पूर्णिया:साल 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार चिराग पासवान पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (तब एलजेपी में टूट नहीं हुई थी) से रुपौली में जीत हासिल कर आरजेडी और एनडीए को शिकस्त देने वालेशंकर सिंह ने एक बार फिर आरजेडी और एनडीए को रुपौली में धूल चटा दी है. हालांकि इस बार उनको चिराग ने टिकट नहीं दिया, जिस वजह से उन्होंने बगावत कर दी और निर्दलीय ही ताल ठोंक दिया. अपने फैसले को न केवल उन्होंने सही साबित किया, बल्कि 19 साल बाद फिर से इतिहास को दोहरा दिया.
शंकर सिंह की शानदार जीत :13 राउंड की गिनती पूरी होने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह 8246 वोटों से जीत दर्ज की. शंकर सिंह को कुल 68070 मत मिले, जबकि जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल दूसरे स्थान पर रहे. कलाधर मंडल को 59824 मत मिले, जबकि 30619 वोट के साथ आरजेडी की बीमा भारती तीसरे स्थान पर रही.
निर्दलीय ही आरजेडी-जेडीयू को हराया:एक तरफ जहां सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड की अगुवाई वाला एनडीए था, वहीं दूसरी तरफ आरजेडी की अगुवाई वाला महागठबंधन था लेकिन इसके बावजूद उनको कोई हरा नहीं पाया. निर्दलीय होने के बावजूद उन्होंने अच्छे अंतर से जेडीयू कैंडिडेट कलाधर मंडल को हरा दिया. वहीं, 5 बार की विधायक रहने वाली बीमा भारती को तीसरे स्थान पर धकेल दिया. आरजेडी प्रत्याशी बीमा भारती को पूर्णिया सांसद पप्पू यादव का समर्थन भी हारने से बचा नहीं पाया.
बाहुबली छवि के नेता शंकर: बाहुबली छवि के शंकर सिंह अपने इलाके में काफी लोकप्रिय हैं. बीमा भारती के पति अवेधश मंडल भी बाहुबली हैं. जब भी दोनों के बीच आमने-सामने की लड़ाई होती थी, 2005 को छोड़ दिया जाए तो हमेशा अवधेश और बीमा भारती उनपर भारी साबिह हुए लेकिन इस बार निर्दलीय ही उन्होंने अपने 'बाहुबल' से सत्ता और विपक्ष दोनों को धूल चटा दिया.
कौन हैं शंकर सिंह?:रुपौली विधानसभा सीट पर निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर चुनाव जीतने वाले शंकर सिंह बाहुबली छवि के नेता माने जाते हैं. कथित रूप से इलाके में वह लिबरेशन आर्मा नामक गिरोह चलाते हैं. पिछले चुनाव में दिए गए शपथ पत्र के मुताबिक शंकर सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा के तहत 19 मामले अलग-अलग थानों में दर्ज हैं.