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मनमोहन सिंह के कार्यकाल में शुरू हुआ था सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन, जानिए क्या था ग्रीन हंट - OPERATION GREEN HUNT

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नक्सलियों के खात्मे के लिए बड़ा कदम उठाया था. जानिए क्या था वो ऑपरेशन.

OPERATION GREEN HUNT
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 17 hours ago

पलामूः ऑपरेशन ग्रीन हंट एक ऐसा नाम जिसने माओवादियों कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभाई. ग्रीन हंट माओवादियों के खिलाफ बड़े अभियान की शुरुआत थी, जिसमें रेड कॉरिडोर के सभी राज्य शामिल थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में माओवादियों के खिलाफ एक यूनिफाइड कमांड बनाया गया और अभियान की शुरुआत की गई. इस अभियान को ग्रीन हंट का नाम दिया गया.

तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है. डॉ. मनमोहन सिंह ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिनके कार्यकाल में माओवादियों के खिलाफ सबसे बड़े अभियान की शुरुआत हुई थी. ग्रीन हंट के विरोध में माओवादी डॉ. मनमोहन सिंह के खिलाफ जंगल पहाड़ और गांव में पोस्टर बैनर लगाते थे.

OPERATION GREEN HUNT
ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)
क्या था ग्रीन हंट ? जो नक्सल प्रभावित सभी राज्यों को किया था एकजुट

2007-08 से पहले रेड कॉरिडोर में शामिल बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्य नक्सलियों के खिलाफ अलग-अलग अभियान चलते थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में नक्सलियों के खिलाफ एक यूनिफाइड कमांड बनाया गया और सभी राज्यों को एकजुट किया गया.

सभी राज्यों ने एकजुट हो कर माओवादियों खिलाफ अभियान की शुरुआत की. इस दौरान सभी राज्य आपस में सूचनाओं को साझा करने लगे. ग्रीन हंट को लेकर ही कमांडो बटालियन ऑफ रिजॉल्यूट एक्शन (कोबरा) का गठन किया गया. कोबरा में सीआरपीएफ के स्पेशल जवान थे, जो नक्सलियों के गढ़ में घुसकर कार्रवाई करते थे.

डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ग्रीन हंट की शुरुआत हुई थी, यह एक ऐसा अभियान था जिसमें सभी राज्य शामिल हुए थे. ग्रीन हंट के बाद ही माओवादी बैकफुट पर आना शुरू हुए थे. ग्रीन हंट में सभी राज्य एक दूसरे से जुड़ गए थे एवं अभियान चला रहे थे. ग्रीन हंट अभियान के दौरान सुरक्षा बल माओवादियों के गढ़ में घुसना शुरू कर दिया था. - सतीश कुमार, पूर्व टॉप माओवादी (वर्तमान में आजसू नेता)

ग्रीन हंट के दौरान नक्सल फ्रंट पहली बार चक पिकेट पर पहुंचे थे केंद्रीय गृह मंत्री

झारखंड में ग्रीन हंट के दौरान माओवादियों के गढ़ में पलामू के चक में पहली बार पिकेट की स्थापना की गई थी. झारखंड बिहार में यह पहली ऐसी पिकेट थी जो माओवादियों से सीधे तौर पर लड़ाई के लिए तैयार की गई थी. पिकेट तैयार होने के बाद मनमोहन सिंह के कार्यकाल में तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज सिंह पाटिल नक्सली फ्रंट पर जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए पहुंचे थे. पिकेट बनने के विरोध में माओवादियों ने डेढ़ वर्षों तक चक को बंद रखा था.

चक पिकेट की स्थापना एक बड़ी चुनौती थी. एक सप्ताह तक उन्होंने कैंप किया था एवं पिकेट की स्थापना की थी. इस दौरान दो बार हमला भी हुआ था. यह काफी सफल पिकेट रहा जिसने माओवादियों को कमजोर किया. रातों-रात सुरक्षा बल पहुंचे थे और तीन कंपनी जवानों को तैनात किया गया था. -पूर्व आईजी सह रिटायर आईपीएस दीपक वर्मा

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पलामूः ऑपरेशन ग्रीन हंट एक ऐसा नाम जिसने माओवादियों कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभाई. ग्रीन हंट माओवादियों के खिलाफ बड़े अभियान की शुरुआत थी, जिसमें रेड कॉरिडोर के सभी राज्य शामिल थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में माओवादियों के खिलाफ एक यूनिफाइड कमांड बनाया गया और अभियान की शुरुआत की गई. इस अभियान को ग्रीन हंट का नाम दिया गया.

तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है. डॉ. मनमोहन सिंह ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिनके कार्यकाल में माओवादियों के खिलाफ सबसे बड़े अभियान की शुरुआत हुई थी. ग्रीन हंट के विरोध में माओवादी डॉ. मनमोहन सिंह के खिलाफ जंगल पहाड़ और गांव में पोस्टर बैनर लगाते थे.

OPERATION GREEN HUNT
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क्या था ग्रीन हंट ? जो नक्सल प्रभावित सभी राज्यों को किया था एकजुट

2007-08 से पहले रेड कॉरिडोर में शामिल बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्य नक्सलियों के खिलाफ अलग-अलग अभियान चलते थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में नक्सलियों के खिलाफ एक यूनिफाइड कमांड बनाया गया और सभी राज्यों को एकजुट किया गया.

सभी राज्यों ने एकजुट हो कर माओवादियों खिलाफ अभियान की शुरुआत की. इस दौरान सभी राज्य आपस में सूचनाओं को साझा करने लगे. ग्रीन हंट को लेकर ही कमांडो बटालियन ऑफ रिजॉल्यूट एक्शन (कोबरा) का गठन किया गया. कोबरा में सीआरपीएफ के स्पेशल जवान थे, जो नक्सलियों के गढ़ में घुसकर कार्रवाई करते थे.

डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ग्रीन हंट की शुरुआत हुई थी, यह एक ऐसा अभियान था जिसमें सभी राज्य शामिल हुए थे. ग्रीन हंट के बाद ही माओवादी बैकफुट पर आना शुरू हुए थे. ग्रीन हंट में सभी राज्य एक दूसरे से जुड़ गए थे एवं अभियान चला रहे थे. ग्रीन हंट अभियान के दौरान सुरक्षा बल माओवादियों के गढ़ में घुसना शुरू कर दिया था. - सतीश कुमार, पूर्व टॉप माओवादी (वर्तमान में आजसू नेता)

ग्रीन हंट के दौरान नक्सल फ्रंट पहली बार चक पिकेट पर पहुंचे थे केंद्रीय गृह मंत्री

झारखंड में ग्रीन हंट के दौरान माओवादियों के गढ़ में पलामू के चक में पहली बार पिकेट की स्थापना की गई थी. झारखंड बिहार में यह पहली ऐसी पिकेट थी जो माओवादियों से सीधे तौर पर लड़ाई के लिए तैयार की गई थी. पिकेट तैयार होने के बाद मनमोहन सिंह के कार्यकाल में तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज सिंह पाटिल नक्सली फ्रंट पर जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए पहुंचे थे. पिकेट बनने के विरोध में माओवादियों ने डेढ़ वर्षों तक चक को बंद रखा था.

चक पिकेट की स्थापना एक बड़ी चुनौती थी. एक सप्ताह तक उन्होंने कैंप किया था एवं पिकेट की स्थापना की थी. इस दौरान दो बार हमला भी हुआ था. यह काफी सफल पिकेट रहा जिसने माओवादियों को कमजोर किया. रातों-रात सुरक्षा बल पहुंचे थे और तीन कंपनी जवानों को तैनात किया गया था. -पूर्व आईजी सह रिटायर आईपीएस दीपक वर्मा

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