रांची: झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियो में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. चाईबासा में 29 जनवरी को मुठभेड़ में मारे गए जोनल कमांडर संजय गंझु के पास मिले पत्र ने भाकपा माओवादी संगठन के आंतरिक स्थिति को लेकर विस्फोटक खुलासे किए हैं.
पत्र में 25 लाख के इनामी के मौत की भी जानकारी
झारखंड पुलिस के जोरदार वार से हर दिन नए नए झटके झेल रही भाकपा माओवादियों के संगठन के भीतर खाने की स्थिति ठीक नहीं है. 29 जनवरी 2024 को झारखंड चाईबासा के सोनुवा में हुए मुठभेड़ में मारे गए जोनल कमांडर संजय गंझू के शव के पास से मिले पत्र ने संगठन की आंतरिक स्थिति पर विस्फोटक खुलासा किया है. 25 लाख के इनामी लंबू की मौत के रहस्य पर से भी पर्दा हट गया है. संजय के पत्र से इस बात का भी खुलासा हुआ है कि संगठन के बड़े नेता स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य करमचंद हांसदा उर्फ लंबू उर्फ वीर सिंह की मौत बीमारी से हो चुकी है.
अनल तक पहुंचाना था पत्र
पुलिस के साथ हुए एनकाउंटर में मारे गए संजय गंझू के पास से मिले पत्र को गंझू ने 26 जनवरी को लिखा था. जिसे केंद्रीय कमेटी सदस्य और एक करोड़ के इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल तक पहुंचाना था. लेकिन पत्र को संजय केंद्रीय कमेटी सदस्य तक पहुंचा पाता, इससे पहले ही चाईबासा के सोनुआ स्थित विलायती जंगल में सुरक्षाबलों के साथ माओवादियों की भिड़ंत हो गई, जिसमें संजय गंझू और एरिया कमेटी सदस्य हेमंती मझियाईन दोनों ही मारे गए.
संजय ने अपने ही रीजनल कमांडर पर लगाया शीर्ष की बात नहीं मानने का आरोप
मारे गए जोनल कमांडर संजय के पास मिले पत्र में बताया गया है कि 15 लाख का इनामी रीजनल कमांडर अमित मुंडा संगठन के शीर्ष नेतृत्व की बात नहीं मानता. संजय ने मौत के पहले लिखे पत्र में केंद्रीय कमेटी सदस्य को बताया कि लगातार हो रहे विवाद को दूर करने के लिए शीर्ष माओवादियों के निर्देश पर माओवादियों की बैठक हुई थी. लेकिन इस बैठक में रीजनल कमांडर अमित मुंडा नहीं पहुंचा. पतिराम मांझी की करीबी हेमंती के विषय में भी पत्र में जिक्र है. पत्र में बताया गया है कि जब से वह अमित मुंडा की टीम में शामिल हुआ है, तब से अमित और हेमंती के बीच ठीक रहन सहन नहीं था. पत्र में जिक्र है कि संगठन के आंतरिक गतिविधियों के संबंध में संजय केंद्रीय कमेटी सदस्य से मुलाकात कर सारे विषयों की जानकारी रखना चाहता था.
करमचंद की मौत का जिम्मेदार अमित
मुठभेड़ में मौत के पहले लिखे गए पत्र में संजय गंझू ने लिखा है कि संगठन के सैक कमांडर करमचंद उर्फ वीर सिंह की मौत बीमारी से हो गई, लेकिन इस मौत को लापरवाही से मौत बताया गया है. पत्र में लिखा गया है कि वीर सिंह की सही से देखभाल नहीं हुई. अमित के ऊपर देखरेख की जिम्मेदारी थी, लेकिन देखरेख नहीं होने से वीर सिंह की मौत हो गई.
पत्र को ध्यान में रख कर आगे की कार्रवाई
झारखंड पुलिस 31 मार्च 2025 तक भाकपा माओवादियों के सफाए को लेकर अपना टारगेट रखा है. अब मारे गए जोनल कमांडर के द्वारा लिखे गए पत्र में मिली जानकारी के आधार पर एजेंसियां आगे की कार्रवाई कर रही हैं.
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