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भेड़ियों का प्रजनन काल शुरू! बाघों से भी कम है इनकी संख्या, लातेहार में एशिया का एक मात्र वुल्फ सेंचुरी - BREEDING SEASON OF WOLF

भेड़ियों के प्रजनन का वक्त शुरू हो गया है. इन्हें बचाने के लिए देश के एक मात्र वुल्फ सैंचुरी में कोशिश की जा रही है.

Breeding season of Wolf
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 14 hours ago

पलामू: भेड़ियों का प्रजनन काल शुरू हो गया है. दिसंबर से फरवरी तक भेड़ियों का प्रजनन काल माना जाता है. झारखंड के लातेहार के महुआडांड़ में एशिया का एक मात्र भेड़िया अभयारण (वुल्फ सेंचुरी) मौजूद है. 63 वर्ग किलोमीटर फैले इस वुल्फ सेंचुरी 80 से 70 भेड़िया हैं जो चार से छह अलग अलग झुंड में बंटे हुए हैं.

पीटीआर निदेशक का बयान (ईटीवी भारत)

लातेहार के महुआडांड़ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ प्रजाति के भेड़िया रहते हैं. भारत में भेड़ियों की संख्या बाघों से भी कम है. भेड़ियों की संख्या तीन हजार से भी कम है. इसलिए सरकार इन्हें लेकर काफी गंभीर है. दिसंबर से लेकर फरवरी तक भेड़ियों का प्रजनन काल होता है. यानि अब इनके प्रजनन वक्स शुरू हो गया है. इसे लेकर महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में हाई अलर्ट जारी किया है. पूरे इलाके में ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए हैं और विभाग ईको डेवलपमेंट कमेटी के साथ बैठक कर रही है. ताकि भेड़ियों के प्राकृतिक प्रवास में कोई नुकसान नहीं पहुंच सके.

भेड़ियों का प्रजनन काल शुरू हो गया है, प्रजनन काल को लेकर हाई अलर्ट जारी किया गया है और कई स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है - कुमार आशुतोष, निदेशक, पीटीआर

भेड़ियों के प्रजनन को लेकर कई बिंदुओं पर बरती जा रही सावधानी

महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. प्रजनन को लेकर कई स्तर पर सावधानी बरती जा रही है एवं मॉनिटरिंग की जा रही है. वुल्फ सेंचुरी के अगल-बगल 60 से भी अधिक गांव मौजूद हैं. ग्रामीणों के मवेशी बड़ी संख्या में चारे के लिए वुल्फ सेंचुरी के इलाके में दाखिल होते हैं. प्रजनन काल में मवेशी सेंचुरी के इलाके में दाखिल ना हो इसके लिए विभाग ईडीसी के साथ बैठक कर रही है. कई मौकों पर ग्रामीण भेड़ियों के मांद के अगल-बगल आग लगा देते हैं. जिसके कारण भेड़ियों को मांद छोड़ कर भागना पड़ता है.

BREEDING SEASON OF WOLF
भेड़ियों के बारे में जानकारी (ईटीवी भारत)



एक बार मे चार से छह बच्चों को जन्म देते हैं भेड़िए

भेड़िया एक बार मे चार से छह बच्चों को जन्म देते हैं. जन्म के बाद भेड़िया के बच्चों को दिखाई नहीं देता है. जन्म के तीन सप्ताह के बाद ये बच्चे मांद से बाहर निकलते हैं. तब तक भेड़िया का परिवार बच्चों का पालन पोषण करता है. प्रजनन के दौरान मांद में किसी प्रकार का खतरा होने के बाद भेड़िया इलाका का छोड़ देते हैं और दोबारा वापस नहीं लौटते हैं. ठंड की शुरुआत के साथ ही भेड़िया सुरक्षित मांद की तलाश शुरू कर देते हैं. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी की सीमा छत्तीसगढ़ से सटी हुई है. छत्तीसगढ़ से भी बड़ी संख्या में भेड़िया इस इलाके में आते हैं एवं प्रजनन करते हैं.

BREEDING SEASON OF WOLF
भेड़ियों के बारे में जानकारी (ईटीवी भारत)



ग्रामीण और ईडीसी के साथ बैठक की गई है. ग्रामीणों से यह कहा है कि भेड़ियों के द्वारा हुए किसी भी प्रकार के नुकसान की भरपाई विभाग करेगा. पूरे इलाके में मॉनिटरिंग की जा रही है एवं कैमरे लगाए गए हैं. ग्रामीणों के साथ बैठक की गई है एवं उन्हें जागरूक भी किया गया है. - कुमार आशीष, उपनिदेशक, पीटीआर

1976 में बना था महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी, पहली गिनती में मिले थे 49 भेड़िए

2024 में उत्तरप्रदेश के बहराइच घटना के बात पूरे देश में भेड़िया चर्चा में आए थे. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी का गठन 1976 में हुआ था. 1979 में पहली बार वुल्फ सेंचुरी में भेड़ियों की गिनती हुई थी. उसे दौरान 49 भेड़ियों की मौजूदगी की बात सामने आई थी. 2024 वुल्फ सेंचुरी में 1979 के बाद सर्वे हुआ है. सर्वे के रिपोर्ट को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट जारी करेगी.

BREEDING SEASON OF WOLF
भेड़ियों के बारे में जानकारी (ईटीवी भारत)

महुआडांड़ को ही क्यों बनाया गया वुल्फ सेंचुरी!

महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी की एशिया का एकमात्र वुल्फ सेंचुरी है. वुल्फ सेंचुरी का गठन को लेकर रोचक कहानी है. 1970 में तत्कालीन एसीएफ आरसी सहाय और वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट डीएस श्रीवास्तव इलाके में भ्रमण कर रहे थे. इसी क्रम में उनकी नजर भेड़ियों के बच्चों पर गई थी. बाद में दोनों ने जानकारी तत्कालीन डीएफओ जे मिश्रा को दी. उसके बाद भेड़ियों की झुंड के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का कार्य शुरू हुआ था. सर्वे के बाद पूरी रिपोर्ट तत्कालीन पीसीसीएफ एसपी शाही को सौंप गई.

मांद के बाहर बांधे गए थे बकरे

एसपी शाही ने महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में कैंप किया. उस दौरान मांद के बाहर बकरे भी बांधे गए थे. एसपी शाही ने कैंप कर महुआडांड़ को वुल्फ सेंचुरी घोषित किया था. प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी भेड़ियों का प्रजनन का ठिकाना है. यहां कई इलाको से भेड़िया प्रजनन के लिए पहुंचते हैं. वुल्फ सेंचुरी घोषित करने में एसपी शाही और तत्कालीन डीएफओ जे मिश्रा की बड़ी भूमिका रही थी.

क्या है इस सैंचुरी की खासियत

एसपी शाही बताते हैं कि महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी एशिया का एकमात्र वुल्फ सेंचुरी. इसकी खासियत यह है कि महुआडांड़ ऊंचाई पर बसा हुआ है और सुरक्षित क्षेत्र में मांद अधिक. सेंचुरी का मांद भेड़ियों के प्रजनन के लिए काफी अच्छा है. प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि एसपी शाही ने अपनी किताब में वुल्फ सेंचुरी को लेकर कई जानकारियां को साझा किया है. 63 वर्ग किलोमीटर में फैले वुल्फ सेंचुरी 500 से अधिक मांद हैं.

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पलामू: भेड़ियों का प्रजनन काल शुरू हो गया है. दिसंबर से फरवरी तक भेड़ियों का प्रजनन काल माना जाता है. झारखंड के लातेहार के महुआडांड़ में एशिया का एक मात्र भेड़िया अभयारण (वुल्फ सेंचुरी) मौजूद है. 63 वर्ग किलोमीटर फैले इस वुल्फ सेंचुरी 80 से 70 भेड़िया हैं जो चार से छह अलग अलग झुंड में बंटे हुए हैं.

पीटीआर निदेशक का बयान (ईटीवी भारत)

लातेहार के महुआडांड़ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ प्रजाति के भेड़िया रहते हैं. भारत में भेड़ियों की संख्या बाघों से भी कम है. भेड़ियों की संख्या तीन हजार से भी कम है. इसलिए सरकार इन्हें लेकर काफी गंभीर है. दिसंबर से लेकर फरवरी तक भेड़ियों का प्रजनन काल होता है. यानि अब इनके प्रजनन वक्स शुरू हो गया है. इसे लेकर महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में हाई अलर्ट जारी किया है. पूरे इलाके में ट्रैकिंग कैमरे लगाए गए हैं और विभाग ईको डेवलपमेंट कमेटी के साथ बैठक कर रही है. ताकि भेड़ियों के प्राकृतिक प्रवास में कोई नुकसान नहीं पहुंच सके.

भेड़ियों का प्रजनन काल शुरू हो गया है, प्रजनन काल को लेकर हाई अलर्ट जारी किया गया है और कई स्तर पर मॉनिटरिंग की जा रही है - कुमार आशुतोष, निदेशक, पीटीआर

भेड़ियों के प्रजनन को लेकर कई बिंदुओं पर बरती जा रही सावधानी

महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. प्रजनन को लेकर कई स्तर पर सावधानी बरती जा रही है एवं मॉनिटरिंग की जा रही है. वुल्फ सेंचुरी के अगल-बगल 60 से भी अधिक गांव मौजूद हैं. ग्रामीणों के मवेशी बड़ी संख्या में चारे के लिए वुल्फ सेंचुरी के इलाके में दाखिल होते हैं. प्रजनन काल में मवेशी सेंचुरी के इलाके में दाखिल ना हो इसके लिए विभाग ईडीसी के साथ बैठक कर रही है. कई मौकों पर ग्रामीण भेड़ियों के मांद के अगल-बगल आग लगा देते हैं. जिसके कारण भेड़ियों को मांद छोड़ कर भागना पड़ता है.

BREEDING SEASON OF WOLF
भेड़ियों के बारे में जानकारी (ईटीवी भारत)



एक बार मे चार से छह बच्चों को जन्म देते हैं भेड़िए

भेड़िया एक बार मे चार से छह बच्चों को जन्म देते हैं. जन्म के बाद भेड़िया के बच्चों को दिखाई नहीं देता है. जन्म के तीन सप्ताह के बाद ये बच्चे मांद से बाहर निकलते हैं. तब तक भेड़िया का परिवार बच्चों का पालन पोषण करता है. प्रजनन के दौरान मांद में किसी प्रकार का खतरा होने के बाद भेड़िया इलाका का छोड़ देते हैं और दोबारा वापस नहीं लौटते हैं. ठंड की शुरुआत के साथ ही भेड़िया सुरक्षित मांद की तलाश शुरू कर देते हैं. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी की सीमा छत्तीसगढ़ से सटी हुई है. छत्तीसगढ़ से भी बड़ी संख्या में भेड़िया इस इलाके में आते हैं एवं प्रजनन करते हैं.

BREEDING SEASON OF WOLF
भेड़ियों के बारे में जानकारी (ईटीवी भारत)



ग्रामीण और ईडीसी के साथ बैठक की गई है. ग्रामीणों से यह कहा है कि भेड़ियों के द्वारा हुए किसी भी प्रकार के नुकसान की भरपाई विभाग करेगा. पूरे इलाके में मॉनिटरिंग की जा रही है एवं कैमरे लगाए गए हैं. ग्रामीणों के साथ बैठक की गई है एवं उन्हें जागरूक भी किया गया है. - कुमार आशीष, उपनिदेशक, पीटीआर

1976 में बना था महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी, पहली गिनती में मिले थे 49 भेड़िए

2024 में उत्तरप्रदेश के बहराइच घटना के बात पूरे देश में भेड़िया चर्चा में आए थे. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी का गठन 1976 में हुआ था. 1979 में पहली बार वुल्फ सेंचुरी में भेड़ियों की गिनती हुई थी. उसे दौरान 49 भेड़ियों की मौजूदगी की बात सामने आई थी. 2024 वुल्फ सेंचुरी में 1979 के बाद सर्वे हुआ है. सर्वे के रिपोर्ट को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट जारी करेगी.

BREEDING SEASON OF WOLF
भेड़ियों के बारे में जानकारी (ईटीवी भारत)

महुआडांड़ को ही क्यों बनाया गया वुल्फ सेंचुरी!

महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी की एशिया का एकमात्र वुल्फ सेंचुरी है. वुल्फ सेंचुरी का गठन को लेकर रोचक कहानी है. 1970 में तत्कालीन एसीएफ आरसी सहाय और वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट डीएस श्रीवास्तव इलाके में भ्रमण कर रहे थे. इसी क्रम में उनकी नजर भेड़ियों के बच्चों पर गई थी. बाद में दोनों ने जानकारी तत्कालीन डीएफओ जे मिश्रा को दी. उसके बाद भेड़ियों की झुंड के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का कार्य शुरू हुआ था. सर्वे के बाद पूरी रिपोर्ट तत्कालीन पीसीसीएफ एसपी शाही को सौंप गई.

मांद के बाहर बांधे गए थे बकरे

एसपी शाही ने महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में कैंप किया. उस दौरान मांद के बाहर बकरे भी बांधे गए थे. एसपी शाही ने कैंप कर महुआडांड़ को वुल्फ सेंचुरी घोषित किया था. प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी भेड़ियों का प्रजनन का ठिकाना है. यहां कई इलाको से भेड़िया प्रजनन के लिए पहुंचते हैं. वुल्फ सेंचुरी घोषित करने में एसपी शाही और तत्कालीन डीएफओ जे मिश्रा की बड़ी भूमिका रही थी.

क्या है इस सैंचुरी की खासियत

एसपी शाही बताते हैं कि महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी एशिया का एकमात्र वुल्फ सेंचुरी. इसकी खासियत यह है कि महुआडांड़ ऊंचाई पर बसा हुआ है और सुरक्षित क्षेत्र में मांद अधिक. सेंचुरी का मांद भेड़ियों के प्रजनन के लिए काफी अच्छा है. प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि एसपी शाही ने अपनी किताब में वुल्फ सेंचुरी को लेकर कई जानकारियां को साझा किया है. 63 वर्ग किलोमीटर में फैले वुल्फ सेंचुरी 500 से अधिक मांद हैं.

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