रांचीः झारखंड की राजनीति ने एक बार फिर करवट ली है. सूत्रों के अनुसार हेमंत सोरेन के आवास पर हुई सत्ताधारी विधायक दल की बैठक में उन्हें फिर से नेता चुन लिया गया है. अब हेमंत सोरेन राज्य के 13वें मुख्यमंत्री के तौर पर बहुत जल्द शपथ ले सकते हैं. फिलहाल आधिकारिक पुष्टी बाकी है.
लैंड स्कैम मामले में 31 जनवरी को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उनकी जगह पार्टी के सीनियर नेता चंपई सोरेन ने 2 फरवरी को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इस बीच लगातार चर्चा चल रही थी कि अगर हेमंत सोरेन बेल पर जेल से बाहर आ भी जाते हैं तो सत्ता परिवर्तन नहीं होगा.
यह बात फिर साबित हो गई कि राजनीति में सिद्धांतों से ज्यादा ताकत अहमियत रखती है. आखिरकार सारी लड़ाई कुर्सी के लिए ही होती है. 29 जून को लैंड स्कैम मामले में नियमित जमानत पर जेल से बाहर आने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के तेवर से लगने लगा था कि झारखंड में कुछ बड़ा होने वाला है. उनके निर्देश पर 1 जुलाई को इंडिया गठबंधन के सभी सहयोगियों को कह दिया गया था कि 3 जुलाई को बैठक में हर हाल में आना है. यही वजह रही कि 2 जुलाई को प्रस्तावित चंपई सोरेन का दुमका दौरा रद्द कर दिया गया. 3 जुलाई को भी प्रस्तावित उनके सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए गए.
सत्ता परिवर्तन के कयासों पर झामुमो के ज्यादातर नेता ऑफ द रिकॉर्ड यही कह रहे थे कि हेमंत सोरेन ऐसा कदम नहीं उठाएंगे. क्योंकि ऐसा होने से राज्यवासियों के बीच गलत मैसेज जाएगा. हालांकि सोरेन परिवार को नजदीक से जानने वाले जानकारों के बीच चर्चा थी कि नियमित बेल मिलने से एक अलग मैसेज गया है. हेमंत सोरेन लोगों को बताएंगे कि उन्हें झूठे केस में 5 महीने तक जेल में रखा गया. उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था. राज्य में अस्थिरता न रहे, इसकी वजह से उन्हें चंपाई सोरेन को सीएम बनाना पड़ा था. वह लोगों को बताएंगे कि 2019 के चुनाव में उनके नेतृत्व वाले महागठबंधन को बहुमत मिला था. अब वह मुख्यमंत्री रहते शेष वादों को पूरा करने पर जोर देंगे.