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जबलपुर के पहलवान का खतरनाक स्टंट, आंख से उठाई सुई, जिसने भी देखा कांप गया - Stuntman lifted pin from eyes

शरीर का सबसे नाजुक अंग आंख मानी जाती है और आंख और सुई का कोई मेल नहीं होता. यदि गलती से भी आंख में सुई लग जाए तो आंख के खराब होने की पूरी संभावना होती है लेकिन जबलपुर की मुल्तानी व्यायाम शाला में एक पहलवान ने नागपंचमी पर ऐसा स्टंट किया कि लोग कांप उठे.

STUNTMAN LIFTED PIN FROM EYES IN JABALPUR
नोट- तस्वीरें विचलित कर सकती हैं. (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 9, 2024, 6:38 PM IST

Updated : Aug 9, 2024, 7:33 PM IST

जबलपुर : मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में नागपंचमी पर लोग खौफनाक करतब के साक्षी बने. यहां के मुल्तानी अखाड़े में 20 साल के पहलवान सिद्धार्थ पटेल ने उल्टा होकर अपनी पलकों से सुई उठाने का खौफनाक और रोमांचित कर देने वाला स्टंट दिखाया. ढोल की थाप पर सिद्धार्थ बिच्छु की तरह चलने लगे. उन्होंने अपने पूरे शरीर को उल्टा किया और जमीन पर सीधी खड़ी सुई को अपनी पलकों से उठा लिया. यह एक बेहद खतरनाक करतब कहा जा सकता है क्योंकि इसमें जरा सी भी चूक होने पर आंख खराब हो सकती है. (नोट : भूलकर भी इस स्टंट को दोहराने की कोशिश न करें)

नोट- तस्वीरें विचलित कर सकती हैं. (Etv Bharat)

भूलकर भी न दोहराएं ये स्टंट

ईटीवी भारत से बात करते हुए सिद्धार्थ पटेल ने कहा कि वे यहां व्यायाम शाला के नियमित सदस्य हैं और रोज कसरत करने आते हैं. 100 साल से ज्यादा पुरानी इस व्यायाम शाला में उस्ताद नए लड़कों को अलग-अलग किस्म के करतब सिखाते हैं. आंख से सुई उठाने वाले करतब के लिए उन्होंने काफी प्रैक्टिस की है. इस करतब के जरिए नए पहलवान एकाग्रता भी सीखते हैं. हालांकि, उन्होंने लोगों के सलाह भी दी कि भूलकर भी ऐसे स्टंट दोहराने की कोशिश न करें क्योंकि इसमें आंख भी जा सकती है.

जबलपुर के पहलवान का खतरनाक स्टंट, नोट- ऐसे स्टंट दोहराने की कोशिश न करें (Etv Bharat)

जबलपुर में हुआ करते थे 52 अखाड़े

इसी अखाड़े के पुराने सदस्य संदीप यादव ने कहा, '' अखाड़े में नए मोहल्ले के कई बच्चे लगातार आते हैं और उन्हें तलवारबाजी, लठ्ठबाजी, पहलवानी सिखाई जाती है. जबलपुर शहर में एक समय 52 से ज्यादा अखाड़े हुआ करते थे लेकिन अब शहर में गिने-चुने अखाड़े ही बचे हैं. मुल्तानी अखाड़ा आज भी नियमित है.''

अखाड़ों को अब मदद की जरूरत

अखाड़े के सदस्य संदीप यादव ने प्रशासन से मांग करते हुए कहा, '' अखाड़े लोगों को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखते थे लेकिन बदलते दौर में अखाड़ों को समाज की मदद मिलना बंद हो गई. इससे पहलवान अखाड़े की बजाए जिम जाने लगे. अखाड़े हमारी संस्कृति से जुड़े हुए थे और सरकार को इन्हें दोबारा जिंदा करने के लिए पहल करनी चाहिए.''

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नागपंचमी पर होते थे दंगल

शहर के बुजुर्गों ने इस दौरान बताया कि नागपंचमी के मौके पर लगभग हर शहर में दंगल हुआ करता था लेकिन बदलते दौर में यह परंपरा खत्म हो गई. आजकल के युवा मजबूत शरीर बनाने की बजाए दिखावटी शरीर बनाने में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. वहीं ऐसे में भी कुछ अखाड़े अपनी पुरानी परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं पहलवानी और करतब से जुड़ी हुई कई कलाएं सिखा रहे हैं.

Last Updated : Aug 9, 2024, 7:33 PM IST

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