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नए कानून बीएनएस के तहत रांची में दर्ज हुआ राज्य का पहला मामला, चोरी से जुड़ी है प्राथमिकी - first case registered

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 1, 2024, 2:11 PM IST

Updated : Jul 1, 2024, 3:07 PM IST

Kotwali Thana Ranchi. रांची में नए कानून के तहत राज्य का पहला मामला दर्ज हुआ है. कोतवाली थाना में भारतीय न्याय संहिता की धारा 303 के तहत पहली प्राथमिकी दर्ज की गई है. शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है.

FIRST CASE REGISTERED
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

रांचीः आज से पूरे देश में आपराधिक मामलों से जुड़े तीन नये कानून लागू हो गये हैं. इस कड़ी में आज झारखंड की राजधानी रांची के कोतवाली थाना में चोरी से जुड़ी पहली प्राथमिकी दर्ज हुई है. आईपीसी की जगह बीएनएस यानी भारतीय न्याय संहिता की धारा 303 के तहत मामला दर्ज हुआ है. दरअसल, कोतवाली थाना क्षेत्र के अपर बाजार स्थित एक दवा दुकान में चोरी की घटना के बाद पीड़ित ने मामला दर्ज करवाया है. पूर्व में चोरी की घटना पर आईपीसी की धारा 379 के तहत मामला दर्ज होता था लेकिन अब बीएनएस की धारा 303(2), 305(a) के तहत मामला दर्ज हुआ है.

दुकान संचालक का बयान (वीडियो- ईटीवी भारत)

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक आज सुबह अपर बाजार के श्रद्धानंद रोड स्थित रश्मि इंटरप्राइजेज नाम के दवा दुकान को खोलने के लिए जब संचालक रश्मि कुमारी चौधरी पहुंचीं तो उन्होंने शटर का ताला टूटा पाया. उन्होंने दुकान का गल्ला देखा तो उसमें रखा करीब सवा लाख रुपया गायब थे. इसके साथ ही चांदी के आठ सिक्के भी नहीं थे. उन्होंने तत्काल कोतवाली थाना पहुंचकर इस बाबत शिकायत की. उनकी शिकायत पर पुलिस ने नये आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 303(2), 305(a) के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है. रांची के सिटी एसपी राजुकमार मेहता ने ईटीवी भारत को बताया कि सीसीटीवी फुटेज खंगाला जा रहा है. इस कांड में शामिल अपराधियों को बहुत जल्द पकड़ लिया जाएगा.मामले की जांच की जिम्मेदारी सब इंस्पेक्टर लुसी रानी को दिया गया है.

आपको बता दें कि देश में 1 जुलाई यानी आज से आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह क्रमश: भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो गया है. इन तीनों कानून को लागू करने से पहले पुलिस के स्तर पर वरीय अधिकारियों और पदाधिकारियों को लगातार ट्रेनिंग दी जा रही थी ताकि मामले दर्ज करते वक्त गलती से पुराने कानून की धाराओं का जिक्र ना हो पाए.

Last Updated : Jul 1, 2024, 3:07 PM IST

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