चंडीगढ़: साल 1990. तारीख 27 फरवरी. ये वो दिन है जो भारत के चुनावी इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है. इसी दिन हरियाणा के रोहतक जिले की एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस सीट का नाम है महम. महम (Meham) उपचुनाव में इतना खून खराबा हुआ कि देश के चुनावी इतिहास में ये महम कांड के नाम से दर्ज हो गया. इस चुनाव की पूरी कहानी बेहद फिल्मी और डरावनी है. इस चुनाव में हरियाणा की शक्तिशाली खापों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के उप प्रधानमंत्री तक को झुका दिया. विधानसभा चुनाव के बीच एक बार फिर महम कांड की याद ताजा हो गई है.
महम सीट पर क्यों हुआ उपचुनाव?
आज से करीब 35 साल पहले 1990 में महम विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस चुनाव में लोकदल के उम्मीदवार थे देश के तत्कालीन उप प्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे और मुख्यमंत्री ओपी चौटाला. उपचुनाव की नौबत इसलिए आई थी क्योंकि 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में जीतकर मुख्यमंत्री रहे देवीलाल ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और केंद्र की वीपी सिंह सरकार में डिप्टी पीएम बन गये. देवीलाल ने दिल्ली जाने से पहले अपनी सियासी विरासत सौंपी अपने बड़े बेटे ओपी चौटाला को. ओपी चौटाला मुख्यमंत्री तो बन गये लेकिन वो विधायक नहीं थे. पिता देवीलाल के इस्तीफे से खाली हुई महम सीट से ओपी चौटाला ने उपचुनाव लड़ने का फैसला किया.
महम उपचुनाव कैसे बन गया महम कांड
नवंबर 1989 में लोकसभा चुनाव हुए तो केंद्र में जनता दल की सरकार बनी. वीपी सिंह के साथ ही देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने. इधर हरियाणा में 2 दिसंबर 1989 को ही ओम प्रकाश चौटाला (OP Chautala) ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. ओपी चौटाला मुख्यमंत्री बनने के बाद उपचुनाव लड़ रहे थे क्योंकि वो विधानसभा के सदस्य नहीं थे. अपने पिता देवीलाल की छोड़ी गई महम सीट से वो चुनावी मैदान में उतरे. लेकिन उनके इस फैसले के खिलाफ देवीलाल के ही एक राजनीतिक शिष्य आनंद सिंह दांगी ने बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया.
बताया जाता है कि आनंद दांगी मुख्यमंत्री देवीलाल के बेहद खास थे. देवीलाल उन्हें अपना 5वां बेटा कहते थे. आनंद दांगी के चुनाव लड़ने के ऐलान से देवीलाल और ओपी चौटाला खफा हो गये. लेकिन इससे भी बड़ी बात ये हुई महम की सबसे मजबूत चौबीसी की महापंचायत ने भी ओपी चौटाला और देवीलाल का विरोध करके आनंद सिंह दांगी को समर्थन कर दिया. महम चौबीसी महापंचायत की ताकत उस दौर में इतनी थी कि उसके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले की हार तय थी. चौबीसी महापंचायत के विरोध से ओपी चौटाला और देवीलाल बौखला गये. इसलिए मुख्यमंत्री ओपी चौटाला और डिप्टी पीएम देवीलाल ने इस चुनाव को अपनी नाक का सवाल बना लिया.
क्या है महम चौबीसी खाप जिसने सीएम और डिप्टी पीएम को झुका दिया?
महम हरियाणा के रोहतक जिले में एक विधानसभा सीट और तहसील है. यहां एक चबूतरा है, जिसे चौबीसी चबूतरा कहा जाता है. बताया जाता है कि अंग्रेजों ने इस चबूतरे पर 1857 के स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी थी. तब से ये चबूतरा यहां के लोगों के लिए पूज्यनीय हो गया है. चौबीसी के चबूतरे पर होने वाली सर्व खाप पंचायत का फैसला कोई टाल नहीं सकता. 90 के दौर तक ये चौबीसी सर्व खाप इतनी ताकतवर थी कि बड़ा से बड़ा नेता भी उसके फैसले के आगे झुकता था. चुनाव में खाप अपना उम्मीदवार चुनती थी. सर्व खाप का हाथ जिसके सिर पर होता था उसकी जीत पक्की होती थी. लेकिन जिसने खापों के फैसले का विरोध किया, उसकी हार तय मानी जाती थी.
इसलिए नाराज हुई महम चौबीसी
महम सीट से देवीलाल के तीन बार चुनाव जीतने पर महम चौबीसी उनके साथ थी. लेकिन केंद्र में डिप्टी पीएम बनने के बाद देवीलाल ने ओपी चौटाला को महम उपचुनाव में खुद उम्मीदवार घोषित कर दिया, जिससे चौबीसी की सर्व खाप नाराज हो गईं. चौबीसी खाप के सैकड़ों लोग दिल्ली में देवीलाल से मिलकर उन्हें ओपी चौटाला को चुनाव से हटाने के लिए कहा लेकिन देवीलाल ने इनकार कर दिया. देवीलाल की इस जिद से खाप चौबीसी भड़क उठी और उन्हें हराने का ऐलान कर दिया. चौबीसी सर्व खाप ने ओपी चौटाला के खिलाफ देवीलाल के खास आनंद सिंह दांगी को समर्थन दे दिया. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि इसके बाद ओपी चौटाला और देवीलाल ने महम उपचुनाव को अपनी इज्जत का सवाल बना लिया.
महम चौबीसी ने ओपी चौटाला का विरोध क्यों किया?
महम सीट से देवीलाल तीन बार (1982, 1985, 1987) चुनाव जीतकर विधायक बन चुके थे. इसलिए ये सीट लोकदल और देवीलाल का गढ़ कही जाने लगी थी. इसीलिए जब देवीलाल केंद्र में डिप्टी पीएम बन गये तो मुख्यमंत्री बनने वाले उनके बेटे ओपी चौटाला ने उनकी सुरक्षित सीट से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया. लेकिन देवीलाल के बाद फिर से उनके परिवार के सदस्य के चुनाव लड़ने से महम चौबीसी की सर्व खाप पंचायत नाराज हो गई. चौबीसी खाप ने देवीलाल और ओपी चौटाला का विरोध करने का फैसला किया. जिसके चलते ओपी चौटाला ने इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया.
महम में पहला उपचुनाव, 9 लोगों की मौत
2 दिसंबर 1989 को ओपी चौटाला के सीएम पद की शपथ लेने के बाद 27 फरवरी 1990 को महम उपचुनाव के लिए पहली बार वोटिंग हुई. ताकतवर खाप पंचायत महम चौबीसी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे सीएम ओपी चौटाला और डिप्टी पीएम देवीलाल के लिए ये चुनाव नाक का सवाल बन गया था. राजनीतिक जानकार कहते हैं इसीलिए चुनाव जीतने के लिए लोकदल कार्यकर्ताओं ने जमकर गुंडागर्दी की और बूथ कैप्चरिंग कराई. इस मामले में ओपी चौटाला के बेटे अभय चौटाला का भी नाम सामने आया था.
रि-पोलिंग के दौरान हुई फायरिंग