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देश का इकलौता शहर जहां 100 मंदिरों में विराजे हैं अंबेडकर, विहारों में बने भगवान - JABALPUR BUDDHIST VIHAR

जबलपुर में 100 से ज्यादा जगह पर बाबा साहेब की भगवान की तरह पूजा की जाती है. गणतंत्र दिवस पर धार्मिक आयोजन होते हैं.

BHIM RAO AMBEDKAR STATUE JABALPUR
बौद्ध विहार में बाबा साहेब की पूजा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 26, 2025, 11:49 AM IST

Updated : Jan 27, 2025, 1:56 PM IST

जबलपुर: गणतंत्र दिवस के मौके पर देशभर में कई सरकारी आयोजन होते हैं. लेकिन गणतंत्र दिवस को धार्मिक आयोजन कम ही लोग मानते हैं. जबलपुर में 100 से ज्यादा जगहों पर अंबेडकरवादी गणतंत्र दिवस को एक धार्मिक आयोजन मानकर मानते हैं. इन लोगों का कहना है कि यह उनके लिए त्योहार से कम नहीं है यही तक नहीं बाबा साहब भीमराव अंबेडकर उनके लिए भगवान से कम नहीं है, इसलिए वे उनकी मूर्तियों की स्थापना करते हैं और उनका भगवान की ही तरह पूजा पाठ करते हैं.

जबलपुर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या 1 लाख से ज्यादा हो गई है और शहर में 13 बड़े बौद्ध विहार हैं. हर बुद्ध विहार में भगवान बुद्ध के साथ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा भी लगाई गई है.

Babasaheb worship on Republic Dayr
भगवान की तरह पूजे जाते हैं बाबा साहब (ETV Bharat)

बौद्ध विहार में बाबा साहेब की पूजा
जबलपुर के भीम नगर में बौद्ध विहार की छाया धवडे बताती है कि, ''उनके बौद्ध विहार में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर रोज पूजा पाठ होता है. पहले भगवान बुद्ध की पूजा की जाती है उसके बाद बाबा साहब का पूजा पाठ किया जाता है.'' छाया का कहना है कि, ''उनके लिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर भगवान से कम नहीं है. उन्हीं की वजह से देश के मुख्य धारा से कट चुके लाखों लोगों को बेहतर जिंदगी मिली. बाबा साहब की वजह से ही उनका जीवन स्तर सुधरा है इसलिए वे उन्हें हमेशा याद करते हैं.''

jabalpur Buddhist Vihar
जबलपुर का पंचशील बुद्ध विहार (ETV Bharat)

हर रविवार होता है बड़ा आयोजन
बाबा साहब की अनुयाई विजय बताते हैं कि, ''हर रविवार को हर विहार में बड़ा आयोजन होता है, इसमें संविधान का पाठ किया जाता है. संविधान के किसी एक हिस्से पर चर्चा की जाती है. संविधान की किताब आपको हर विहार में मिल जाएगी. संविधान उनके लिए एक पवित्र ग्रंथ की तरह है. जिस तरह मंदिरों में धार्मिक ग्रंथ रहते हैं, मस्जिदों में कुरान रहता है और गिरजाघर में बाइबल रहता है. इस तरह उनके विहार में संविधान की किताब होती है. जिस तरह दूसरे धर्म के लोग अपने धर्म ग्रंथों का पाठ करते हैं, ठीक इसी तरह वे संविधान का पाठ करते हैं.

Babasaheb worship on Republic Day
गणतंत्र दिवस पर होती है बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की पूजा (ETV Bharat)

अंबेडकरवादियों की आस्था से जुड़ा है संविधान
संविधान आम आदमी के लिए नियम कानून समझने की किताब है. लेकिन अंबेडकरवादियों के लिए संविधान उनकी आस्था से जुड़ा हुआ विषय है. जबलपुर में संविधान को लेकर अंबेडकरवादी कवि सम्मेलन करवाते हैं, निबंध लेखन और गोष्टी करवाते हैं. यह सब उनके लिए सरकारी आयोजन नहीं होता, बल्कि यह आयोजन उनके धार्मिक अनुष्ठानों की तरह है.

लोगों ने अपने खर्च पर लगवाईं अंबेडकर की प्रतिमाएं
बौद्ध विहारों के अलावा भी जबलपुर में बाबा साहब अंबेडकर की सैकड़ों प्रतिमाएं अलग-अलग स्थान पर लगी हुई हैं. जो लोगों ने अपने खर्चों पर लगवाएं हैं. यह प्रतिमाएं भी बिल्कुल उसी ढंग से स्थापित की गई हैं, जैसे गली मोहल्लों के छोटे मंदिरों में लोग चंदा करके भगवान की स्थापना करते हैं.

गणतंत्र दिवस पर संविधान का पाठ
26 जनवरी पर जब लोग गणतंत्र दिवस मना रहे हैं इस मौके पर अंबेडकर को मानने वाले लोग व्यक्तिगत आयोजन करते हैं. यह आयोजन बिल्कुल धार्मिक आयोजनों की तरह होते हैं. इनमें भंडारे होते हैं पूजा पाठ होता है और संविधान का पाठ होता है. अंबेडकरवादी लोगों का कहना है कि उनके आयोजनों में केवल बौद्ध धर्म के अनुयाई ही नहीं बल्कि अंबेडकर को मानने वाले दूसरे कई लोग भी पहुंचते हैं.

जबलपुर: गणतंत्र दिवस के मौके पर देशभर में कई सरकारी आयोजन होते हैं. लेकिन गणतंत्र दिवस को धार्मिक आयोजन कम ही लोग मानते हैं. जबलपुर में 100 से ज्यादा जगहों पर अंबेडकरवादी गणतंत्र दिवस को एक धार्मिक आयोजन मानकर मानते हैं. इन लोगों का कहना है कि यह उनके लिए त्योहार से कम नहीं है यही तक नहीं बाबा साहब भीमराव अंबेडकर उनके लिए भगवान से कम नहीं है, इसलिए वे उनकी मूर्तियों की स्थापना करते हैं और उनका भगवान की ही तरह पूजा पाठ करते हैं.

जबलपुर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या 1 लाख से ज्यादा हो गई है और शहर में 13 बड़े बौद्ध विहार हैं. हर बुद्ध विहार में भगवान बुद्ध के साथ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा भी लगाई गई है.

Babasaheb worship on Republic Dayr
भगवान की तरह पूजे जाते हैं बाबा साहब (ETV Bharat)

बौद्ध विहार में बाबा साहेब की पूजा
जबलपुर के भीम नगर में बौद्ध विहार की छाया धवडे बताती है कि, ''उनके बौद्ध विहार में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर रोज पूजा पाठ होता है. पहले भगवान बुद्ध की पूजा की जाती है उसके बाद बाबा साहब का पूजा पाठ किया जाता है.'' छाया का कहना है कि, ''उनके लिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर भगवान से कम नहीं है. उन्हीं की वजह से देश के मुख्य धारा से कट चुके लाखों लोगों को बेहतर जिंदगी मिली. बाबा साहब की वजह से ही उनका जीवन स्तर सुधरा है इसलिए वे उन्हें हमेशा याद करते हैं.''

jabalpur Buddhist Vihar
जबलपुर का पंचशील बुद्ध विहार (ETV Bharat)

हर रविवार होता है बड़ा आयोजन
बाबा साहब की अनुयाई विजय बताते हैं कि, ''हर रविवार को हर विहार में बड़ा आयोजन होता है, इसमें संविधान का पाठ किया जाता है. संविधान के किसी एक हिस्से पर चर्चा की जाती है. संविधान की किताब आपको हर विहार में मिल जाएगी. संविधान उनके लिए एक पवित्र ग्रंथ की तरह है. जिस तरह मंदिरों में धार्मिक ग्रंथ रहते हैं, मस्जिदों में कुरान रहता है और गिरजाघर में बाइबल रहता है. इस तरह उनके विहार में संविधान की किताब होती है. जिस तरह दूसरे धर्म के लोग अपने धर्म ग्रंथों का पाठ करते हैं, ठीक इसी तरह वे संविधान का पाठ करते हैं.

Babasaheb worship on Republic Day
गणतंत्र दिवस पर होती है बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की पूजा (ETV Bharat)

अंबेडकरवादियों की आस्था से जुड़ा है संविधान
संविधान आम आदमी के लिए नियम कानून समझने की किताब है. लेकिन अंबेडकरवादियों के लिए संविधान उनकी आस्था से जुड़ा हुआ विषय है. जबलपुर में संविधान को लेकर अंबेडकरवादी कवि सम्मेलन करवाते हैं, निबंध लेखन और गोष्टी करवाते हैं. यह सब उनके लिए सरकारी आयोजन नहीं होता, बल्कि यह आयोजन उनके धार्मिक अनुष्ठानों की तरह है.

लोगों ने अपने खर्च पर लगवाईं अंबेडकर की प्रतिमाएं
बौद्ध विहारों के अलावा भी जबलपुर में बाबा साहब अंबेडकर की सैकड़ों प्रतिमाएं अलग-अलग स्थान पर लगी हुई हैं. जो लोगों ने अपने खर्चों पर लगवाएं हैं. यह प्रतिमाएं भी बिल्कुल उसी ढंग से स्थापित की गई हैं, जैसे गली मोहल्लों के छोटे मंदिरों में लोग चंदा करके भगवान की स्थापना करते हैं.

गणतंत्र दिवस पर संविधान का पाठ
26 जनवरी पर जब लोग गणतंत्र दिवस मना रहे हैं इस मौके पर अंबेडकर को मानने वाले लोग व्यक्तिगत आयोजन करते हैं. यह आयोजन बिल्कुल धार्मिक आयोजनों की तरह होते हैं. इनमें भंडारे होते हैं पूजा पाठ होता है और संविधान का पाठ होता है. अंबेडकरवादी लोगों का कहना है कि उनके आयोजनों में केवल बौद्ध धर्म के अनुयाई ही नहीं बल्कि अंबेडकर को मानने वाले दूसरे कई लोग भी पहुंचते हैं.

Last Updated : Jan 27, 2025, 1:56 PM IST
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