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देश का सबसे खूनी चुनाव, हत्या और हिंसा के बीच 2 बार हुई वोटिंग, नहीं निकला नतीजा, चली गई CM और डिप्टी PM की कुर्सी - Haryana meham case

HARYANA MEHAM CASE: ये लोकतांत्रिक चुनाव नहीं मानो जंग का मैदान था. खुलेआम बूथ कैप्चरिंग, पुलिस की गुंडागर्दी, हिंसा, हत्या. इस चुनाव में किसी थ्रिलर फिल्म जैसा सब कुछ था. चुनावी जंग में एक तरफ थी शक्तिशाली चौबीसी खाप और दूसरी तरफ देश के डिप्टी पीएम और उनका सीएम बेटा. इस चुनाव में मानो खून की होली खेली गई. दो बार वोटिंग हुई लेकिन नतीजे घोषित नहीं हो पाये और चुनाव रद्द करना पड़ा. इस खूनी चुनाव का ये असर हुआ कि मुख्यमंत्री और देश के डिप्टी पीएम को अपनी कुर्सी तक गंवानी पड़ गई.

HARYANA MEHAM CASE
ओपी चौटाला (सबसे बाएं), आनंद दांगी (बीच में) और देवीलाल (सबसे दाएं) (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Sep 19, 2024, 8:53 PM IST

Updated : Sep 20, 2024, 3:01 PM IST

चंडीगढ़: साल 1990. तारीख 27 फरवरी. ये वो दिन है जो भारत के चुनावी इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है. इसी दिन हरियाणा के रोहतक जिले की एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस सीट का नाम है महम. महम (Meham) उपचुनाव में इतना खून खराबा हुआ कि देश के चुनावी इतिहास में ये महम कांड के नाम से दर्ज हो गया. इस चुनाव की पूरी कहानी बेहद फिल्मी और डरावनी है. इस चुनाव में हरियाणा की शक्तिशाली खापों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के उप प्रधानमंत्री तक को झुका दिया. विधानसभा चुनाव के बीच एक बार फिर महम कांड की याद ताजा हो गई है.

महम सीट पर क्यों हुआ उपचुनाव?

आज से करीब 35 साल पहले 1990 में महम विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस चुनाव में लोकदल के उम्मीदवार थे देश के तत्कालीन उप प्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे और मुख्यमंत्री ओपी चौटाला. उपचुनाव की नौबत इसलिए आई थी क्योंकि 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में जीतकर मुख्यमंत्री रहे देवीलाल ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और केंद्र की वीपी सिंह सरकार में डिप्टी पीएम बन गये. देवीलाल ने दिल्ली जाने से पहले अपनी सियासी विरासत सौंपी अपने बड़े बेटे ओपी चौटाला को. ओपी चौटाला मुख्यमंत्री तो बन गये लेकिन वो विधायक नहीं थे. पिता देवीलाल के इस्तीफे से खाली हुई महम सीट से ओपी चौटाला ने उपचुनाव लड़ने का फैसला किया.

महम उपचुनाव कैसे बन गया महम कांड

नवंबर 1989 में लोकसभा चुनाव हुए तो केंद्र में जनता दल की सरकार बनी. वीपी सिंह के साथ ही देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने. इधर हरियाणा में 2 दिसंबर 1989 को ही ओम प्रकाश चौटाला (OP Chautala) ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. ओपी चौटाला मुख्यमंत्री बनने के बाद उपचुनाव लड़ रहे थे क्योंकि वो विधानसभा के सदस्य नहीं थे. अपने पिता देवीलाल की छोड़ी गई महम सीट से वो चुनावी मैदान में उतरे. लेकिन उनके इस फैसले के खिलाफ देवीलाल के ही एक राजनीतिक शिष्य आनंद सिंह दांगी ने बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया.

बताया जाता है कि आनंद दांगी मुख्यमंत्री देवीलाल के बेहद खास थे. देवीलाल उन्हें अपना 5वां बेटा कहते थे. आनंद दांगी के चुनाव लड़ने के ऐलान से देवीलाल और ओपी चौटाला खफा हो गये. लेकिन इससे भी बड़ी बात ये हुई महम की सबसे मजबूत चौबीसी की महापंचायत ने भी ओपी चौटाला और देवीलाल का विरोध करके आनंद सिंह दांगी को समर्थन कर दिया. महम चौबीसी महापंचायत की ताकत उस दौर में इतनी थी कि उसके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले की हार तय थी. चौबीसी महापंचायत के विरोध से ओपी चौटाला और देवीलाल बौखला गये. इसलिए मुख्यमंत्री ओपी चौटाला और डिप्टी पीएम देवीलाल ने इस चुनाव को अपनी नाक का सवाल बना लिया.

क्या है महम चौबीसी खाप जिसने सीएम और डिप्टी पीएम को झुका दिया?

महम हरियाणा के रोहतक जिले में एक विधानसभा सीट और तहसील है. यहां एक चबूतरा है, जिसे चौबीसी चबूतरा कहा जाता है. बताया जाता है कि अंग्रेजों ने इस चबूतरे पर 1857 के स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी थी. तब से ये चबूतरा यहां के लोगों के लिए पूज्यनीय हो गया है. चौबीसी के चबूतरे पर होने वाली सर्व खाप पंचायत का फैसला कोई टाल नहीं सकता. 90 के दौर तक ये चौबीसी सर्व खाप इतनी ताकतवर थी कि बड़ा से बड़ा नेता भी उसके फैसले के आगे झुकता था. चुनाव में खाप अपना उम्मीदवार चुनती थी. सर्व खाप का हाथ जिसके सिर पर होता था उसकी जीत पक्की होती थी. लेकिन जिसने खापों के फैसले का विरोध किया, उसकी हार तय मानी जाती थी.

इसलिए नाराज हुई महम चौबीसी

महम सीट से देवीलाल के तीन बार चुनाव जीतने पर महम चौबीसी उनके साथ थी. लेकिन केंद्र में डिप्टी पीएम बनने के बाद देवीलाल ने ओपी चौटाला को महम उपचुनाव में खुद उम्मीदवार घोषित कर दिया, जिससे चौबीसी की सर्व खाप नाराज हो गईं. चौबीसी खाप के सैकड़ों लोग दिल्ली में देवीलाल से मिलकर उन्हें ओपी चौटाला को चुनाव से हटाने के लिए कहा लेकिन देवीलाल ने इनकार कर दिया. देवीलाल की इस जिद से खाप चौबीसी भड़क उठी और उन्हें हराने का ऐलान कर दिया. चौबीसी सर्व खाप ने ओपी चौटाला के खिलाफ देवीलाल के खास आनंद सिंह दांगी को समर्थन दे दिया. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि इसके बाद ओपी चौटाला और देवीलाल ने महम उपचुनाव को अपनी इज्जत का सवाल बना लिया.

महम चौबीसी ने ओपी चौटाला का विरोध क्यों किया?

महम सीट से देवीलाल तीन बार (1982, 1985, 1987) चुनाव जीतकर विधायक बन चुके थे. इसलिए ये सीट लोकदल और देवीलाल का गढ़ कही जाने लगी थी. इसीलिए जब देवीलाल केंद्र में डिप्टी पीएम बन गये तो मुख्यमंत्री बनने वाले उनके बेटे ओपी चौटाला ने उनकी सुरक्षित सीट से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया. लेकिन देवीलाल के बाद फिर से उनके परिवार के सदस्य के चुनाव लड़ने से महम चौबीसी की सर्व खाप पंचायत नाराज हो गई. चौबीसी खाप ने देवीलाल और ओपी चौटाला का विरोध करने का फैसला किया. जिसके चलते ओपी चौटाला ने इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया.

महम में पहला उपचुनाव, 9 लोगों की मौत

2 दिसंबर 1989 को ओपी चौटाला के सीएम पद की शपथ लेने के बाद 27 फरवरी 1990 को महम उपचुनाव के लिए पहली बार वोटिंग हुई. ताकतवर खाप पंचायत महम चौबीसी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे सीएम ओपी चौटाला और डिप्टी पीएम देवीलाल के लिए ये चुनाव नाक का सवाल बन गया था. राजनीतिक जानकार कहते हैं इसीलिए चुनाव जीतने के लिए लोकदल कार्यकर्ताओं ने जमकर गुंडागर्दी की और बूथ कैप्चरिंग कराई. इस मामले में ओपी चौटाला के बेटे अभय चौटाला का भी नाम सामने आया था.

रि-पोलिंग के दौरान हुई फायरिंग

27 फरवरी को हुए मतदान के दौरान वोटिंग में धांधली की शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग ने महम, बैंसी, भैणी, चांदी, महाराजपुर और खरैंटी के 8 बूथों पर मतदान रद्द कर दिया और 28 फरवरी को दोबारा वोटिंग का आदेश दिया. बताया जाता है कि 28 फरवरी को इन बूथों पर पुनर्मतदान के दौरान भी इनेलो समर्थकों ने फर्जी वोटिंग की कोशिश की. दांगी समर्थकों ने जब रोका तो उनके ऊपर फायरिंग कर दी गई. इस फायरिंग में 8 लोगों की मौत हो गई.

भीड़ ने पुलिसकर्मी को मार डाला

आनंद दांगी समर्थकों की हत्या के बाद भड़की भीड़ ने बैंसी गांव में पुलिस टीम और ओपी चौटाला समर्थकों पर हमला कर दिया. बताया जा रहा है कि इस भीड़ में ओपी चौटाला के बेटे अभय चौटाला भी थे. भीड़ से बचने के लिए ये सभी लोग एक स्कूल में जान बचाने के लिए छुपे. लेकिन भीड़ ने हमला कर दिया. स्कूल के अंदर घुसकर भीड़ ने एक कांस्टेबल हरबंस सिंह की हत्या कर दी.

दूसरी बार वोटिंग, 3 लोगों की मौत

फरवरी में पहला चुनाव रद्द होने के बाद 21 मई 1990 को फिर से मतदान की तारीख तय हुई. इस बार ओपी चौटाला के साथी रहे और लोकदल के बागी अमीर सिंह ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. पहले चुनाव का खौफ इस चुनाव में भी साफ दिखाई दे रहा था. हुआ भी यही. वोटिंग से 5 दिन पहले 16 मई को निर्दलीय कैंडिडेट अमीर सिंह की हत्या हो गई. उनका शव भिवानी में मिला. एक उम्मीदवार की हत्या के चलते चुनाव रद्द हो गया. हत्या का आरोप लगा ओपी चौटाला के खिलाफ लड़ रहे आनंद सिंह दांगी पर. भारी पुलिस बल उन्हें गिरफ्तार करने के लिए मदीना गांव के लिए निकला. समर्थकों ने रोकने की कोशिश की तो पुलिस ने फायरिंग कर दी. फायरिंग में 2 लड़कियों समेत तीन लोगों की मौत हो गई. प्रदेश के मुख्यमंत्री थे ओपी चौटाला. जिसके बाद चुनाव दोबारा रद्द कर दिया गया.

1991 में तीसरी बार हुआ चुनाव, तब आया फैसला

मई 1991 में हरियाणा में आम चुनाव हुआ. महम सीट पर तीसरी बार चुनाव हुआ तब जाकर फैसला आया. 1991 के चुनाव में आनंद सिंह दांगी कांग्रेस से चुनाव लड़े. ओपी चौटाला चुनाव नहीं लड़े. लोकदल ने सूबे सिंह को चुनाव लड़ाया. दो बार हो चुकी हिंसा और गुंडागर्दी के चलते जनता देवीलाल और ओपी चौटाला से नाराज थी. आखिरकार महम चौबीसी के उम्मीदवार आनंद दांगी की इस चुनाव में जीत हुई. लोकदल के सूबे सिंह हार गये. दरअसल ये हार ओपी चौटाला और देवीलाल की थी. उसके बाद ओपी चौटाला महम से कभी चुनाव नहीं लड़े.

ओपी चौटाला को देना पड़ा इस्तीफा

महम उपचुनाव में धांधली, गुंडागर्दी, हिंसा और कई लोगों की हत्या के बाद केंद्र की वीपी सिंह सरकार भी दबाव में आ गई. नेता विपक्षा राजीव गांधी महम दौरे पर पहुंचे. उन्होंने आनंद दांगी से मुलाकात भी की. हरियाणा की ओपी चौटाला सरकार जनता दल के लिए किरकिरी बन गई. देवीलाल के विरोध के बावजूद प्रधानमंत्री वीपी सिंह ओपी चौटाला के इस्तीफे पर अड़ गये. आखिरकार 21 मई 1990 को ओपी चौटाला की जगह बनारसी दास गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया गया. हरियाणा चुनाव में आज भी महम कांड का दर्द छुपा है.

डिप्टी पीएम देवीलाल की भी कुर्सी गई

ओपी चौटाला के इस्तीफे के बाद देवीलाल प्रधानमंत्री वीपी सिंह से नाराज हो गये और उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. वीपी सिंह के फैसले से खफा देवीलाल ने डिप्टी पीएम पद से इस्तीफा दे दिया. हलांकि बाद में काफी मनाने के बाद देवीलाल ने इस्तीफा वापस ले लिया. बताया जाता है कि वीपी सिंह और देवीलाल के बीच ओपी चौटाला को सीएम बनाने पर सहमति बन गई. जिसके बाद बनारसी दास गुप्ता ने 51 दिन के अंदर ही 12 जुलाई 1990 को इस्तीफा दे दिया और ओपी चौटाला फिर सीएम बन गये. हलांकि चौटाला को फिर से 5 दिन में ही कुर्सी छोड़नी पड़ी क्योंकि इस बार वीपी सिंह ने देवीलाल को मंत्रिमंडल से ही निकाल दिया.

2024 चुनाव में महम से आनंद दांगी के बेटे मैदान में

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने महम सीट से आनंद दांगी के बेटे बलराम दांगी को टिकट दिया है. आनंद दांगी महम से कई बार विधायक रहे. 2014 की मोदी लहर में भी आनंद दांगी महम से जीते थे. 1991 के बाद 2005, 2009 और 2014 में भी आनंद सिंह दांगी महम से चुनाव जीतकर विधायक बने. इसीलिए कांग्रेस ने एक बार फिर आनंद दांगी पर ही भरोसा जताया, उनके बेटे बलराम दांगी को टिकट देकर. बीजेपी ने इस बार महम से कबड्डी खिलाड़ी दीपक हुड्डा को टिकट दिया है.

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Last Updated : Sep 20, 2024, 3:01 PM IST

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