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देश के पहले सिविलियन जिसने हासिल किया है फाइटर जेट का लाइसेंस, जानिए कौन हैं वो - NIRUP MOHANTY GOT JET LICENSE

जमशेदपुर के निरूप महंती देश के पहले सिविलियन हैं, जिन्हें फाइटर जेट का लाइसेंस मिला है.

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निरूप महंती (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 19, 2025, 3:19 PM IST

Updated : Feb 19, 2025, 9:58 PM IST

जमशेदपुर: सौ साल से ज्यादा पुराने शहर जमशेदपुर में कई ऐसी शख्सियत है जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है. कहते हैं सीखने की कोई उम्र नहीं होती, बस जुनून चाहिए, जो मंजिल तक खुद-ब-खुद पहुंचा देता है. यही मंजिल कई बार अलग छाप छोड़ जाती है, जो कहानियों के तौर बुना जाता है. हम बात कर रहे हैं जमशेदपुर के रहने वाले निरूप महंती की.

निरूप महंती की वर्तमान उम्र 75 साल है. बीते वर्षों में उनके जज्बे के जरिए मिलने वाली अलग पहचान आज एक मिसाल बन गया है. निरूप महंती देश के पहले सिविलियन बन गए हैं, जिन्हें फाइटर मिलिट्री जेट का लाइसेंस प्राप्त हुआ है. यह पल सिर्फ जमशेदपुर के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए गर्व की बात है.

कौन हैं निरूप महंती

जमशेदपुर के बिस्टुपुर सर्किट हॉउस क्षेत्र में रहने वाले 75 वर्षीय निरूप महंती टाटा स्टील कंपनी में एक वरीय पदाधिकारी के पद पर रह चुके हैं. सर्विस से रिटायर्ड होने के बाद वे जमशेदपुर लोकसभा सीट पर जेएमएम की टिकट पर चुनाव भी लड़े थे लेकिन उन्हें राजनीति रास नहीं आई और न ही कुछ खास सफलता मिली. निरूप संगीत प्रेमी भी हैं. उन्हें गिटार बजाने का काफी शौक है.

निरूप महंती से बातचीत करते संवाददाता जितेंद्र कुमार (ETV BHARAT)

निरूप के पायलट बनने की कहानी

निरूप महंती ने ईटीवी भारत से अपनी कहानी को साझा करते हुए बताया कि परिवार में वे सबसे छोटे थे. उन पर बंदिशें रहती थीं, लेकिन चुनौती वाले खेल और काम से उन्हें बेहद लगाव था. उनके पिता भी टाटा स्टील में बड़े पद पर कार्यरत थे. उन्होंने बताया कि जब सोनारी एयरपोर्ट पर जेआरडी टाटा आते थे, तब उनके पिता उनसे काम के सिलसिले में अक्सर मुलाकात करते थे.

पिता के साथ वे भी रहते थे और जहाज को देखते थे. एक दिन जेआरडी टाटा ने उनके पिता से पूछा कि ये छोटा बच्चा कौन है. पिता ने परिचय कराया और उस दौरान जेआरडी टाटा ने निरूप महंती के साथ एक फोटो खिचंवाई. निरूप महंती बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें पायलट बनने का बहुत शौक था. शहर में पढ़ाई करने के बाद वे फ्लाइंग क्लब ज्वाइन कर अपनी ट्रेनिंग पूरी की. सिंगल और डबल इंजन के विमान को उड़ाने का भी प्रशिक्षण लिया.

1976 में मिला था पहला लाइसेंस

निरूप महंती ने बताया कि उन्हें 11 अलग-अलग विमानों का लाइसेंस लेने का गौरव प्राप्त है. वे टाटा स्टील के विमान के भी पायलट बने, फिर भी उनका एक सपना अधूरा था. क्योंकि उन्हें जेट विमान का शौक था, जिसे पूरा करने में उनकी पत्नी ने भरपूर साथ दिया. पत्नी रूपा महंती ने देश-विदेश की पत्र पत्रिकाओं से पता लगाया कि अमेरिका, साऊथ अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में सिविलियन को जेट विमान का प्रशिक्षण दिया जाता है.

फिर क्या था जानकारी मिलते ही निरूप इंग्लैंड चले गए. फाइटर जेट विमान प्रोवोस्ट को उड़ाकर अपनी ट्रेनिंग पूरी की. वे भारत से अकेले सिविलियन थे जिन्होंने इस ट्रेनिंग को पूरा करने में सफलता पाई थी. वर्तमान साल 2025 से 19 साल पहले 2006 में निरूप महंती को मिलिट्री जेट विमान का लाइसेंस मिला.

सफलता में पत्नी का भरपूर साथ मिला: निरूप महंती

निरूप मोहंती बताते हैं कि एयर फोर्स से लेटर मिला कि आप भारत के पहले सिविलियन हैं, जिन्हें फाइटर जेट का लाइसेंस मिला है. वहीं, निरूप महंती की पत्नी रूपा महंती बताती हैं कि अपने पति के सपनों के पूरा होने पर गर्व महसूस कर रही है. उनका कहना है कि हर कदम पर हम साथ थे. उनके पति के जज्बे ने उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाया है.

लाइसेंस मिलने के 19 साल बाद भी निरूप महंती जेट विमान के सफर को नहीं भूले हैं. उन्होंने अपने कमरे में अलग-अलग विमानों के छोटे प्रारूप को संजो कर रखा है, जो उनकी पुराने दिनों की यादों को ताजा करती है. उनके लिए यह सबसे ज्यादा यादगार पल था, जो ना सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए गर्व वाली बात है.

ये भी पढ़ें: हजारीबाग में है गौतम बुद्ध की विरासत, इतिहासकार पद्मश्री बुलु इमाम का दावा!

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निरूप महंती की वर्तमान उम्र 75 साल है. बीते वर्षों में उनके जज्बे के जरिए मिलने वाली अलग पहचान आज एक मिसाल बन गया है. निरूप महंती देश के पहले सिविलियन बन गए हैं, जिन्हें फाइटर मिलिट्री जेट का लाइसेंस प्राप्त हुआ है. यह पल सिर्फ जमशेदपुर के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए गर्व की बात है.

कौन हैं निरूप महंती

जमशेदपुर के बिस्टुपुर सर्किट हॉउस क्षेत्र में रहने वाले 75 वर्षीय निरूप महंती टाटा स्टील कंपनी में एक वरीय पदाधिकारी के पद पर रह चुके हैं. सर्विस से रिटायर्ड होने के बाद वे जमशेदपुर लोकसभा सीट पर जेएमएम की टिकट पर चुनाव भी लड़े थे लेकिन उन्हें राजनीति रास नहीं आई और न ही कुछ खास सफलता मिली. निरूप संगीत प्रेमी भी हैं. उन्हें गिटार बजाने का काफी शौक है.

निरूप महंती से बातचीत करते संवाददाता जितेंद्र कुमार (ETV BHARAT)

निरूप के पायलट बनने की कहानी

निरूप महंती ने ईटीवी भारत से अपनी कहानी को साझा करते हुए बताया कि परिवार में वे सबसे छोटे थे. उन पर बंदिशें रहती थीं, लेकिन चुनौती वाले खेल और काम से उन्हें बेहद लगाव था. उनके पिता भी टाटा स्टील में बड़े पद पर कार्यरत थे. उन्होंने बताया कि जब सोनारी एयरपोर्ट पर जेआरडी टाटा आते थे, तब उनके पिता उनसे काम के सिलसिले में अक्सर मुलाकात करते थे.

पिता के साथ वे भी रहते थे और जहाज को देखते थे. एक दिन जेआरडी टाटा ने उनके पिता से पूछा कि ये छोटा बच्चा कौन है. पिता ने परिचय कराया और उस दौरान जेआरडी टाटा ने निरूप महंती के साथ एक फोटो खिचंवाई. निरूप महंती बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें पायलट बनने का बहुत शौक था. शहर में पढ़ाई करने के बाद वे फ्लाइंग क्लब ज्वाइन कर अपनी ट्रेनिंग पूरी की. सिंगल और डबल इंजन के विमान को उड़ाने का भी प्रशिक्षण लिया.

1976 में मिला था पहला लाइसेंस

निरूप महंती ने बताया कि उन्हें 11 अलग-अलग विमानों का लाइसेंस लेने का गौरव प्राप्त है. वे टाटा स्टील के विमान के भी पायलट बने, फिर भी उनका एक सपना अधूरा था. क्योंकि उन्हें जेट विमान का शौक था, जिसे पूरा करने में उनकी पत्नी ने भरपूर साथ दिया. पत्नी रूपा महंती ने देश-विदेश की पत्र पत्रिकाओं से पता लगाया कि अमेरिका, साऊथ अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में सिविलियन को जेट विमान का प्रशिक्षण दिया जाता है.

फिर क्या था जानकारी मिलते ही निरूप इंग्लैंड चले गए. फाइटर जेट विमान प्रोवोस्ट को उड़ाकर अपनी ट्रेनिंग पूरी की. वे भारत से अकेले सिविलियन थे जिन्होंने इस ट्रेनिंग को पूरा करने में सफलता पाई थी. वर्तमान साल 2025 से 19 साल पहले 2006 में निरूप महंती को मिलिट्री जेट विमान का लाइसेंस मिला.

सफलता में पत्नी का भरपूर साथ मिला: निरूप महंती

निरूप मोहंती बताते हैं कि एयर फोर्स से लेटर मिला कि आप भारत के पहले सिविलियन हैं, जिन्हें फाइटर जेट का लाइसेंस मिला है. वहीं, निरूप महंती की पत्नी रूपा महंती बताती हैं कि अपने पति के सपनों के पूरा होने पर गर्व महसूस कर रही है. उनका कहना है कि हर कदम पर हम साथ थे. उनके पति के जज्बे ने उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाया है.

लाइसेंस मिलने के 19 साल बाद भी निरूप महंती जेट विमान के सफर को नहीं भूले हैं. उन्होंने अपने कमरे में अलग-अलग विमानों के छोटे प्रारूप को संजो कर रखा है, जो उनकी पुराने दिनों की यादों को ताजा करती है. उनके लिए यह सबसे ज्यादा यादगार पल था, जो ना सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए गर्व वाली बात है.

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Last Updated : Feb 19, 2025, 9:58 PM IST
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