पैदा हुई जब झारखंड के गवर्नर ने कह दिया कि उन्हें भी नहीं पता है हेमंत सोरेन कहां हैं.

सोमवार को मुख्य सचिव ने बुलाई आपात बैठक: सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय का दिल्ली में हेमंत सोरेन के घर पर छापेमारी के बाद राज्य के मुख्य सचिव ने गृह सचिव और डीजीपी की बैठक बुलाई. इसके साथ ही रांची की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर के भी कई निर्देश जारी कर दिए गए. राजधानी रांची में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई. उसके बाद इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि शायद राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है. यही वजह है कि बिना किसी जानकारी के ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जा रही है. लेकिन संभावनाओं की राजनीति इसी तरह हिचकोले लेती रही कि हेमंत सोरेन हैं कहां.

हेमंत के गायब होने के पोस्टर: सोमवार के पूरे दिन यही बातें चलती रहीं, हालांकि मंगलवार की सुबह भारतीय जनता पार्टी के नेता और गोड्डा सांसद डॉक्टर निशिकांत दुबे ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर हेमंत सोरेन के गायब होने का पोस्टर जारी कर दिया. मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी ने डोरंडा थाने में विधिवत पत्र देकर के हेमंत सोरेन को खोजने के लिए पुलिस को आवेदन दिया गया. यह तमाम चीज झारखंड की राजनीति में मंगलवार को काफी चर्चा में रहीं.

राज्यपाल ने अधिकारियों को किया तलब: झारखंड के राज्यपाल डॉक्टर सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव डीजीपी और गृह सचिव को राजभवन तलब किया. सभी अधिकारियों से हेमंत सोरेन के बारे में जानकारी मांगी. सबसे आश्चर्य की बात जो अभी तक सूत्रों के माध्यम से रही है, वह यही निकल कर सामन आई कि अधिकारियों ने भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहां हैं. हालांकि राजभवन से मिले सूत्रों के अनुसार राज्यपाल ने तमाम पदाधिकारी को बहुत स्पष्ट निर्देश दिया था कि 3:00 तक यह पता करके बताइए कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहां हैं. ताकि लोगों को इस बात की जानकारी दी जा सके. राज्य में एक ऐसी स्थिति पैदा हो रही है जिसमें तरह-तरह की चर्चाएं अनावश्यक शुरू हो रही हैं.

लगाई गई धारा 144:रांची में लगातार बदल रहे घटनाक्रम को लेकर के प्रशासन हाई अलर्ट पर था. इसी को लेकर के रांची प्रशासन ने मुख्यमंत्री आवास राजभवन और प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर के चारों तरफ धारा 144 लागू कर दिया. स्पष्ट तौर पर मंत्री आवास के 100 मीटर के दायरे में राजभवन के 100 मीटर के दायरे में और प्रवर्तन निदेशालय के 100 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू की गई. इस तरह की चीजें सामने आने के बाद चर्चा और तेज हो गई झारखंड की राजनीति में बदलने वाली है. जिस तरीके से प्रशासन ने बदलाव किया है शायद कुछ बड़ा बदलने वाला है.

विधायकों ने हेमंत सोरेन पर भरोसा जताया:दोपहर 2:00 बजे के आसपास मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बारे में जानकारी आई कि वह मुख्यमंत्री आवास में हैं और पदाधिकारी के साथ बापू पार्टी का जाएंगे. बापू वाटिका के बाद पार्टी के लोगों के साथ बैठक करेंगे, उसके बाद राजनीतिक घटनाक्रम लगातार बदलना शुरू हुआ. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले बापू वाटिका गए उसके बाद महागठबंधन के सभी नेताओं से मुलाकात किया. देर शाम 7:00 से विधायक दल की बैठक हुई और विधायक दल की बैठक के बाद कांग्रेस नेता बन्ना गुप्ता ने बताया कि बैठक में सभी लोगों ने हेमंत सोरेन पर विश्वास जताया. उन्होंने कहा है कि हेमंत सोरेन जो भी निर्णय लेंगे सभी लोग उसके साथ ही चलेंगे.

रविवार, सोमवार और मंगलवार को राज्य में चले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अब बुधवार को झारखंड की राजनीति में एक अहम दिन है. 31 जनवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी के सवालों का जवाब देने के लिए समय दिया है. मेल के माध्यम से प्रवर्तन निदेशालय को यह जानकारी दी गई है कि दोपहर 1:00 बजे हेमंत सोरेन प्रवर्तन निदेशालय के सवालों का जवाब देंगे.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 31 जनवरी को दोपहर 1:00 बजे प्रवर्तन निदेशालय को पूछताछ के लिए अपने आवास पर आने का समय दिया है. अब देखना है कि रविवार से चली आ रही राजनीति बुधवार को किस समीकरण के साथ खत्म होती है. लेकिन कुल मिलाकर के झारखंड को पिछले दो दिनों में जी राजनीति का सामना करना पड़ा है वह निश्चित तौर पर भारतीय लोकतंत्र में किसी राज्य में होने वाली यह पहली घटना है, जिसमें किसी राज्य के मुख्यमंत्री की जानकारी राज्यपाल को ना हो, मुख्य सचिव को ना हो, गृह सचिव को ना हो और राज्य के पुलिस के मुखिया को भी ना हो.

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