शिमला: अयोध्या में प्रभु श्रीराम लला के विराजमान होने के अवसर पर हुए भव्य समारोह का रंग अभी भी सभी के सर चढ़कर बोल रहा है. कांग्रेस हाईकमान ने अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण चाहे अस्वीकार कर दिया हो, लेकिन हिमाचल कांग्रेस के नेताओं पर राम नाम का रंग चढ़ा हुआ है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 24 घंटे के अंतराल में प्राण प्रतिष्ठा समारोह और प्रभु राम के गुणगान से संबंधित 9 फेसबुक पोस्ट्स डाली. वहीं, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने भी अपनी एक फेसबुक पोस्ट में ये स्पष्ट किया कि हिमाचल सरकार की कैबिनेट भी जल्द ही अयोध्या जाकर प्रभु श्रीराम लला के दर्शन करेगी.
विक्रमादित्य सिंह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हुए शामिल: हिमाचल सरकार के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह समारोह में बाकायदा निमंत्रित थे और वे अयोध्या पहुंचे भी. उन्होंने इस समारोह में शामिल होने को अपने पिता और दिग्गज कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के साथ जोड़ा. उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने देव समाज के लिए बहुत काम किया और इसी कारण ये निमंत्रण मिला है. ऐसे में रामलला की प्रतिष्ठा के समारोह में शामिल होकर उन्होंने पुत्र धर्म निभाया है. वहीं, वीरभद्र सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और वर्तमान में धर्मशाला से विधायक सुधीर शर्मा और गगरेट के विधायक चैतन्य शर्मा ने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के समक्ष हाजिरी भरी. सुधीर शर्मा ने कहा कि इस समारोह में भाग लेकर उनका जीवन धन्य हो गया. इसके अलावा हिमाचल कांग्रेस के लगभग सभी नेताओं ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर प्रभु श्रीराम के प्रति अपना भक्ति भाव प्रकट किया. ऐसे में ये सवाल उठता है कि एक समय प्रभु राम के अस्तित्व को नकारने वाली कांग्रेस अचानक से राम भक्ति में लीन क्यों हो रही है? क्या इसके पीछे लोकसभा चुनाव कारण हैं?.
लोकसभा की चार सीटें और रामलला इफेक्ट:हिमाचल छोटा पहाड़ी राज्य है और यहां लोकसभा की कुल चार सीटें हैं. राष्ट्रीय परिदृश्य में बेशक हिमाचल की चार सीटों को लेकर खास न चिंता हो, लेकिन हिमाचल कांग्रेस के लिए ये मुद्दा जीवन-मरण का है. कारण ये है कि सुखविंदर सिंह सरकार को सत्ता संभाले अभी एक साल हुआ है. सरकार के कार्यकाल का दूसरा साल शुरू हुआ है और लोकसभा चुनाव इसी साल हैं. कांग्रेस के लिए नाक का सवाल हमीरपुर सीट है. क्योंकि यहां से सीएम सुखविंदर सिंह, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री व कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी आते हैं. सत्ता में रहते हुए भी ये सीट अगर कांग्रेस हार जाती है तो ये उसके लिए किसी बड़े धक्के से कम नहीं होगा. तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि देवभूमि हिमाचल की जनता की प्रभु राम में गहन आस्था है. यहां कुल्लू में भगवान रघुनाथ का मंदिर है तो बंजार में प्रभु श्री राम की बड़ी बहन मां शांता दी विराज रही हैं. छोटी काशी में प्रभु राम के आराध्य शिवजी के शिवालय हैं तो कांगड़ा में मां भगवती अपने विविध रूपों में विराज रही हैं. कुल मिलाकर हिमाचल की सभी सीटों पर चुनाव में प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा और 496 साल बाद लौटे गौरव का इफेक्ट पड़ेगा. कांग्रेस इसी को लेकर अपनी साइड सेफ करना चाहती है. यही कारण है कि कांग्रेस नेताओं ने रामलला के विराजमान होने पर खुशी और उत्साह प्रकट किया है.
राम नाम महिमा से भरा सीएम का सोशल मीडिया अकाउंट:प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू 21 जनवरी को शिमला के राम मंदिर पहुंचे. वहां उन्होंने जय श्रीराम का उद्घोष किया. फिर सुंदरकांड के पाठ के शुभारंभ अवसर के गवाह बने. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन सीएम सुखविंदर सिंह जाखू स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे. वहां वे राम भक्त हनुमान के समक्ष नतमस्तक हुए. यहां सीएम ने ऐलान किया कि जाखू में प्रभु श्री राम की 111 फीट विशालकाय और गगनचुंबी प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इसका अनुरोध शिमला राम मंदिर के प्रबंधन से जुड़ी सूद सभा ने भी किया है. फिर सीएम ने शाम को अपने आवास पर दीप जलाए. सीएम के सोशल मीडिया पेज पर रील्स के माध्यम से राम नाम महिमा गाई गई. सीएम ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन को सभी के लिए हर्ष और मंगल का दिन बताया. वहीं, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने दो दिन पहले अपने सोशल मीडिया पन्ने पर लिखा-श्री रामलला जी की प्राण प्रतिष्ठा के सुअवसर पर शीतला माता मंदिर इसपुर में विशाल भंडारे का आयोजन होगा. शाम को उन्होंने बाबा लाल आश्रम में हाजिरी भरने का ऐलान किया. इसके अलावा एचआरटीसी की बसें अयोध्या व अन्य धार्मिक स्थलों पर भेजने का जिक्र किया. सोमवार को अवकाश की घोषणा वाली बात कही थी. अंत में लिखा-जल्द जाएगा हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल अयोध्या.
जनता की नब्ज भांपकर कांग्रेस भी राम नाम की महिमा गा रही: इस समय लोकसभा की चार सीटों में से तीन भाजपा के पास हैं. मंडी की सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने उपचुनाव में जीत हासिल की थी. भाजपा लोकसभा चुनाव में जीत का चौका मारने के लिए तैयारी कर रही है. कांग्रेस बेशक सत्ता में है, लेकिन राम मंदिर निर्माण की लहर ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इस प्रचंड लहर का सामना किस तरह से किया जाए. भाजपा राम मंदिर निर्माण का क्रेडिट लेने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. हिमाचल की भावुक और आस्थावान जनता इस मसले पर संवेदनशील है. जिस तरह से फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह की धूम मची और हर किसी ने रामलला के विग्रह को अपनी डीपी बना लिया, उससे जनता के उत्साह का पता चलता है. अभी राम मंदिर में प्रभु के बाल रूप के दर्शन के लिए उत्साह है. हिमाचल से भी लोग अयोध्या जा रहे हैं. इस तरह राम नाम का खुमार में हिमाचल की जनता भाव विभोर हो रही है. यही कारण है कि जनता की नब्ज भांपकर कांग्रेस भी राम नाम की महिमा गा रही है.
राम प्राण प्रतिष्ठा समारोह से कांग्रेस की दूरी न पड़ जाए भारी:वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि राम मंदिर के संदर्भ में प्रस्ताव हिमाचल के पालमपुर में पारित हुआ था. पीएम नरेंद्र मोदी हिमाचल भाजपा के प्रभारी रहे हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान हिमाचल के वोटर्स को ये सब बातें याद दिलाई जाएंगी. इतिहास गवाह है कि जब जनता भावुक होकर किसी मुद्दे पर वोट करने का मन बना ले तो सारे समीकरण ध्वस्त हो जाते हैं. राम मंदिर एक ऐसा ही मुद्दा है. ऐसे में कांग्रेस के नेता भी राम के भजन की ओट में सुरक्षित होना चाहते हैं. हिमाचल की राजनीति को पांच दशक से परख रहे वरिष्ठतम पत्रकार बलदेव शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस हाईकमान ने इस आयोजन को संघ व भाजपा का आयोजन कह प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया था. वहीं, हिमाचल सरकार ने न केवल अवकाश की घोषणा की, बल्कि राम गुण भी गाया. बलदेव शर्मा सवाल उठाते हैं कि ऐसे में हिमाचल कांग्रेस का हाईकमान की सोच से अलग व्यवहार लोकसभा चुनाव में पार्टी को कोई फायदा देगा या नहीं, ये चर्चा का विषय तो बनेगा ही. फिलहाल, हिमाचल कांग्रेस की ये राम धुन क्या लोकसभा चुनाव की नैया पार लगाएगी, ये इन दिनों देवभूमि का चर्चित मुद्दा बन गया है.
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