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इस साल देश में शुरुआत से ही अधिक गर्मी पड़ने का अनुमान: मौसम विभाग

India To See Warmer Summer : भारत के मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि इस साल सामान्य से अधिक गर्मी और अधिक लू वाले दिनों के होने का पूर्वानुमान है. पढ़ें आईएमडी के महानिदेशक ने आने वाले महीनों में मौसम के बारे में क्या जानकारी दी.

India To See Warmer Summer
प्रतीकात्मक तस्वीर. (IANS)

By PTI

Published : Mar 2, 2024, 7:30 AM IST

नई दिल्ली : भारत में इस साल सामान्य से अधिक गर्मी और अधिक लू वाले दिनों के होने का पूर्वानुमान है क्योंकि अल नीनो की स्थिति कम से कम मई तक जारी रह सकती है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

विभाग ने कहा कि देश में मार्च में सामान्य से अधिक वर्षा (दीर्घकालिक औसत 29.9 मिलीमीटर के 117 प्रतिशत से अधिक) हो सकती है. आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि भारत में मार्च से मई की अवधि में देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है.

उन्होंने बताया कि मार्च से मई तक, उत्तर-पूर्व भारत, पश्चिमी हिमालय क्षेत्र, दक्षिण-पश्चिमी प्रायद्वीप और पश्चिमी तट को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में लू वाले दिनों की संख्या सामान्य से अधिक रहने का पूर्वानुमान है. महापात्रा ने कहा कि उत्तर-पूर्व प्रायद्वीपीय भारत--तेलंगाना, आंध्र प्रदेश एवं उत्तरी अंदरूनी कर्नाटक तथा महाराष्ट्र एवं ओडिशा के कई हिस्सों में सामान्य से अधिक दिनों तक लू चलने का पूर्वानुमान है.

उन्होंने कहा कि मार्च में उत्तर और मध्य भारत में लू की स्थिति बनने की उम्मीद नहीं है. इस साल अप्रैल और मई में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित हैं. महापात्रा ने कहा कि अलनीनो (मध्य प्रशांत महासागर में समुद्री जल के नियमित अंतराल पर गर्म होने की स्थिति) गर्मी के पूरे मौसम में बना रहेगा तथा उसके बाद तटस्थ स्थिति बन सकती है.

ला-नीना परिस्थिति मानसून सत्र के उत्तरार्ध में बनने की संभावना है. यह आमतौर पर भारत में अच्छी मानसूनी वर्षा से संबंधित है. आईएमडी प्रमुख ने बताया कि भारत में इस साल फरवरी का औसत न्यूनतम तापमान 14.61 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 1901 के बाद इस महीने में दूसरा सबसे अधिक न्यूनतम तापमान है. उन्होंने बताया कि कुल आठ पश्चिमी विक्षोभ ने फरवरी में पश्चिमी हिमालयी राज्यों के मौसम को प्रभावित किया. इनमें से छह सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ थे जिनके कारण उत्तर और मध्य भारत के मैदानी इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि हुई.

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