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वन्यजीवों से तकरार भरा रहा साल 2024, संघर्ष की हुई 406 घटनाएं, 64 लोगों ने गंवाई जान, सैकड़ों घायल - WILDLIFE CONFLICT YEAR ENDER

2024 में 24 सालों में दो गुना हुआ मरने वालों का आंकड़ा, मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए कोशिश कर रहा विभाग

WILDLIFE CONFLICT YEAR ENDER
उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 11 hours ago

Updated : 8 hours ago

देहरादून: उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष हमेशा ही एक बड़ी चिंता का विषय रहा है. साल 2024 के दौरान वन्यजीवों से इंसानों की तकरार काफी बढ़ी. इस साल कई वन्यजीव संघर्ष के मामले सामने आये. इन घटनाओं में कई लोगों ने जान गंवाई. साथ ही कई लोग भी इसमें गंभीर रूप से घायल भी हुए. वन विभाग ने 12 महीनों के दौरान संघर्ष पर विराम लगाने के लिए प्रयास भी किये. साथ ही प्रभावितों को राहत देने से जुड़े कई फैसले भी किए. इसके बाद भी साल 2024 उत्तराखंड के इतिहास में मानव वन्यजीव संघर्ष के तौर पर याद रखा जाएगा.

उत्तराखंड में साल दर साल मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं अपना दायरा बढ़ा रही हैं. कभी जंगलों के भीतर होने वाले ऐसे प्रकरण अब शहरी क्षेत्रों के लिए भी मुसीबत बन गए हैं. पिछले कुछ समय में पर्वतीय जनपदों से लेकर मैदानी क्षेत्रों के रिहायशी इलाकों में हुई घटनाएं इस बात की गवाह हैं. हालांकि, इस सबके पीछे जानकारों के कुछ सटीक तर्क भी हैं जो संघर्ष के बढ़ने के कारणों पर वन विभाग और सरकार का ध्यान खींच रहे हैं. वैसे वन महकमा भी मानव वन्यजीव संघर्ष के कारणों को जानते हुए जन जागरूकता को ही रोकथाम का इसके लिए एकमात्र रास्ता मान रहा है.उत्तराखंड में साल 2024 के दौरान मानव वन्यजीव संघर्ष के आंकड़े साल 2023 के मुकाबले कुछ कम जरूर हुए हैं लेकिन मौजूदा आंकड़े भी कम चिंता भरे नहीं हैं. सबसे पहले जानिए साल 2024 में किस महीने कितने मामले सामने आये.

वन्यजीवों से तकरार भरा रहा साल 2024 (ETV BHARAT)

वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में साल 2024 के दौरान अब तक कुल 406 संघर्ष की घटनाएं हुई. इन घटनाओं में साल भर में 342 लोग घायल हुए. इसमें 64 लोगों की मौत हुई. जुलाई और अगस्त महीने में सबसे ज्यादा 11-11 लोगों ने जान गंवाई, जबकि वन्यजीव संघर्ष में सितंबर महीने के दौरान सबसे ज्यादा 70 लोग घायल हुए. मानव वन्यजीव संघर्ष के लिहाज से औसतन हर दिन 1 से ज्यादा मामले सामने आये हैं. पर्वतीय जनपदों में सबसे ज्यादा गुलदार का आतंक दिखा है.

माह दर माह आंकड़े (ETV BHARAT)

मानव वन्यजीव संघर्ष के आंकड़े:उत्तराखंड में साल 2024 के दौरान प्रत्येक महीने संघर्ष के आंकड़े चिंताजनक स्थिति में दिखाई दिये. आंकड़ों के अनुसार जनवरी महीने में 6 लोगों की मौत हुई. 16 लोग घायल हुए. फरवरी महीने में भी 6 लोगों की मौत और 34 लोग हुए घायल. इसी तरह मार्च में एक व्यक्ति की मौत और 16 घायल हुए. अप्रैल में भी पांच लोगों ने जान गंवाई. 17 लोग घायल हुए. मई महीने में चार की मौत हुई, जबकि 30 घायल हुए. जून में 7 की मौत, 25 घायल, जुलाई महीने में 11 की मौत और 51 लोग घायल हुए. इसी तरह अगस्त महीने में 11 की मौत और 48 लोगों को वन्यजीवों ने घायल किया. सितंबर महीने में सात लोगों की मौत हुई. इन घटनाओं में 70 लोग घायल हुए. अक्टूबर महीने में पांच लोगों की मौत, 26 घायल हुए. नवंबर महीने में एक व्यक्ति की मौत हुई और 9 लोग घायल हुए.

ये हैं साल 2024 के आंकड़े (ETV BHARAT)

24 सालों में दो गुना हुआ मरने वालों का आंकड़ा: पिछले 24 सालों में उत्तराखंड में मरने वालों के आंकड़ों में दोगुना अंतर आया है. साल 2000 के दौरान औसतन सालाना 30 लोगों की मौत का आंकड़ा 2024 में करीब 60 तक जा पहुंचा है. मानव वन्य जीव संघर्ष से घायलों की तादाद चार गुना तक बढ़ी है. साल 2000 के दौरान 55 से 60 का औसतन आंकड़ा अब 2024 में 250 से 300 तक पहुंचा. PCCF WILDLIFE के स्तर पर साल 2024 में 4 लेपर्ड को मारने के आदेश हुए. राज्यभर में एक साल के भीतर 79 गुलदारों को पिंजरे में बंद करने और 7 बाघों को पकड़ने के आदेश हुए हैं.

उत्तराखंड में बढ़ा मानव वन्यजीव संघर्ष (ETV BHARAT)

वन विभाग में बढ़ाए जन जागरूकता कार्यक्रम: उत्तराखंड वन विभाग ने मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने के लिए लोगों का जागरूक होना बेहद जरूरी है. यही एक तरीका है जिसके जरिए संघर्ष को रोका जा सकता है. इसी बात को समझते हुए वन विभाग ने पिछले 1 साल के दौरान जन जागरूकता कार्यक्रमों की संख्या में कई गुना तक की बढ़ोतरी की. यह कार्यक्रम वन क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्रों तक भी चलाए जा रहे हैं.

वन्यजीवों से तकरार भरा रहा साल 2024 (ETV BHARAT)

संघर्ष रोकने के लिए तकनीक का हो रहा इस्तेमाल: उत्तराखंड में विभाग मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने के लिए तकनीक का भी उपयोग कर रहा है. कैमरा ट्रैप और ड्रोन के जरिए निगरानी रखकर वन्यजीवों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है. इसी आधार पर इन्हें शहरी क्षेत्र में दाखिल होने से रोकने के उपाय भी किया जा रहे हैं. इतना ही नहीं बी हाई फेंसिंग जैसी तकनीक के जरिए हाथियों को भी शहरी इलाकों में आने से रोका जा रहा है. इतना ही नहीं वन्यजीवों की गिनती के आधार पर इन्हें क्षेत्र में निर्धारित करने जैसे विषयों पर भी विचार हो रहा है.

प्रभावितों को राहत देने की हुई कोशिश:वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि स्थापित करने का इस साल कदम उठाया गया, जिसमें मानव वन्यजीव संघर्ष के प्रभावितों को राहत देने के लिए राज्य सरकार के माध्यम से बजट की व्यवस्था करने का फैसला लिया. सरकार ने मानव वन्य जीव संघर्ष में प्रभावित लोगों को राहत राशि के रूप में चार लाख से बढ़ाकर 6 लाख रुपए देने का भी फैसला किया. सरकार में कॉरपस फंड के जरिए 2 करोड़ रुपए की भी व्यवस्था की है. मानव वन्य जीव संघर्ष में ततैया को भी जोड़ने का फैसला हुआ.

बड़े अधिकारियों को घटनाओं को लेकर फील्ड में जाने के आदेश:साल 2024 के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्तर पर बड़े अफसरों को भी फील्ड में जाने के निर्देश दिए. इसके अलावा संघर्ष में हताहत या घायल होने वाले लोगों के परिजनों से भी बड़े अफसर का सीधा संवाद होने को लेकर जिम्मेदारी तय की गई. इस दौरान मानव वन्य जीव संघर्ष से जुड़ी एक नई विंग को भी इस साल स्थापित किया गया. इस साल टोल फ्री नंबर को और भी ज्यादा एक्टिव किया गया. इसे डिजिटल से जोड़ते हुए जल्द से जल्द सूचनाओं प्राप्त करने की तरफ जोर दिया गया.

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