नई दिल्ली: पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा को दौरान जिन चीजों पर चर्चा होगी उनमें से एक भारत-अमेरिका के बीच नया सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित करने का सौदा है. सूत्रों ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा, अगली नेक्स्ट जनरेशन कम्युनिकेशन और ग्रीन एनर्जी एप्लीकेशन के लिए एडवांस सेंसिंग, संचार और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर केंद्रित एक नया सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते की सराहना की.
इंफ्रारेड, गैलियम नाइट्राइड और सिलिकॉन कार्बाइड सेमीकंडक्टर के मैन्युफैक्चरिंग के उद्देश्य से स्थापित किए जाने वाले इस फैब को भारत सेमीकंडक्टर मिशन के समर्थन के साथ-साथ भारत सेमी, थर्डटेक और यूएस स्पेस फोर्स के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी से सक्षम बनाया जाएगा.
एक ऐतिहासिक मोमेंट में भारत में पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा फैब की घोषणा की गई है, जो भारतीय व्यवसायों भारत सेमी, 3rdiTech और यूएस स्पेस फोर्स के बीच एक टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप है. यह अपनी तरह का पहला भारत-अमेरिका सेमीकंडक्टर फैब कोओपरेशन है.
अमेरिकी सेना ने भारत के साथ पार्टनरशिप पर सहमति जताई
यह पहली बार है, जब अमेरिकी सेना ने भारत के साथ इन अत्यधिक मूल्यवान टेक्नोलॉजी के लिए पार्टनरशिप करने पर सहमति व्यक्त की है. यह असैन्य परमाणु समझौते जितना ही महत्वपूर्ण है. फैब न केवल भारत का पहला, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया का पहला मल्टी मटेरियल फैब बन गया है. शक्ति नामक भारत सेमी फैब भी क्वाड में अपनी तरह का पहला फैब बन गया है.
फैब आधुनिक युद्ध लड़ने के लिए तीन आवश्यक स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करेगा. इनमें एडवांस सेंसिंग, एडवांस कम्युनिकेशन और हाई वोल्टेज पावर इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं. इन तीन क्षेत्रों में रेलवे टेलिकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर, डेटा केंद्रों और ग्रीन एनर्जी जैसे कमर्शियल क्षेत्रों की भी बहुत बड़ी बढ़ती जरूरतें हैं. ये सेमीकंडक्टर , कंपाउंड सेमीकंडक्टर के रूप में जाने जाने वाले परिवार के अंतर्गत आते हैं. इनमें इन्फ्रारेड, गैलियम नाइट्राइड और सिलिकॉन कार्बाइड जैसे तीन मुख्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र होते हैं.
यह प्रधानमंत्री मोदी के उस विजन का हिस्सा है, जिसके तहत भारत को चिप लेने वाले से चिप बनाने वाला देश बनाया जाना है. यह फैब एक राष्ट्रीय संपत्ति बन जाता है और इस क्षेत्र में नेट सुरक्षा प्रदाता बनने के भारत के लक्ष्यों में और मदद करता है.
किसी देश को नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर बनने के लिए उसे नेट टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर बनना होगा. यह तकनीकी कूटनीति में एक कांच की छत की तरह है जिसे वर्षों बाद इतिहास की किताबों में भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दर्ज किया जाएगा.
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात
सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इन सेमीकंडक्टरों में भारत का वर्तमान आयात बिल प्रति वर्ष 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर है. गौरतलब है कि भारत और अमेरिका ने सेमीकंडक्टर पर विशेष ध्यान देने के साथ महत्वपूर्ण तकनीक पर केंद्रित कई सहयोगों पर हस्ताक्षर किए हैं , जिनमें iCET से लेकर वाणिज्य से वाणिज्य MOU से लेकर रणनीतिक व्यापार वार्ता तक शामिल हैं.