देहरादून: उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष हमेशा ही एक बड़ी चिंता का विषय रहा है. साल 2024 के दौरान वन्यजीवों से इंसानों की तकरार काफी बढ़ी. इस साल कई वन्यजीव संघर्ष के मामले सामने आये. इन घटनाओं में कई लोगों ने जान गंवाई. साथ ही कई लोग भी इसमें गंभीर रूप से घायल भी हुए. वन विभाग ने 12 महीनों के दौरान संघर्ष पर विराम लगाने के लिए प्रयास भी किये. साथ ही प्रभावितों को राहत देने से जुड़े कई फैसले भी किए. इसके बाद भी साल 2024 उत्तराखंड के इतिहास में मानव वन्यजीव संघर्ष के तौर पर याद रखा जाएगा.
उत्तराखंड में साल दर साल मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं अपना दायरा बढ़ा रही हैं. कभी जंगलों के भीतर होने वाले ऐसे प्रकरण अब शहरी क्षेत्रों के लिए भी मुसीबत बन गए हैं. पिछले कुछ समय में पर्वतीय जनपदों से लेकर मैदानी क्षेत्रों के रिहायशी इलाकों में हुई घटनाएं इस बात की गवाह हैं. हालांकि, इस सबके पीछे जानकारों के कुछ सटीक तर्क भी हैं जो संघर्ष के बढ़ने के कारणों पर वन विभाग और सरकार का ध्यान खींच रहे हैं. वैसे वन महकमा भी मानव वन्यजीव संघर्ष के कारणों को जानते हुए जन जागरूकता को ही रोकथाम का इसके लिए एकमात्र रास्ता मान रहा है.उत्तराखंड में साल 2024 के दौरान मानव वन्यजीव संघर्ष के आंकड़े साल 2023 के मुकाबले कुछ कम जरूर हुए हैं लेकिन मौजूदा आंकड़े भी कम चिंता भरे नहीं हैं. सबसे पहले जानिए साल 2024 में किस महीने कितने मामले सामने आये.
वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में साल 2024 के दौरान अब तक कुल 406 संघर्ष की घटनाएं हुई. इन घटनाओं में साल भर में 342 लोग घायल हुए. इसमें 64 लोगों की मौत हुई. जुलाई और अगस्त महीने में सबसे ज्यादा 11-11 लोगों ने जान गंवाई, जबकि वन्यजीव संघर्ष में सितंबर महीने के दौरान सबसे ज्यादा 70 लोग घायल हुए. मानव वन्यजीव संघर्ष के लिहाज से औसतन हर दिन 1 से ज्यादा मामले सामने आये हैं. पर्वतीय जनपदों में सबसे ज्यादा गुलदार का आतंक दिखा है.
मानव वन्यजीव संघर्ष के आंकड़े:उत्तराखंड में साल 2024 के दौरान प्रत्येक महीने संघर्ष के आंकड़े चिंताजनक स्थिति में दिखाई दिये. आंकड़ों के अनुसार जनवरी महीने में 6 लोगों की मौत हुई. 16 लोग घायल हुए. फरवरी महीने में भी 6 लोगों की मौत और 34 लोग हुए घायल. इसी तरह मार्च में एक व्यक्ति की मौत और 16 घायल हुए. अप्रैल में भी पांच लोगों ने जान गंवाई. 17 लोग घायल हुए. मई महीने में चार की मौत हुई, जबकि 30 घायल हुए. जून में 7 की मौत, 25 घायल, जुलाई महीने में 11 की मौत और 51 लोग घायल हुए. इसी तरह अगस्त महीने में 11 की मौत और 48 लोगों को वन्यजीवों ने घायल किया. सितंबर महीने में सात लोगों की मौत हुई. इन घटनाओं में 70 लोग घायल हुए. अक्टूबर महीने में पांच लोगों की मौत, 26 घायल हुए. नवंबर महीने में एक व्यक्ति की मौत हुई और 9 लोग घायल हुए.
24 सालों में दो गुना हुआ मरने वालों का आंकड़ा: पिछले 24 सालों में उत्तराखंड में मरने वालों के आंकड़ों में दोगुना अंतर आया है. साल 2000 के दौरान औसतन सालाना 30 लोगों की मौत का आंकड़ा 2024 में करीब 60 तक जा पहुंचा है. मानव वन्य जीव संघर्ष से घायलों की तादाद चार गुना तक बढ़ी है. साल 2000 के दौरान 55 से 60 का औसतन आंकड़ा अब 2024 में 250 से 300 तक पहुंचा. PCCF WILDLIFE के स्तर पर साल 2024 में 4 लेपर्ड को मारने के आदेश हुए. राज्यभर में एक साल के भीतर 79 गुलदारों को पिंजरे में बंद करने और 7 बाघों को पकड़ने के आदेश हुए हैं.